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Updated: 08 जनवरी, 2017 04:31 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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अगर आपसे पूछा जाए कि ड्रग्स क्या है तो आपका जवाब क्या होगा? जरा सोचिए, एक ऐसा ड्रग्स जिसका स्वाद अच्छा हो, आसानी से घुल जाए, खून की जांच में पता भी ना चले, आपका मूड सही कर दे और शॉर्ट टर्म में कोई नुकसान ना पहुंचाए वो आपके लिए कैसा साबित होगा? सुनकर शायद अजीब लगे, लेकिन एक ऐसा ही ड्रग हर किचन में मौजूद है और उसका सेवन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी करते हैं. उसके आदी हो चुके हैं. उस ड्रग का नाम है शक्कर.

रोजमर्रा की खाने-पीने की चीजों में ऐसा क्या-क्या शामिल है जिसके आदि आप हो चुके हैं? कॉफी, चाय, एल्कोहॉल, जूस ... लिस्ट काफी लंबी हो सकती है, लेकिन एक चीज है जो इन सब में एक जैसी है. वो है शक्कर.

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 शक्कर काफी एडिक्टिव होती है. इसका बॉडी पर नुकसान लंबे अंतराल के बाद नजर आता है

गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार शक्कर बच्चों को दिया सकने वाला सबसे हार्ड ड्रग है. इससे उनका दिमाग शांत रहता है. उनकी परेशानी कम समझ आती है और जब तक इसका असर रहता है तब तक उनका चिड़चिड़ापन भी कम हो जाता है. एक स्टडी के अनुसार शक्कर दिमाग में उसी तरह का इफेक्ट पैदा करती है जैसा कि एल्कोहॉल और कोकेन. बस फर्क सिर्फ इतना है कि शक्कर का असर तब तक समझ नहीं आता जब तक

चलिए एक बार ये देखते हैं कि शक्कर आखिर करती क्या-क्या है...

- आइस्क्रीम, कॉफी, चाय, आर्टिफीशियल फूड कलर, जूस, कोल्डड्रिंक आदि सबमें शक्कर का इस्तेमाल होता है. मूड ठीक करने के लिए आइस्क्रीम खाई जाती है. ये काफी हद तक शक्कर का असर होता है

- खाने में स्वाद होती है और इसकी आदत जल्दी लगती है. लोग मीठा खाने के आदी हो जाते हैं.

- बच्चों को खासी पसंद होती है. चॉकलेट, टॉफी, कैंडी, आदि देने पर वो शांत हो जाते हैं. असल में शक्कर दिमाग के एक हिस्से 'रिवॉर्ड सेंटर' पर असर करती है और इससे इंसान शांत होता है.

- कई न्यूरोलॉजिकल स्टडीज में शक्कर को ड्रग्स कहा गया है. इसकी आदत आसानी से पड़ती है और शॉर्ट टर्म नुकसान ना होने के कारण इंसान इसे तब तक नहीं छोड़ता जब तक कोई बीमारी ना हो जाए.

- कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि दुखी होने पर इंसान या तो शराब का सहारा लेना पसंद करता है, या फिर किसी भी तरह से शक्कर का (आइस्क्रीम इसमें सबसे ज्यादा है)- किसी भी तरह की शराब में शक्कर की थोड़ी ना थोड़ी मात्रा होती है.

- शक्कर के कारण अंग फूलने लगते हैं. शरीर में इंसुलिन की मात्रा भी बढ़ जाती है और ये मोटापे का कारण भी होती है.

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अब चलते हैं कुछ आंकड़ों की ओर-

1934 में ग्रेट डिप्रेशन (1929-39 के बीच का समय जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था एकदम चरमरा गई थी और तंगी ने सबको परेशान कर दिया था.) के दौर में भी शक्कर की बिक्री अमेरिका में बढ़ गई थी. न्यू यॉर्क टाइम्स के एक कमेंट के अनुसार आर्थिक तंगी के उस दौर में भी लोगों को कैंडी चाहिए थी. जब तक उनके पास पैसे थे वो इसे खरीद रहे थे. उस समय भी शक्कर से जुड़ी कोई भी इंडस्ट्री फलफूल रही थी.

सबसे अहम सवाल तो ये है कि क्या वाकई शक्कर ड्रग्स की श्रेणी में आती है या नहीं? कुछ लोग इसे एडिक्टिव मानते हैं और कुछ नहीं. ये असली ड्रग्स की तरह लोगों को बेहोश नहीं करती, ना ही तुरंत कोई असर दिखाती है, लेकिन फिर भी शरीर पर इसका प्रभाव जरूर पड़ता है. चाहें कोई भी डॉक्टर हो इसे कम इस्तेमाल करने की सलाह जरूर देता है.

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प्राचीन काल में शक्कर का इस्तेमाल नहीं होता था. पहले गन्ना आया, फिर गुड़ और फिर शक्कर. हिस्ट्री में शक्कर का पहला इस्तेमाल इंग्लैंड में बताया गया है. 1099 में एक नए मसाले के रूप में इसे खोजा गया और यही थी शक्कर की शुरुआत. लेकिन अब तो मिलावटी गुड़ और शहद में भी शक्कर का इस्तेमाल हो रहा है तो किया क्या जाए. बंधू बात सिर्फ इतनी सी है कि इसका सेवन अती में ना करें क्योंकि ये वाकई नुकसानदेह है.

लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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