फेसबुक फॉलोअर्स ही घटे थे, लोगों की बैचेनी देखकर लगा बड़ी आफत आ गई!
फेसबुक पर दूसरों के फॉलोअर्स की संख्या हजारों में देखकर जो लोग जलते थे आज उनके कलेजे को ठंडक मिल गई होगी. वे मन ही मन सोच रहे होंगे कि अच्छा हुआ ये फॉलोअर्स के नाम पर बड़ा भाव खाते थे अब इनकी अक्ल ठिकाने आ गई. जब मार्क जुकरबर्ग के 9990 फॉलोअर्स ही बचे तो फिर ये लोग किस खेत की मूली हैं, बड़ा आए हुंहहह...
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फेसबुक (Facebook) पर झंडा गाड़ने वालों के फॉलोअर्स (Followers) ही उनकी असली कमाई हैं...मगर इतनी बेचैनी? उफ्फ...मानो जैसे बिजली का झटका लग गया हो. सुबह से देख रही हूं लोग फेसबुक पर अपना रोना रोए जा रहे हैं. हालांकि वे लोग मजे ले रहे हैं जिन्हें फॉलोअर्स पहले से ही कम थे.
वे लोग जो दूसरों के फॉलोअर्स की संख्या हजारों में देखकर जलते थे आज उनके कलेजे को ठंडक मिल गई होगी. वे मन ही मन सोच रहे होंगे कि अच्छा हुआ ये फॉलोअर्स के नाम पर बड़ा भाव खाते थे अब इनकी अक्ल ठिकाने आ गई. जब मार्क जुकरबर्ग के 9990 फॉलोअर्स ही बचे तो फिर ये लोग किस खेत की मूली हैं, बड़ा आए हुंहहह...
शायद, दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. एक जो छींकते भी फेसबुक पर हैं और खर्राटे भी फेसबुक पर ही लेते हैं. दूसरे वे जिन्हें फेसबुक के फ से भी मतलब नहीं है. पहले वालों का दर्द भला अब कौन समझेगा जिनकी जिंदगी की पूंजी कमाई की फेसबुक फॉलोअर्स हैं. वहीं दूसरे वालों खुशी में उनके जले पर नमक औऱ छिड़क रहे हैं. मतलब देखते-देखते ये समस्या नेशनल से होते हुए इंटरनेशनल बन गई है. इस पर ऐसे बात हो रही है जैसे यह आज की सबसे बड़ी समस्या बन गई है.
मार्क जुकरबर्ग के 9990 फॉलोअर्स ही बचे मगर कम फॉलोअर्स वालों को कोई फर्क नहीं पड़ा, उनके चेहरे पर तो संतोष का भाव है
कम फॉलोअर्स वालों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. उनके 2, 4 कम भी हो गए तो क्या हुआ. उनके चेहरे पर संतोष का भाव है, क्योंकि किसी ऐसे का भी फॉलोअर्स कम हो गया है जिसे वे पसंद नहीं करते हैं. वहीं कुछ लोग बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं. अब जिनके फॉलोर्स पहले से कम थे उन्हें यह कहने का बहाना मिल गया है कि उनके साथ भी एक रात में धोखा हो गया है. तभी तो उनके फॉलोअर्स बचे ही नहीं...
लोगों के रिएक्शन क्या रहे?
