सबरीमला पर चढ़ाई से पहले तृप्ति देसाई को ट्विटर ने रौंदा
तृप्ति देसाई ने खुली चुनौती दी थी कि वो 16 तारीख को केरल पहुंचेंगी और 17 को सबरीमला पर जाएंगी. इसपर सबरीमला समर्थकों ने एयरपोर्ट को ही घेर लिया है और तृप्ति देसाई अभी तक एयरपोर्ट से ही बाहर नहीं आ पाई हैं.
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सबरीमला... वो तीर्थ जहां भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है. वो तीर्थ जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था (10 से 50 साल की उम्र वाली महिलाओं का). ये वो तीर्थ है जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपने ईष्ट के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन फिलहाल ये तीर्थ किसी आस्था या पर्व के कारण नहीं बल्कि विवादों के कारण चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद अब इस तीर्थ स्थान को अखाड़ा बना दिया गया है. एक के बाद एक महिलाएं यहां आ रही हैं, लेकिन ये तय करना मुश्किल हो रहा है कि ये महिलाएं वाकई अयप्पा मंदिर में प्रार्थना करने आ रही हैं या फिर ये असल में ये सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है. इसी कड़ी में रेहाना फातिमा भी एक बार सबरीमला से वापस आ चुकी हैं. अब तृप्ति देसाई उस मंदिर में प्रवेश करने के लिए केरल गई हैं. पर उन्हें केरल एयरपोर्ट से बाहर ही निकलने नहीं दिया जा रहा.
तृप्ति देसाई ने खुली चुनौती दी थी कि वो 16 तारीख को केरल पहुंचेंगी और 17 को सबरीमला पर जाएंगी. इसपर सबरीमला समर्थकों ने एयरपोर्ट को ही घेर लिया है और तृप्ति देसाई अभी तक एयरपोर्ट से ही बाहर नहीं आ पाई हैं.
तृप्ति देसाई और उनकी टीम को कोचिन एयरपोर्ट से बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा
जहां तक सबरीमला विवाद की बात है तो ट्विटर ने अपनी राय देना शुरू कर दिया है.
I have no sympathy for #TruptiDesai. She is not going as a devotee. She is going there for media attention and to stir up trouble. And the media is lapping it all up and playing into her hands.
— Vinita Nayar (@Vinivixen) November 16, 2018
तृप्ति देसाई को ट्विटर की तरफ से फेक फेमिनिज्म फैलाने के लिए दोष दिया जा रहा है. लोगों का मानना है कि तृप्ति ये सब कुछ किसी तरह की पब्लिसिटी पाने के लिए कर रही हैं.
She is an converted Christian.She also contested election on Congress ticket.She stole gold, has a case for robbery.She has financial transactions from evangelist group.#TruptiDesai #SaveSabarimala #JanamTV https://t.co/LvexuguxLy
— Manish Mishra (@Manish23mishra) November 16, 2018
कुछ लोग तो तृप्ति की पिछली जिंदगी से लेकर उनके द्वारा किए गए कामों को लेकर भी फैसला सुना रहे हैं.
Ghanta activists like #TruptiDesai and those being interviewed on @ndtv need a real job. Nothing to do with Constitutional or gender rights, real devotees who understand the story behind the rituals wouldn't be fighting to go in. Shame of you, Supreme Court of India.
— MumbaiMeriJaan (@BP_speak) November 16, 2018
सिर्फ तृप्ति देसाई पर ही नहीं बल्कि लोग सुप्रीम कोर्ट पर भी अपना गुस्सा निकाल रहे हैं और कह रहे हैं कि आखिर तृप्ति देसाई को इस तरह से करने की क्या जरूरत थी.
#TruptiDesai what a lowly creature with ZERO self-dignity you are!Our domestic helper's husband & son go to #Sabarimala all the way from Chennai. The total family earning pm should be less than 30K. She doesn't ask Kerala Govt to sponsor them. They're true bhaktas.
— YamunaHarshavardhana (@YamunaHarsha) November 14, 2018
तृप्ति देसाई ने इसके पहले कई मंदिरों में इसी प्रकार एंट्री ली हैं और वो कामियाब भी हुई हैं. इसके पहले वो नासिक के त्रयंबिकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में, हाजी अली दरगाह में, शनि शिंग्नापुर में जाकर प्रार्थना कर चुकी हैं.
