ज्ञानवापी में शिवलिंग मिला, तो लोग 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के नाम पर गंदगी क्यों फैलाने लगे?
ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में मिले शिवलिंग (Shivling) को लेकर फैसला अदालतों को करना है. लेकिन, सोशल मीडिया (Social Media) पर ये कौन से लोग हैं, जो 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के तहत खुद ही जज बनकर फैसला सुनाने बैठ गए हैं. हिंदू पक्ष के दावों को खारिज करने के लिए शिवलिंग के खतने से लेकर अपशब्दों की भरमार लगा दी गई है.
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जहालत... वैसे एक शब्द भर है. लेकिन, सोशल मीडिया के इस दौर में जहालत का प्रदर्शन सबसे अहम हो गया है. बीते दिनों ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे में हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है. जिसके बाद वाराणसी कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग को संरक्षित और सुरक्षित करने का आदेश दे दिया. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का दावा था कि वजूखाने में शिवलिंग नहीं फव्वारा था. इस दावे-प्रतिदावे के बीच लोगों ने कई तरह की तस्वीरें शेयर करके मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. इस दावे के साथ कि क्या ये भी शिवलिंग है? जहालत के इस प्रदर्शन में कथित बुद्धिजीवी वर्ग में आने वाले दलित चिंतकों, बड़े लेखकों से लेकर इस्लाम के पैरौकारों तक 'हमाम में सभी नंगे' नजर आए.
ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग को लेकर फैसला अदालतों को करना है. लेकिन, सोशल मीडिया पर ये कौन से लोग हैं, जो 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के तहत खुद ही जज बनकर फैसला सुनाने बैठ गए हैं. हिंदू पक्ष के दावों को खारिज करने के लिए शिवलिंग के खतने से लेकर अपशब्दों की भरमार लगा दी गई है. खैर, इन तमाम बातों से इतर सबसे बड़ी चीज यही है कि क्या भारत में इस तरह का अपमान किसी अन्य मजहब का किया जा सकता है? क्या किसी अन्य धर्म के प्रतीकों को लेकर भी ऐसी ही बेहूदगी दिखाने को 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' का नाम दिया जाएगा? इसका जवाब 'ना' में ही मिलेगा. क्योंकि, ऐसा भद्दा मजाक अगर इस्लाम के साथ कर दिया जाए, तो इन तमाम लोगों को जहालत का असली मतलब समझ आ जाएगा. आसान शब्दों में कहा जाए, तो ह्यूमर के नाम पर लोग कुछ भी शेयर कर रहे हैं.
हिंदू धर्म के प्रतीकों का मजाक उड़ा रहे इन लोगों को ये अधिकार किसने दिया?
वैसे, हिंदुओं की सहनशीलता और सहिष्णुता को तार-तार करने वाली तस्वीरों और पोस्टों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है. लेकिन, इसे लेकर उपजने वाले गुस्से को पी जाने को हमारी खासियत बताया जा रहा है. क्या इन कथित बुद्धिजीवी वर्ग के दलित चिंतकों, बड़े लेखकों से लेकर मजहबी उन्मादियों पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए. जो लगातार हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे, अगर ये लोग अपने इस एजेंडे में कामयाब हो जाते हैं. तो, सारा दोष एक ही राजनीतिक दल के सिर-माथे आ जाएगा. जबकि, अपनी-अपनी वैचारिक रूप से सियासी प्रतिबद्धताओं में बंधे हुए ये लोग आसानी से पल्ला झाड़ दूर खड़े नजर आएंगे. ह्यूमर के नाम पर ये जो परोस रहे हैं, वह निश्चित रूप से भयावह और अपमानजनक है. सवाल इन लोगों से ही पूछा जाएगा कि ज्ञानवापी में शिवलिंग मिला है, तो लोग 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के नाम पर गंदगी क्यों फैलाने लगे हैं?
क्या खुद को बौद्धिक रूप से 'कमजोर' मानेंगे प्रोफेसर?
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रतन लाल की फेसबुक प्रोफाइल पर जाएंगे, तो सामाजिक न्याय जैसे बड़े-बड़े शब्द लिखे नजर आएंगे. खुद को कथित रूप से आंबेडकरवादी कहने वाले रतन लाल दलित चिंतक का चोला ओढ़ कर हिंदू धर्म के लोगों की भावनाएं भड़काने में लगे हुए हैं. ये प्रोफेसर हैं, तो निश्चित रूप से बौद्धिक रूप से समर्थ होंगे. अगर मान लिया जाए कि ये नास्तिक भी हैं. तो, क्या इन्हें इस आधार पर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के खिलाफ अपशब्द लिखने की छूट दी जा सकती है. रतन लाल इस कदर घृणा से भरे हुए हैं कि अपने अपशब्दों से भरी बात पर लोगों के गुस्सा जाहिर करने पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से AK-56 के लाइसेंस की मांग कर दी है. खैर, ये बताने की जरूरत नही है कि इस बंदूक के साथ ये कथित दलित चिंतक क्या करना चाहते हैं? दरअसल, माओ को मानने वाले तमाम वामपंथी नेताओं के अंतर्मन में हिंसा की बीज पनपता ही रहता है. वैसे, इनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, तो अब ये अपना दलित विक्टिम कार्ड लेकर तैयार हो जाएंगे.
वरिष्ठ पत्रकार खुद ही घोषित हो गईं 'वॉट्सएप यूनिवर्सिटी की छात्रा'
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक सबा नकवी ने ट्विटर पर एक पोस्ट किया. जिसमें भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की तस्वीर शेयर कर सबा नकवी ने कहा था कि वहां एक बड़ा शिवलिंग मिला है. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना यह ट्वीट हटा दिया. सब नकवी ने ट्वीट डिलीट करने के बाद लिखा कि मैंने एक वॉट्सएप फॉरवर्ड को शेयर किया था. जिसे मुझे दिनभर में कई लोगों ने भेजा था. अगर इससे कोई अपराध हुआ है, तो माफ करें. पूरी ईमानदारी से कह रही हूं कि किसी भी विश्वास या आस्था का मजाक उड़ाने का इरादा नहीं था. ये एक गलती थी. शुक्रिया. खैर, सबा नकवी ने इसके लिए माफी मांग ली. लेकिन, आज के समय में जब लोगों को वॉट्सएप यूनिवर्सिटी से पढ़ा हुआ घोषित किया जाता हो. तो, सबा नकवी खुद भी वॉट्सएप यूनिवर्सिटी की छात्रा घोषित हो गई हैं.
I shared a WhatsApp forward that I have deleted that was sent to me by multiple people through the day. Apologies if it caused any offence. Sincerely. Not at all the intention to mock any belief or faith system. A mistake. Thank you
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) May 18, 2022
'भटका' हुआ साबित कर दिया जाएगा मुस्लिम युवा
रामपुर के एक मुस्लिम युवा ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग को लेकर अभद्रता की सारी हदें पार कर दीं. इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से कार्रवाई करते हुए युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है. लेकिन, ये बात तय है कि जल्द ही इस युवक को भटका हुआ बताने वाले बहुत से लोग इकट्ठा हो जाएंगे. और, ऐसा करने वालों में रतन लाल और सबा नकवी जैसे लोग ही होंगे.
हाल ही में को मेने अभद्र ट्वीट किया में उसके लाएं माफी का तलबगार हूं और शर्मिंदा हूं
— Dr. Mohd kaleem Turk? (@mohdkaleempash6) May 17, 2022
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