पार्किंग विवाद पर हत्या: लोगों में अब 'दिल' बचा ही कहां है
लोगों में संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है. गाजियाबाद में पार्किंग विवाद में हुई वरुण की हत्या को वहां मौजूद उसके दोस्तों और अन्य राहगीरों की एक कोशिश से रोका जा सकता था. लेकिन, किसी के दिल में ऐसा ख्याल आया ही नहीं.
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सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक युवक की हत्या का वीडियो वायरल हो रहा है. बताया जा रहा है कि एक होटल के बाहर पार्किंग को लेकर हुई बहसबाजी ने अचानक ही झगड़े का रूप ले लिया. और, पार्किंग की मामूली सी बात पर हुए इस झगड़े में वरुण नाम के एक युवक की हत्या कर दी गई. मिली जानकारी के अनुसार, मृतक वरुण अपने दो दोस्तों के साथ खाना खाने निकला था. इसी बीच पार्किंग को लेकर विवाद हुआ. और, दूसरे पक्ष के युवकों ने पहले लात-घूंसों से पिटाई की. फिर ईंट से हमला कर वरुण का सिर फोड़ दिया. इस मामले में सबसे दुखद पहलू ये रहा कि वरुण को पिटता देख उसके दोस्त उसे सड़क पर लहूलुहान हालत में ही छोड़ भाग गए. वरुण के दोस्तों से इतनी तो उम्मीद की ही जा सकती थी कि वो उसे अस्पताल तक पहुंचा देते. लेकिन, वो उसे वहीं मरता छोड़ गए.
गाजियाबाद की दर्दनाक घटना, पार्किंग के विवाद में रिटायर पुलिसकर्मी के बेटे की पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या, मंगलवार देर रात हुई घटना। pic.twitter.com/qC1P7OtV2s
— Shiv Maurya (@shivmaurya00) October 26, 2022
वैसे, गलती सिर्फ वरुण के दोस्तों भर की नहीं है. वहां से गुजर रहे हर राहगीर और मूकदर्शक बने लोगों की भी है. जिन्होंने मदद के लिए आगे आने की जगह केवल घटना का वीडियो भर बना लिया. जिसके चलते वरुण ने सड़क पर ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया. अगर वहां मौजूद लोग आगे आकर मदद करते, तो शायद वरुण की जान बचाई जा सकती है. और, उससे भी बड़ी बात ये है कि शायद लोगों के बीच-बचाव कराने की कोशिश से इस तरह की घटना होती ही नहीं. लेकिन, न वरुण के दोस्तों ने साथ दिया. और, न ही वहां खड़े मारपीट और हत्या का तमाशा देख रहे लोगों के दिल में इसे रोकने का ख्याल आया. वैसे, दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में होने वाले रोड रेज और पार्किंग विवाद को लेकर होने वाली ऐसी ही कई घटनाओं के बाद कहना गलत नहीं होगा कि लोगों में अब दिल बचा ही कहां है.
गलती सिर्फ वरुण के दोस्तों भर की नहीं है. वहां से गुजर रहे हर राहगीर और मूकदर्शक बने लोगों की भी है.
दरअसल, संवेदनशीलता लोगों में धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. दिल्ली और एनसीआर जैसे छोटे-बड़े मेट्रो-शहरों में लोग अपनी जिंदगी का आपाधापी में इस कदर मसरूफ हो गए हैं कि उन्हें दुनिया का दर्द दिखाई ही नहीं पड़ता है. आज के समय में तो जब तक कोई खुद से आगे न बढ़े, तो किसी दुर्घटना का शिकार हुए लोगों की मदद भी करने से कन्नी काटते हैं. और, ये असंवेदनशीलता लोगों में तेजी से बढ़ रही है. गाजियाबाद में पार्किंग विवाद में हुई हत्या इसका एक ताजा उदाहरण भर है.
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