#SwamiyeSaranamAyyappaDespite all efforts by spineless Kerala cops, godless Commie-rats & soul-less Indian Justitutes, Dharmic Warriors of Kerala refuse to let evil-personified #TruptiDesai out of the airport & she is unable to get a single taxi to take her to my Hero’s abode!
— Peripatetic Vijayalakshmi (@wataboutery) November 16, 2018
जिन लोगों को भगवान अयप्पा में आस्था है वो लोग ये नहीं चाहते कि तृप्ति देसाई या कोई भी महिला भगवान अयप्पा के दर्शन करने जाए. इसके अलावा, इसे कई मायनों में राजनीतिक मुद्दा भी बनाया जा रहा है.
Happy that #TruptiDesai is stranded at Kochi airport, facing huge protests; and no cab is willing to take her to #Sabarimala. Temple is where a devotee goes to attain peace; not to do publicity stunts & hurt sentiments with a bunch of journos. Serves her right; well done Hindus!
— गीतिका (@ggiittiikkaa) November 16, 2018
इस मामले को हिंदुत्व से जोड़कर भी देखा जा रहा है. देश भर में लोग ये कह रहे हैं कि हिंदुओं के रिवाजों को ज्यादातर तोड़ा जाता है और साथ ही साथ लोग सबरीमला के रिवाजों की भी बात कर रहे हैं क्योंकि सबरीमला का रिवाज है कि तीर्थ यात्रियों को 41 दिनों तक व्रत रखना होता है.
An essential ritual of #Sabarimala istaking vratham which involves wearing black/blue dress, sacred mala & carrying Irumudi kettu on head. DRAMA QUEEN FAKE DEVOTEE #TruptiDesai doesnt have any of theseShes just making mockery of SACRED HINDU TRADITIONS#SaveSabarimalaTradition pic.twitter.com/NOHUcmlcio
— Rosy (@rose_k01) November 16, 2018
सबरीमला में जाने के लिए कई नियम हैं और वहां किसी भी धर्म, जाति या उम्र का इंसान जा सकता है सिवाए 10 से 50 साल के बीच की महिलाओं के.
पर इस सबके बीच कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने तृप्ति देसाई के मामले को सपोर्ट किया और इसे एक बेहतर कदम मानते हैं.
#Sabarimala #TruptiDesai in Kochi says some of the people protesting against women entry are from BJP/RSS. The fact is not some of the people but all the trouble makers are BJP/RSS Criminals only.#SaveSabarimala
— RiJOY???????????? (@iamrijoy) November 16, 2018
इसके ही साथ नेताओं की राजनीति भी शुरू हो गई है जिसमें धर्म को आखाड़े में लाया जा रहा है.
Hindu woman #TruptiDesai is attempting to enter Hindu temple after Supreme court verdict given by Hindu judges is being blocked at Kochi airport by Hindu activists"Hindu khatre mein hai" indeed ????????♂️This is humble requestStop blaming everyone else for your own problems! ???? pic.twitter.com/C5FgmSy5A2
— Dr. Jonathan ????⚕️???????????????????????? (@just1doctorwala) November 16, 2018
I wish feminazi #truptidesai hadn't chosen sabarimala to demonstrate her twisted human rights manifesto.That said, she is standing on legal ground now. Let her go I say, let her get her triumph. Ayyappa is bigger than all of us. Sabarimala will overcome.
— Kasturi Shankar (@KasthuriShankar) November 16, 2018
तृप्ति देसाई की बात की जाए तो ये अलग होगा, लेकिन अगर अयप्पा मंदिर और सबरीमला की बात करें तो वहां इस साल दर्शन के लिए लगभग 700 महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. ये वो महिलाएं हैं जो सबरीमला के दर्शन करना चाहती हैं और अयप्पा की पूजा करना चाहती हैं.
सबरीमला के मामले में ये कहना की जो भी महिलाएं वहां जा रही हैं वो सिर्फ पब्लिसिटी के लिए जा रही हैं ये तो गलत होगा क्योंकि रजिस्ट्रेशन बताते हैं कि इनमें वो महिलाएं भी हैं जो सिर्फ श्रद्धा के लिए वहां जाना चाहती हैं. पर अभी भी मुद्दा यही है कि क्या वाकई महिलाओं को वहां जाने दिया जाएगा?
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