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Updated: 30 जनवरी, 2018 07:06 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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भारत में चाहें जुगाड़ हो या फिर आविष्कार दोनों को ही ज्यादा भाव नहीं दिया जाता. बस लोग अगर इस्तेमाल कर रहे हैं मतलब आविष्कार सफल रहा. वो चाहें पत्तल हो, चारपाई हो या फिर लुंगी.

एक लुंगी जो भारत में 100 रुपए (कुछ मार्केट्स में इससे भी सस्ती मिल सकती है) में मिल जाती है वही अगर कोई आपसे 6000 रुपए में खरीदने के लिए कहे तो? ब्रिटेन में जारा बेवसाइट में एक स्कर्ट बिकने के लिए तैयार है. ये स्कर्ट ध्यान से देखने पर भारतीय लुंगी की तरह लग रही है. इसे बहुत ही खूबसूरती से डिस्क्राइब किया गया है. फ्रंट स्लिट (फटी हुई) के साथ-साथ फ्रंट फॉल भी है. ये स्कर्ट भारतीय मुद्रा के हिसाब से लगभग 6000 रुपए में बेची जा रही है.

जारा, लुंगी, सोशल मीडिया, फैशन, भारत

भारत सहित दुनिया भर में ब्रैंड ZARA बहुत लोकप्रिय है. और इस ब्रैंड के कपड़े खरीदने के लिए लड़कियां थोड़ी ज्यादा ही उत्सुक रहती हैं. सरोजिनी मार्केट में मिलने वाली जारा की टीशर्ट और जारा में मिलने वाली जारा की टीशर्ट में कीमत के हिसाब से फर्क बहुत कम होता है. अब ये तो यकीनन कहने वाली बात है कि भारतीय फैशन ने एक लंबी उड़ान भरी है जो ब्रिटेन तक जाते-जाते हमारी आम लुंगी भी खास हो गई है.

ट्विटर पर लोग कुछ इस तरह के रिएक्शन दे रहे हैं...

 

और भी हैं ऐसे उदाहरण...

दोने और पत्तल पर लगाई जर्मन इंजीनियरिंग...

जी हां. किकस्टार्टर फंडेड एक कंपनी LEAF (लीफ यानि पत्तियां) ने भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्तल का पूरा सेट बनाया जिसे बायोडिग्रेडेबल बनाया गया (जैसे पहले ये नष्ट नहीं होता था.) और साथ ही साथ इसके बारे में उनका अपना लॉजिक भी है.

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इस पत्तल के सेट की कीमत जानकर आप हैरान हो जाएंगे. यकीनन £8.50 प्रति प्लेट. पूरे सेट की कीमत खुद ही सोच लीजीए. £8.50 यानि 711.2 रुपए का एक पत्तल.

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किकस्टार्टर में अपने अनोखे कॉन्सेप्ट के कारण इस कंपनी को काफी फंडिंग मिली और तीन साल की रिसर्च के बाद ये पत्तल तैयार किए गए.

ऑस्ट्रेलिया में 65 हज़ार की चारपाई...

कुछ समय पहले इस चारपाई की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही थी. ऑस्ट्रेलिया में भारत की चारपाई 990 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानि 64,786 रुपए में बेची जा रही थी.

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बात अगर इस चारपाई को बेचने वाले डैनियल के विचार पर हो तो मिलता है कि ये आईडिया उन्हें तब आया जब एक बार वो घूमने भारत आए थे. डैनियल को भारतीय चारपाई का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा लगा और तभी उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उनके देश में इसे हाथों हाथ लिया जाएगा और इस तरह उन्होंने सोशल मीडिया की मदद लेते हुए अपने कारोबार को अमली जामा पहनाया.

आज हमारी चारपाई विदेशों में बिक रही है. ऐसे में अगर देखा जाए तो हम भारतीयों के लिए ये एक आम सी खबर हो सकती है. या ये भी हो सकता है कि हममें से कुछ लोग इसको देखकर खुश हो जाएं और ऑस्ट्रेलिया के डैनियल की इस पहल की जम कर तारीफ करें. या फिर ये भी संभव है कि हममें से कुछ लोग इसे देखकर ये सोचते हुए आहत हो जाएं कि कैसे कोई हमारी चीज को अपनी ब्रांडिंग से इस तरह बेच सकता है.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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