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Updated: 12 जनवरी, 2022 07:36 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स जैसी एप को लेकर हुई गिरफ्तारियों के बाद पूरे देश में महिलाओं के सम्मान को लेकर बहस छिड़ी हुई है. बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स मामले पर लोग प्रतिक्रिया देते हुए महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वालों को सख्त सजा देकर एक बड़ा उदाहरण पेश करने की मांग कर रहे है. और, ऐसी मांग करने वाले लोगों में बॉलीवुड और साउथ की फिल्मों के एक्टर सिद्धार्थ भी शामिल हैं. बॉलीवुड की मशहूर फिल्म 'रंग दे बसंती' से चर्चाओं में आए एक्टर सिद्धार्थ अपने एक हालिया ट्वीट को लेकर विवादों में घिर गए हैं. दरअसल, महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की बात करने वाले सिद्धार्थ ने देश की बैंडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के बारे में एक 'घटिया' टिप्पणी की है. जिसे लेकर अब उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है. लेकिन, सिद्धार्थ के इस बेहूदा कमेंट करने की पीछे की वजह भी कम हैरान करने वाली नहीं है.

Siddharth Saina Nehwalएक्टर सिद्धार्थ इस आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गए हैं.

दरअसल, भारत की बैंडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर एक ट्वीट किया था. इस ट्वीट में साइना नेहवाल ने लिखा था कि कोई भी देश खुद के सुरक्षित होने दावा नहीं कर सकता अगर उसके अपने प्रधानमंत्री की सुरक्षा से समझौता किया जाता है. मैं अराजक तत्वों द्वारा पीएम मोदी पर किए गए कायरतापूर्ण हमले की सबसे कड़े शब्दों में निंदा करती हूं. पंजाब में पीएम नरेंद्र मोदी का काफिला प्रदर्शनकारियों द्वारा रोके जाने को लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने चिंता जताई थी. इस मामले पर साइना नेहवाल ने भी ट्वीट किया था, जो एक बहुत आम सी बात है. लेकिन, ये आम सी लगने वाली ये बात पीएम मोदी का नाम सुनते ही भड़क जाने वाले लोगों से उनका 'वोक' (Woke) स्टेटस भी छीन लेती है. 

वैसे, सिद्धार्थ भी देश में पाए जाने वाले 'वोक' (Woke) यानी स्वघोषित लिबरल वर्ग के उस हिस्से से आते हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सुनते ही भड़क जाता है. और, इस गुस्से में वो महिलाओं के सम्मान की बात भी भूल जाता है. इतना ही नहीं, महिलाओं के खिलाफ सेक्सुअल भाषा का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सिद्धार्थ को भी स्टैंड अप कॉमेडियन वीर दास की कैटेगरी वाला ही 'वोक' माना जा सकता है. जो बड़े मंचों पर नारी सम्मान, महिला सशक्तिकरण जैसी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. लेकिन, किसी महिला की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थन करने वाली बात कर दी जाए, तो ये हद दर्जे की नीचता पर उतरने से भी नहीं हिचकिचाते हैं. फिर सामने वाला कोई भी हो. और, भले ही साइना नेहवाल ने भारत के लिए ओलंपिक्स में कांस्य पदक से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता हो. 

वैसे, यहां इस बात को साबित करने के लिए भी तथ्य हैं कि सिद्धार्थ उसी स्वघोषित लिबरल वर्ग से आते हैं, जो केवल पीएम मोदी का नाम सुनते ही गुस्से से भर जाता है. वरना वह महिलाओं के सम्मान को लेकर काफी सजग और सक्रिय हैं. क्योंकि, हाल ही में सिद्धार्थ ने बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स जैसी एप के खिलाफ कई ट्वीट रिट्वीट किए थे. वैसे, भारत में इस तरह के लोगों की कोई कमी नहीं है, जो दिखावे के लिए महिलाओं के हक और सम्मान की बात जरूर करते हैं. लेकिन, अपने 'वोक' होने की वजह से खुद ही महिलाओं के खिलाफ इस तरह की अश्लील कमेंट करने से पीछे नहीं हटते हैं. खैर, सिद्धार्थ इस आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गए हैं. 

हालांकि, विवाद के बाद सिद्धार्थ ने इस मामले पर सफाई देते हुए बताया है कि उनका कुछ भी अपमानजनक कहने या संकेत करने का इरादा नहीं था. हर बार की तरह ऐसे मामले पर सिद्धार्थ ने इस्केप प्लान के तौर पर वही तरीका इस्तेमाल किया है, जो आमतौर पर वोक यानी स्वघोषित लिबरल अपनाते हैं. सिद्धार्थ ने पूरी बेशर्मी के साथ इस मामले पर ट्वीट कर इसे कॉक एंड बुल वाली कहावत के संदर्भ में देखने की बात कही है. इतना ही नहीं, सिद्धार्थ ने इसके लिए ट्वीट को पढ़ने वाले लोगों पर ही आरोप लगाया है. सिद्धार्थ ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि इसे कॉक एंड बुल वाली कहावत के संदर्भ में देखना चाहिए था. गलत तरह से पढ़ना अनुचित और गुमराह करने वाला है. कुछ भी अपमानजनक कहने या संकेत करने का इरादा नही था. बता दें कि कॉक एंड बुल की कहावत का अर्थ एक असंभव कहानी को सच के तौर पर पेश करने के लिए किया जाता है. 

सिद्धार्थ के इस बेहूदा कमेंट पर हुए विवाद के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने ट्विटर इंडिया को इस ट्वीट को ब्लॉक करने के आदेश दिए हैं. साथ ही इसे महिला विरोधी और अपमानजनक बताया है. वैसे, अगर सिद्धार्थ द्वारा साइना नेहवाल को लेकर की गई टिप्पणी को देखा जाए, तो स्थिति साफ हो जाती है. सिद्धार्थ के उस ट्वीट में ऐसा कोई भी संदर्भ नहीं दर्शाया गया था. खैर, सिद्धार्थ जैसे स्वघोषित लिबरल लोग महिलाओं पर इस तरह की बयानबाजी करने के लिए पहले से ही जाने जाते हैं. लेकिन, यहां अहम सवाल यही है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर सजा की मांग क्यों नहीं की जाती है?

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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