Justice For Lavanya: धर्म परिवर्तन के दबाव में आत्महत्या को मजबूर हुई छात्रा के लिए चुप्पी क्यों?
तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तंजावुर (Thanjavur) में 17 वर्षीय छात्रा लावण्या (Lavanya) को इस वजह से खुदकुशी (Suicide) करनी पड़ा कि उसने ईसाई धर्म (Christianity) अपनाने से इनकार कर दिया था. जिसके चलते उसे हॉस्टल वार्डन (Conversion) डांटती थी और हॉस्टल के कमरों की सफाई करवाती थी.
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तमिलनाडु के तंजावुर में 17 वर्षीय एक छात्रा लावण्या ने धर्म परिवर्तन को लेकर बनाए जा रहे दबाव और यातनाओं के आगे मजबूर होकर आत्महत्या कर ली. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लावण्या तंजावुर में सेंट माइकल्स गर्ल्स होम नाम के एक बोर्डिंग हाउस में थी. 12वीं की छात्रा लावण्या ने 9 जनवरी को जहर खाकर खुदकुशी का प्रयास किया था. जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लावण्या के पिता मुरुगनंदम को 10 जनवरी को बताया गया कि उनकी बेटी को उल्टी होने और पेट में तेज दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद मुरुगनंदम ने लावण्या को तंजावुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया था. लेकिन, 19 जनवरी को अस्पताल में उसकी मौत हो गई.
लावण्या की मौत के बाद उसका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह बता रही थी कि 'उस पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाया जाता था. और, उसकी हॉस्टल वार्डन द्वारा हॉस्टल के सभी कमरों को साफ करने के लिए भी कहा जाता था.' लावण्या के माता-पिता का कहना है कि हॉस्टल की ओर से केवल ये बताया गया था कि आपकी बेटी को पेट में तेज दर्द और उल्टी की शिकायत है. जब लावण्या को होश आया, तो उसने आत्महत्या के प्रयास और उसके पीछे की आपबीती बताई. जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. टीवी9 की एक रिपोर्ट के अनुसार, एसपी रावली प्रिया ने 20 जनवरी को कहा था कि लावण्या का मामसा धर्मांतरण से जुड़ा नही है. हालांकि, अब मामले के सुर्खियों में आने पर पुलिस ने वार्डन सकाया मारी को गिरफ्तार कर लिया है.
ஏழை விவசாயி மகள் லாவண்யா வயது 27, அரியலூர் தூய இருதய மேல்நிலைப்பள்ளியில் நன்றாகப் படிக்கும், பன்னிரண்டாம் வகுப்பு மாணவி. இவரை மதம் மாறச் சொல்லி, பள்ளியில் கொடுத்த மன அழுத்தத்தால், விஷம் அருந்தி தற்கொலை செய்து கொண்டுள்ளார். pic.twitter.com/7dDioLpIJE
— K.Annamalai (@annamalai_k) January 20, 2022
पिता डीएमके कार्यकर्ता हैं, लेकिन सरकार वोटबैंक की खातिर चुप
तमिलनाडु में ईसाई धर्म के लोग अल्पसंख्यक समुदाय में आते हैं. और, ईसाई धर्म के लोगों को डीएमके का फिक्स वोटबैंक माना जाता है. कहा जा रहा है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई न करने की एक बड़ी यही है. वहीं, भाजपा प्रवक्ता एसजी सूर्या ने दावा किया है कि लावण्या के पिता डीएमके कार्यकर्ता हैं. लेकिन, वोटबैंक की राजनीति के चक्कर में डीएमके की स्टालिन सरकार चुप है.
லாவண்யாவின் தந்தை ஒரு தி.மு.க உடன்பிறப்பு. இருந்தும் அவர் மகளின் இறப்புக்கு நீதி கேட்க நாதியற்று இருக்கிறனர் தி.மு.க தொண்டர்களும், தலைவர்களும்.“வாக்குவங்கி அரசியலா? தி.மு.க தொண்டருக்கு நியாயமா?” என்றால் எதை தேர்வு செய்வார்கள் என கண்க்கூடாக பார்க்க முடிகிறது.#JusticeForLavanya pic.twitter.com/2CS1voEjiW
— SG Suryah (@SuryahSG) January 22, 2022
मीडिया परिवार से ही पूछ रहा है कि दो साल तक चुप क्यों रहे?
ऐसा शायद ही किसी मामले में देखा गया होगा कि मीडिया खुद पीड़ित परिवार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करे. लेकिन, तमिलनाडु के स्थानीय पत्रकार लावण्या की खुदकुशी के मामले पर अब पीड़ित परिवार पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं. एक स्थानीय पत्रकार ने लावण्या की मां से पूछा कि आपकी बच्ची पर कब से धर्मांतरण के लिए दबाव बनाया जा रहा था? लावण्या की मां जवाब देती हैं कि दो साल से. इसके बाद फिर दूसरा सवाल आता है कि दो साल से आप चुप क्यों थी? इस पर लावण्या की मां कहती हैं कि क्योंकि, उनकी यातनाओं की वजह से मेरी बच्ची मर गई है. फिर तीसरा सवाल आता है कि क्या आपकी बच्ची ने इस बारे में आपसे पहले बात की थी और क्या आपने इस मामले को स्कूल के सामने उठाया था? लावण्या की मां ने कहा कि उन्होंने मुझसे भी धर्मांतरण करने के लिए पूछा था. मेरी स्कूल मैनेजमेंट से लड़ाई हुई थी. उस साल मेरी बच्ची 10वीं क्लास में थी. कोरोना की वजह से स्कूल बंद हो गए थे. तो, हम बच्ची की टीसीई का इंतजार कर रहे थे. ताकि, किसी दूसरे स्कूल में उसे डाल सकें. पोंगल के बाद हम स्कूल गए, तो उन्होंने टीसीई देने से मना कर दिया.
