मोदी साहब के लिए बच्ची का संदेश सुनने के बाद कई सुझाव आए हैं
कहां हैं मोदी साहब? ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर हो रहे अत्याचार से त्रस्त एक छोटी बच्ची ने उनसे शिकायत की है. छोटी बच्ची की समस्या देश के कई बच्चों और उनके माता पिता की समस्या है और उन्हें इसका संज्ञान इसलिए लेना चाहिए क्योंकि इसके पीछे माकूल वजहें हैं.
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साल 2020 केवल बड़ों के लिए ही कष्टदायी नहीं है. बच्चे भी इससे उतना ही त्रस्त हैं जितना कि हम. क्यों ? वजह वही कोरोना वायरस. यूं तो भारत में कोरोना का पहला मामला जनवरी 2020 में केरल से आया मगर मार्च में जब पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू और फिर लॉक डाउन की घोषणा की यकीन हो गया कि स्थिति सामान्य होने में वक़्त लगेगा.
बड़ों के लिए तो फिर भी परिस्थिति के साथ तालमेल बैठाना आसान था मगर इस कोरोना ने जिन्हें सबसे ज्यादा मुसीबत में डाला वो बच्चे हैं. बच्चे, जिनके सर्वांगीण विकास के लिए खेल कूद बहुत जरूरी है घरों में कैद हैं. पढ़ाई चल रही है लेकिन ऑनलाइन. और साथ ही होम वर्क इतना कि पूछिये मत. इस ऑनलाइन पढ़ाई और बढ़े हुए होमवर्क से बच्चे किस हद तक दुखी हैं गर जो इस बात का समझना हो तो हम जम्मू कश्मीर की उस प्यारी सी बच्ची का रुख कर सकते हैं जिसने पीएम मोदी से शिकायत की है और अपना दुख साझा करते हुए बच्चे की समस्या पर कुछ करने के लिए कहा है.
जम्मू कश्मीर की 6 साल की बच्ची ने ऑनलाइन पढ़ाई का जो मुद्दा उठाया है उसपर पूरे देश को ध्यान देना चाहिए
बताते चलें कि वायरल हुए इस वीडियो में बच्ची पीएम मोदी से ऑनलाइन क्लास के दौरान मिल रहे ज्यादा होमवर्क को कम करने की अपील कर रही है. वीडियो हर एक की तरह जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास भी पहुंचा है. मनोज सिन्हा को इस प्यारी बच्ची की समस्या गंभीर लगी है और उन्होंने स्कूली बच्चों पर होमवर्क का बोझ कम करने के लिए शिक्षा विभाग को 48 घंटे के भीतर नीति बनाने का निर्देश दिया है.
माना जा रहा है कि मनोज सिन्हा के हस्तक्षेप के बाद जम्मू कश्मीर के स्कूलों में पढ़ाई कर रहे बच्चों के अच्छे दिन अवश्य आएंगे. बात जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के ट्वीट की हो तो उन्होंने इस बेहद क्यूट से वीडियो पर रियेक्ट करते हुए लिखा है कि, बहुत ही प्यारी शिकायत. स्कूली बच्चों पर होमवर्क का बोझ कम करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को 48 घंटे के भीतर नीति बनाने का निर्देश दिया है. साथ ही उन्होंने ये भी लिखा है कि,'बचपन की मासूमियत भगवान का उपहार है और उनके दिन जीवंत, आनंद और आनंद से भरे होने चाहिए.
Very adorable complaint. Have directed the school education department to come out with a policy within 48 hours to lighten burden of homework on school kids. Childhood innocence is gift of God and their days should be lively, full of joy and bliss. https://t.co/8H6rWEGlDa
— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) May 31, 2021
वीडियो में बच्ची बता रही है कि उसकी क्लास सुबह 10 बजे से चलती है जो कि दो बजे तक होती है. इस दौरान इस छोटी सी जान को मैथ्स, इंग्लिश, उर्दू और ईवीएस पढ़ना पड़ता है. वीडियो में बच्ची पीएम मोदी से संबोधित है और कह रही है कि 'मोदी साहब बच्चों को आखिर इतना काम क्यों करना पड़ता है. इसके अलावा भी बच्ची ने तमाम बातें की हैं और कहीं न कहीं हर उस बच्चे का दर्द साझा किया है जो घर पर है और ज़ूम या गूगल मीट पर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है.
कोई भी इस वीडियो को देखेगा तो उसे बच्ची की अदाएं क्यूट और समस्या शायद बहुत ही साधारण लगे. मगर क्या ये समस्या एक साधारण समस्या है? सीधा जवाब है नहीं. वजह तमाम हैं. आप ऐसे किसी भी मां बाप से बात करें जिनका बच्चा ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है तो आपको महसूस होगा कि उनके सामने दुखों का पहाड़ है. हर बदलते दिन के साथ उन्हें नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कभी वो नेटवर्क कवरेज सही न मिल पाने से परेशान हैं तो कभी वो डिवाइस की कमी के चलते अपने अपने बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ हैं.
हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि इस छह साल की बच्ची का दर्द एक गंभीर समस्या है. हमने टीचर्स और छोटे बच्चों के माता पिता दोनों ही पक्षों से बात की है. इन बातों को पीएम मोदी को समझना चाहिए और कुछ ऐसे इंतजाम करने चाहिए जिससे बच्चों की तकलीफ दूर हो.
ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर क्या कह रहे हैं माता पिता
दिल्ली के रहने वाले रविंद्र कि मानें तो पहले पता नहीं चलता था कि टीचर कैसे पढ़ा रही हैं. अब सुबह से शाम तक बच्चा पढ़ रहा होता है. आखों पर स्ट्रेस पड़ता है. क्लास टाइमिंग बढ़ गई है. बच्चों में पढ़ाई का डर खत्म हो गया मौका मिला नहीं कि वो गेम खेलने लगते हैं. कई बार क्लास छोड़कर वे मोबाइल में कुछ और देख रहे होते हैं. जैसे- यूट्यूब.
अब वे क्लास के बाद भी ज्यादा मोबाइल भी लगे रहते हैं. फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है. होमवर्क में दिक्कत होती है. जब कुछ समझ नहीं आता तो. ऑनलाइन क्लास में कुछ सारे बच्चे सवाल नहीं पूछ पाते हैं. कई स्कूलों तो पूरी फीस ले रहे हैं. बार-बार चेक करना पड़ता है कि वे मोबाइल में क्लास कर रहे हैं या गेम खेल रहे हैं.
दिल्ली स्थित रोहिणी से ख़ुशी का कहना है कि, अभी तो ऑनलाइन क्लास बंद है. मैं तो स्कूल के भरोसे नहीं रह सकती. ऐसे टाइम में क्या कर सकते हैं. खुद ही टाइम बनाकर मेरी बेटी को पढ़ाती हूं. पहले इतनी चिंता नहीं होती थी अब क्लास और होमवर्क दो टाइम की शिफ्ट लगती है मेरी.
बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के मद्देनजर जयपुर निवासी रीता के अपने तर्क हैं. रीता का कहना है कि, जो बच्चे स्कूल सिर्फ एक या दो महीने गए हैं. वो ऑनलाइन क्साल करना नहीं चाहते. बच्चे बोर हो जाते हैं. छोटे बच्चों को ऑनलाइन कुछ समझ नहीं आता. होमवर्क कराने में दिक्कत होती है. बच्चे स्ट्रेस में आ रहे हैं. उन्हें डिप्रेशन हो रहा है.
क्या बोल रहे हैं स्टूडेंट्स
कक्षा 5 के छात्र प्रत्यूष ऑनलाइन पढ़ाई से बहुत ज्यादा खफा हैं. प्रत्यूष का कहना है कि रोज-रोज क्लास करके दिमाग खराब हो जाता है. मुझे नींद आने लगती है, दिनभर सभी लोग पढ़ो-पढ़ो बोलते हैं. ये लर्न करो, राइटिंग कंप्लीट करो. मुझे नींद आने लगती है.
एक दिन छुट्टी होनी चाहिए फिर क्लास फिर छुट्टी फिर क्लास.
अब तो मोबाइल देखने का भी मन नहीं करता. मैं बोर हो जाता हूं क्या करूं. जब लॉकडाउन है तो पढ़ाई कम नहीं कर सकते क्या, सबकी बंद है लेकिन पढ़ाई चालू, टेस्ट चालू. ट्यूशन भी करना पड़ता है.
अलग चुनौतियों का सामना कर रहे हैं टीचर्स
स्कूल टीचर लोपा नाथ कि मानें तो, हमारे ऊपर भी काम बढ़ गया है. कॉपी चेक करना, नंबर देना सारे काम मोबाइल में ही करना पड़ता है. आंखें दर्द हो जाती हैं. बच्चों को कुछ एक्टिविटी कराने की सोचो तो सारी चीजें ऑनलाइन नहीं कर सकते.
हमारी छुट्टी भी नहीं होती. स्कूल का और घर को दोनों काम करना पड़ता है. रोजाना के क्लासेस कम करने होंगे ताकि बच्चों का बोझ कम हो.
साथ ही एक दिन पढ़ाई की बात ना करके उनका मनोरंजन करना होगा. लेकिन सिलेबस इतना है कि फिर पूरा करने की चिंता. सिलेबस थोेड़ा हल्का किया जा सकता है.
वो तमाम लोग जो जम्मू कश्मीर की इस बच्ची के इस क्यूट से वीडियो पर चुटकी ले रहे हैं. उसकी बातों को बहाना बता रहे हैं उन्हें समझ लेना चाहिए कि ये बातें कोई मजाक नहीं हैं. बच्ची की बातों में दर्द और अंदाज में बेबसी है. चाहे जम्मू कश्मीर की ये बच्ची हो या हमारे आपके घरों में हाथ में मोबाइल लेकर ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले बच्चे देश के प्रधानमंत्री को इस दिशा में जितनी जल्दी हो सके ध्यान देना चाहिए और देश के तमाम बच्चों के कष्टों का निवारण करना चाहिए.
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