देश के राष्ट्रपति ने ऐसा क्या कर दिया कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए
चिली में राष्ट्रपति के स्वागत में एक शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया गया जो गुरुबानी 'एक ओंकार सतनाम' पर तैयार किया गया था. राष्ट्रपति के लिए ये भावपूर्ण प्रस्तुति थीलेकिन सिख समुदाय के लोगों को ये प्रस्तुति सिख समाज के अपमान की तरह लगी.
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भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विदेश यात्रा पर हैं. वो हाल ही में चिली में थे जहां उन्होंने सैंटियागो के रहने वाले भारतीय समुदाय के एक कार्यक्रम में शिरकत की.
राष्ट्रपति के स्वागत समारोह में कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया था. ये नृत्य सिखों के पवित्र गुरुबानी 'एक ओंकार सतनाम' पर किया गया था. ये प्रस्तुति राष्ट्रपति के मन को इतनी भाई कि उन्होंने इसे अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया और लिखा- 'सैंटियागो, चिली में भारतीय समुदाय के स्वागत समारोह में "एक ओंकार सतनाम" की एक भावपूर्ण प्रस्तुति'.
A soulful rendition of "Ik Onkar Satnaam" at the Indian community reception in Santiago, Chile pic.twitter.com/P3vE4TDIDp
— President of India (@rashtrapatibhvn) April 1, 2019
वास्तव में ये प्रस्तुति मन मोहने वाली थी, क्योंकि एक तो ये शास्त्रीय नृत्य था और दूसरा इसे गुरुबानी 'एक ओंकार' पर तैयार किया गया था जो आज तक शायद कभी नहीं देखा गया था. लेकिन सिख समुदाय के लोगों को ये प्रस्तुति सिख समाज के अपमान की तरह लगी.
सिख समुदाय के लोगों का कहना है कि 'एक ओंकार' सिख समाज का मूल मंत्र है. ये हमारे पहले ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब का पहला मंत्र है जिसे पंजाबी में लिखा गया है. हम या कोई भी और इसपर डांस नहीं कर सकता. ये कोई गीत नहीं है. इसे जल्द से जल्द डिलीट किया जाए. किसी की धार्मिक भावनाओं का अपमान करना अपराध है.'
इस डांस को सिख समाज का अपमान कहा गया
गुरुबानी पर किए गए नृत्य को सिख समाज किसी भी रूप में स्वीकार नहीं कर सकता इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति के इस ट्वीट को जल्द से जल्द डिलीट करने की मांग की है. लोगों का कहना है कि ये डांस बेहद अपमानजनक है. इस डांस की वजह से सिख समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. इतना ही नहीं देश के राष्ट्रपति से इस वीडियो को पोस्ट करने के लिए माफी मांगने का दबाव भी बनाया जा रहा है.
राष्ट्रपति से माफी मांगने के लिए कहा जा रहा है
लोगों का कहना है कि हिंदू धर्म में भले ही आप भजन या धार्मिक गीतों पर डांस कर सकते हैं लेकिन सिख गुरुबानी या मूल मंत्र पर डांस नहीं किया जाता. साथ ही जब गुरुबानी होती है तो हमेशा सिर ढका जाता है. जबकि इस प्रस्तुति में किसी ने सिर भी नहीं ढका हुआ है. ये स्वीकार करने योग्य नहीं है. राष्ट्रपति को सिख धर्म के बारे में पता होना चाहिए.
जाहिर सी बात है कि राष्ट्रपति ने ये ट्वीट किसी समुदाय की भावनाएं आहत करने के लिए नहीं किया. ये प्रस्तुति उनके मन को भायी और उन्होंने इसे ट्वीट कर दिया. लेकिन शायद वो भी ये नहीं जानते थे कि आंखों और कानों को सुकून देने वाली हर चीज पर वाह-वाह नहीं की जा सकती. खासकर जब मामला किसी धर्म से जुड़ा हो. इस बात की सारी जिम्मेदारी कार्यक्रम आयोजित करने वालों को लेनी चाहिए. लेकिन चिली में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी भारत के मूल्यों को समझने में गलती कर गए. और यहां महामहीम बैठे बैठाए ट्रोल हो गए. क्या वास्तव में राष्ट्रपति को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए?
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