सिद्धार्थ ने लिखा है कि अपने फॉलोअर्स डटे हुए हैं. हमने गिन लिया है. जल्दी ही रात्रि भोज होगा. दूसरे ने लिखा है मेरे फॉलोअर्स घटे नहीं है पहले से ही कम हैं. वहीं अनु ने लिखा है कि हम रात में जब भाई का बड्डे मना रहे थे उस वक्त हमारे फॉलोअर्स घट रहे थे. वहीं शंभुनाथ शुक्ला ने लिखा है कि अब तो फेसबुक पर लिखाई बंद करनी पड़ेगी, पता चला आज फॉलोअर्स गायब कल सारा माल गायब. सुजाता लिखती हैं कि अपना कर्म करते रहिए बस. वहीं प्रभास मिश्रा कहते हैं कि लगता है नजर उतरवानी पड़ेगी. इन सबमें मजा उनको आ रहा है जिन्हें फेसबुक की दुनिया से कोई मतलब नहीं है. जो सोशल मीडिया की लड़ाई-झगड़े से दूर रहते हैं. वे आज दूर कहीं कोने में बैठकर मन ही मन खूब आनंद ले रहे होंगे.
एक ने लिखा भी है कि अच्छा लोग अपने फ़ॉलोवर कब चैक करते हैं? मतलब सुबह सुबह उठकर या रात को सोनें के पहले? निशा ने भी मजे लेते हुए लिखा है कि फॉलोअर सब मेरे खेमे में आ गए हैं, और सबका लिखा भी हमारे पास मौजूद है! वहीं कुछ महिलाओं का कहना है कि हमें कौन से फॉलोअर्स से फर्क पड़ता है हमें तो झाड़ू पोछा खुद ही करना पड़ता है. कौन सा फॉलोअर्स आकर हमारा काम कर देते हैं? वहीं आवेश तिवारी ने लिखा है कि 10 साल पहले किसी ने न सोचा था कि एफबी पर फॉलोवर्स घटना अंतराष्ट्रीय समस्या हो जाएगी.
इस पर मो. जाहिद ने लिखा है कि फालोवर्स की गिनती जुकरबर्ग ईवीएम से कर रहा है. ललित मोहन गोयल लिखते हैं कि चिंता ना करें देश हित में followers की ड्यूटी थोड़े समय के लिए स्वच्छ भारत अभियान में लगाई गई है. फरहद ने तो हद ही कर है उसने लिखा है कि मोदा है तो मुमकिन है. अबू का कहना है कि अब प्रत्येक फॉलोवर को पेटीएम करना ज़रूरी बना दिया गया है. वहीं मनीषा अवस्थी लिखती हैं कि भारत जोड़ो यात्रा का असर है.
फेसबुक की दुनिया से दूर रहने वाले कह रहे हैं कि उन्हें फॉलोअर्स की चिंता नहीं है क्योंकि उनकी असल जिंदगी में जानने वाले अपने लोग हैं. इसलिए उन्हें ये सोशल मीडिया पर दोस्त खोजने की जरूरत नहीं पड़ती है. शायद ये बातें वे अपने मन को तसल्ली देने के लिए कर रहे हैं या फिर फेसबुक लवर्स को ताना मारने के लिए...वैसे भी कहा जाता है कि तमाशा देखने में बहुत मजा आता है.
फेसबुक पर कुछ लोग लिखते हैं, अपनी बात रखते हैं. वहीं कुछ लोग दूसरों की जिंदगी में तांक-झांक करने के लिए रहते हैं. कुछ ऐसे होते हैं जो कभी कोई पोस्ट नहीं करते हैं ना ही किसी की पोस्ट लाइक करते हैं. कुछ ऐसे होते हैं जो फेसबुक पर सिर्फ दूसरों की प्रोफाइल देखते हैं. ऐसे प्राणी को कोई फॉलो भी नहीं करता. कभी-कभी ये लड़कियों की फोटो पर नाइस पिक लिख कर भाग आते हैं.
वैसे अच्छा हुआ कि फेसबुक ने अपनी गलती की सुधार ली है. शायद फॉलोर्स का कम होना कोई कोई टेक्निकल दिक्कत थी. वरना फेसबुक पर ही विरोध शुरु हो जाता. अब ये खबर हर मिनट फेसबुक चेक करने वालों तक तो पहुंच ही चुकी होगी...फॉलोअर्स की संख्या देखकर अब जाकर उनके जान में जान आई होगी, है ना?
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