राष्ट्रगान पर खड़े होने की बहस में पीरियड का बहाना क्यों?
अब बात जब देशभक्ति से पीरियड की तरफ मुड़ ही गई तो सबरीमाला का जिक्र तो आना ही था. बात तो उठेगी ही कि मंदिर में प्रवेश को लेकर पीरियड मायने नहीं रखते, लेकिन राष्ट्रगान पर खड़े न होने के लिए पीरियड बहुत बड़ी चीज हो गया.
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जब से फिल्म थिएटर में फिल्म शुरू होने से पहले राषट्रगान बजना शुरू हुआ है तब से गाहे-बहागे इसपर कोई न कोई बहस होती आई है. ताजा मामला बेंगलुरु के एक सिनेमा हॉल से आया है जहां राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं होने पर एक परिवार के साथ जमकर बहस की जा रही है. और बहस करने वाले हैं कन्नड़ अभिनेत्री बीवी ऐश्वर्या और एक्टर अरुण गौड़ा. ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह ये लोग उस परिवार को राष्ट्रगान के लिए खड़ा न होने पर उलझ रहे हैं.
ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है
राष्ट्रगान पर खड़े होना, न होना मर्जी हो सकती है लेकिन अंजाम अच्छा नहीं होता
ये लोग जो खड़े नहीं हुए उसमें दो महिलाएं प्रमुखता दे दिखाई दे रही हैं, उनका कहना है कि राष्ट्रगान पर खड़े हों न हों ये उनकी मर्जी है. तब उन्हें जवाब मिलता है कि उन्हें शर्म आनी चाहिए. साथ ही ये भी पूछा गया कि क्या वो पाकिस्तानी हैं? भारत माता की जय के नारे लगे. उन्हें कहा गया कि आप 52 सेकंड के लिए राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं हो सकते और 3 घंटे की फिल्म देख सकते हैं. 150 रुपए का टिकट खरीद सकते हैं 52 सेकंड के लिए खड़े नहीं हो सकते ??
If you can’t stand for just 52 seconds for National Anthem, you can never stand for India.
It’s good that these anti national people are exposing themselves these days.
People make them famous pic.twitter.com/8yzUq7Lf8E
— Amit Agarwal (@AmitAgarwal9) October 28, 2019
भीड़ का कहना था कि अगर आप खड़े नहीं हो सकते, तो यहां से चले जाओ. और आखिरकार वो लोग थिएटर छोड़कर चले गए. गनीमत इसी में थी कि वो थिएटर से चले गए नहीं तो ऐसे मामलों में तो हाथ-पाई तक की नौबत आ जाती है.
Continuation of the video pic.twitter.com/Zv7tqcxHd9
— Amit Agarwal (@AmitAgarwal9) October 28, 2019
खैर वीडियो के बाद से देशप्रेमी ऐश्वर्या और अरुण गौड़ा की तारीफों कर रहे हैं कि देश के प्रति सम्मान न रखने वाले के साथ उन्होंने अच्छा ही किया.
देशभक्ति में जब आया पीरियड वाला ट्विस्ट
लेकिन इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब एक महिला पत्रकार ज्योति यादव ने राष्ट्रीय गान पर खड़े न होने वाली महिला का पक्ष लेते हुए एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि- केरल में एक महिला पीरियड की वजह से राष्ट्रगान के लिए खड़ी नहीं हुई. और टीवी के कुछ सो कॉल्ड एक्टर्स ने उन्हें परेशान किया. लोग देशभक्ति के नाम पर इस bullying को सराह रहे हैं.क्या इन लोगों को पीरियड के दर्द का अहसास भी है?
A woman on her periods didn’t stand up for national anthem in Kerala and was bullied by a so called tv reality show star.
People are applauding this bullying in the name of patriotism. Does this guy realise the pain of cramps?
— Jyoti Yadav (@jyotiyadaav) October 28, 2019
जैसे ही ज्योति यादव ने एक महिला के न खड़े होने का कारण पीरियड को बताया. वो लोगों के निशाने पर तो आईं ही साथ ही बहुत सी महिलाओं ने भी ज्योति यादव को खूब सुनाया. क्योंकि उन्होंने पीरियड का नाम लेकर उस महिला का पक्ष लिया था. माना कि हर महिला को पीरियड में परेशानी होती है, लेकिन हर महिला अपने अपने हिसाब से उससे डील करती है. लेकिन पीरियड का नाम लेकर 52 सेकंड के लिए खड़े न हो सकने की दलील देना किसी के भी गले से नहीं उतरा.
ज्योति यादव की बातों पर जो सवाल खड़े हुए वो कुछ इस तरह से थे. एक महिला ने पूछा- 'क्या उसे थिएटर के अंदर आते ही पीरियड आए? अगर नहीं, तो सोच रही हूं कि कोई घर से थिएटर तक आ सकता है और मल्टीप्लेक्स में आने के लिए कुछ कदम पैदल भी चल सकता है और अचानक 52 सेकंड्स के लिए वो खड़ी भी न हो सकती?'