This is classic victim blaming by the Tamil journalist. Lavanya has given a dying declaration that she was being forced to convert to Christianity. Why would a dying child lie? This is absolutely sick! #JusticeforLavanya pic.twitter.com/YnHsMlI7am
— Shefali Vaidya. ?? (@ShefVaidya) January 22, 2022
पत्रकार का अगला सवाल आता है कि आप कह रही है कि ये धर्मांतरण का मामला है, तो आपको टीसीई मिल सकती थी? जिसके जवाब में लावण्या की मां कहती हैं कि हम चाहते थे कि हमारी बेटी पढ़े. वह 489 अंकों के साथ स्कूल में फर्स्ट आई थी. वो कहती हैं कि अगर यह मेरी बेटी को साथ हो सकता है, जो 489 अंक लाकर स्कूल में फर्स्ट आती है, तो उन बच्चों के साथ क्या होता होगा, जो 200 अंक लाते होंगे? रिपोर्टर फिर सवाल दागता है कि लेकिन, पुलिस कह रही है कि ये गलत जानकारी है. इसके बाद रिपोर्टर के सवालों से लावण्या की मां का गुस्सा फूट पड़ता है. वो कहती हैं कि मेरी बेटी ने वीडियो में इस बारे में बोला है. क्या वो वीडियो गलत है? क्या आप कहेंगे कि उसने जो कहा, वो गलत था?
पुलिस छात्रा की बात का वीडियो रिकॉर्ड करने वाले को प्रताड़ित कर रही है
लावण्या का ईसाई धर्म कबूल करने के लिए दबाव बनाने और यातनाएं देने की बात करने का वीडियो रिकॉर्ड करने वाले को ही पुलिस प्रताड़ित कर रही है. जिसके बाद इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं कि पुलिस उन परिस्थितियों पर ध्यान दे, जिसकी वजह से बच्ची ने ये कदम उठाया है. नाकि, वीडियो रिकॉर्ड करने वाले शख्स के पीछे पड़े. बता दें कि लावण्या के आत्महत्या मामले में पुलिस ने जिस सकाया मारी को गिरफ्तार किया था. उसे खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.
Don't Harass The Person Who Took The Video: Madras HC In The Forcible Conversion-Suicide Case! #JusticeForLavanya https://t.co/2JzolkVa3t
— SG Suryah (@SuryahSG) January 22, 2022
हिंदुत्व के खिलाफ खड़े होने वाले सभी लिबरल लावण्या पर खामोश
जैसा कि हर बार ही होता है. तो, इस मामले में भी देश के कथित लिबरल और बुद्धिजीवी वर्ग ने गांधी जी के तीन बंदरों वाला फॉर्मूला अप्लाई कर लिया है. यही मामला अगर किसी मजहब या जाति विशेष से जुड़ा होता, तो ये लिबरल और बुद्धिजीवी वर्ग अब तक छाती पीटते हुए देश ही नहीं दुनियाभर में इस घटना का ढोल पीटने पर आमादा हो जाता. लेकिन, ये मामला हिंदुओं से जुड़ा है और धर्मांतरण के लिए आत्महत्या को मजबूर करने वाली ईसाई मिशनरियां हैं, तो चुप्पी साधना ही इन लोगों का परम कर्तव्य हो जाता है. क्योंकि, देश की बहुसंख्यक हिंदू आबादी के साथ ऐसी घटना होने पर इनकी कान में जूं नहीं रेंगती है. लेकिन, देश के किसी सुदूर हिस्से में भी अगर इनके एजेंडे को फिट बैठने वाली घटना हो जाए, तो यह उसे ट्रेंडिंग हैशटैग बनाने से नहीं चूकते हैं.
सोशल मीडिया पर आक्रोश, न्याय की मांग
लावण्या की मौत के बाद लोगों का आक्रोश सोशल मीडिया पर #JusticeforLavanya के तौर पर साफ देखा जा सकता है. तमिलनाडु के भाजपा नेताओं से लेकर तमाम लोगों ने लावण्या की मौत के दोषियों को सजा देने की मांग कर रहे हैं.
#JusticeForLavanyaThis poor daughter of a farmer scored 489/500 marks in 10th Exams 2 yrs back. *98%* MARKS!She’s a Top Scorer in #SacredHearts school for several years. In spite of that school made her to clean toilets & premises, wash utensils etc for refusing to convert. pic.twitter.com/Uw1ITkWKFB
— SG Suryah (@SuryahSG) January 22, 2022
No arrests can deter the spirit of taking the other for justice. We won’t rest till #JusticeforLavanya is delivered. Over 1000 @BJP4TamilNadu @BJYMinTN workers detained at Tanjore. @annamalai_k @KaruppuMBJP @AthmaKarthick pic.twitter.com/rDoJBO2lni
— Vinoj P Selvam (@VinojBJP) January 22, 2022
This dying declaration from Lavanya is spine-chilling reality of how forced religious conversions are ruining the lives of under-privileged. #JusticeforLavanya pic.twitter.com/Z9MZaihgwg
— Monica (@TrulyMonica) January 21, 2022
Terrible white-washing of a colonial atrocity on this poor girl. When will we realise what’s happening? #JusticeforLavanya https://t.co/vMAikm8Y4x
— Kamya | Return To Nature (@iamkamyabuch) January 21, 2022
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