Did she get her period inside the theatre? If not, Just wondering if someone can travel from home, walk into the theatre (posibly quite a few steps if it were a multiplex) and then SUDDENLY be unable to stand for 52 seconds or so?
— Padma Pillai (@lotophagus) October 29, 2019
सवालों का उठना लाजिमी है कि अगर महिला को खड़े होने में इतनी परेशानी थी तो फिर वो थिएटर तक आई कैसे?
She reached theatre like this? right ? pic.twitter.com/sosdHzxoce
— Shash (@pokershash) October 28, 2019
महिलाओं का गुस्सा इस बात पर ज्यादा था कि पीरियड को एक बहाने के रूप में इस्तेमाल किया गया. एक महिला का कहना था कि- हजारों महिलाएं बॉर्डर पर पीरियड के दिनों में गर्मी, बारिश और ठंड में घंटो खड़ी रहती हैं, हमारे देश की रक्षा और मेरी और आपकी सुरक्षा के लिए. वो पीरियड के दर्द का बहना बनाकर कभी अपने काम के लिए मना नहीं करतीं. इसलिए ऐसे लोगों का बचाव मत करो जिनका बचाव न हो सके.
Thousnds of women on their periods stand for hours at the border under heat, rain or cold to defend our nation, to protect u n me. They never used cramps during periods as an excuse to not stand n protect u n me. Dont defend the indefensible. #JaiHind
— Hetal Oza (@hetal007_oza) October 28, 2019
एक महिला का कहना था कि पीरियड एक महिला की कमजोरी नहीं होते. यहां फीमेल कार्ड खेलने की कोशिश न की जाए. मुझे कभी पीरियड होने की शर्मिंदगी नहीं होती. दर्द हो तो मैं फिल्म देखने जाने के बजाए घर पर रहूंगी. और राष्ट्रगान के लिए मैं दर्द में, खुशी में गम में भी खड़ी रहूंगी.
Plzz... Periods are not weakness. Don't try to play female card here... M not ashamed of having periods and even if m in cramps I'll rather stay at home and not come for a movie.... And for National Anthem I can stay even if m in pain ,in grief or happy..
— Sejal Kulkarni (@sejalkulkarni21) October 29, 2019
अब बात जब देशभक्ति से पीरियड की तरफ मुड़ ही गई तो सबरीमाला का जिक्र तो आना ही था. बात तो उठेगी ही कि मंदिर में प्रवेश को लेकर पीरियड मायने नहीं रखते, लेकिन राष्ट्रगान पर खड़े न होने के लिए पीरियड बहुत बड़ी चीज हो गया.
ज्योति जी, आप सही कह रही हैं! उस महिला के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था!परन्तु sanitary pad को लेकर जब महिलाएं दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर (नाम नहीं लूंगा) में घुसने का प्रयत्न कर रही थीं,तब कहां थीं आप?उस दिन कुछ लिखा हो तो दिखाना जरा?किसी की आस्था पर चोट पहुंचाना ठीक नहीं था!
— मनोज हूँ ... (@alochak_manoj) October 29, 2019
साथ ही यहां ज्योति यादव को एक बात और याद दिलाई गई कि ये मामला केरल का नहीं बल्कि बैंगलुरू को है. और कन्नड़ करनाटक की भाषा है. यहां उन्हें ये बताने की कोशिश की गई कि किसी भी मामले पर बोलने से पहले ये भी जान लेना चाहिए कि आखिर मामला है कहां का.
Ohh wait ...didi kannada is karnataka's language ????????
— Jahnavi♥️???????? (@JaahnaviYadav) October 28, 2019
मॉरल ऑफ द स्टोरी ये है कि पारियड वास्तव में इतनी बड़ी चीज नहीं है कि उसे किसी भी मामले में excuse बनाकर पेश किया जाए. देशभक्ति अपनी जगह है, राष्ट्रगान पर खड़े होना या न खड़े होना किसी की भी मर्जी हो सकती है और इससे ये भी साबित नहीं होता कि वो शख्स सच्चा देशभक्त नहीं है, या कि वो हिंदुस्तानी नहीं है. जनवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया था कि किसी भी सिनेमाहॉल में राष्ट्रगान बजाए जाते समय खड़े होना अनिवार्य नहीं है. लेकिन खड़े न होने के लिए पीरियड का बहाना तो बिल्कुल ही अस्वीकार्य है. कोई भी कितना ही फेमिनिस्ट या कितना भी बड़ा पत्रकार क्यों न हो लेकिन कौन सी बात कहां कहनी है ये सोचना जरूरी है.
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