आशिया से निकाह के बाद बुजर्ग ने कहा जोड़े आसमान में बनते हैं, अंधेरों को हम सुबह कैसे कहें?
शमशाद को जब 18 साल की आशिया को बीवी ही बनाना था तो उनसे क्या ही उम्मीद करें? सोचिए अगर आशिया 10 साल की होती तो? क्या तब भी शमशाद खुदा का शुक्र करते?
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कहते हैं कि जोड़ियां ऊपर से बनती हैं, लेकिन इस निकाह को देखकर शायद ही कोई कहेगा कि यह खुदा की मर्जी होगी. पाकिस्तान (Pakistan) में एक 18 साल की लड़की का निकाह 61 साल के बुजुर्ग शमशाद से करा दिया गया, भला यह कुदरत कैसे चाह सकता है, जब यह कुदरती है ही नहीं.
एक मासूम जिसने अभी दुनिया देखी भी नहीं, क्या उसने सच में इस बुजुर्ग से सिर्फ मोहब्बत के लिए शादी कर ली? क्या 18 की उम्र में जीवनसाथी चुनने की समझ पैदा हो जाती है? मान लीजिए अगर वह 8 साल की होती तो? क्या तब भी इस निकाह को प्रेम के शब्दों में पिरोया जाता? जो भी हो इस जाहिलीयत को प्यार और रब की मर्जी का नाम तो नहीं दे सकते हैं.
रावलपिंडी की रहने वाली आशिया को अपने दादा की उम्र के इंसान से प्यार हो गया, सच में?
क्या रावलपिंडी की रहने वाली आशिया को अपने दादा की उम्र के इंसान से इतना प्यार हो गया? वह दिखने में बला की खूबसूरत है. उसमें कोई कमी नहीं. उसे तो कोई भी मिल जाता, फिर उसने इस बुजुर्ग से निकाह क्यों किया? अगर उसने यह निहा खुशी से किया है तो उसके चेहरे पर प्यार वाला वह नूर क्यों नहीं दिख रहा है?
पाकिस्तान के यू ट्यूब चैनल से बात करते हुए आशिया कहती है कि, मुझे इनकी आदत अच्छी लगी. ये रावलपिंडी की गरीब लड़कियों का निकाह कराते थे. मैने इनसे एक-दो बार मिली तो मुझे सुकून लगा. इसके बाद मैंने इनसे निकाह करने का सोचा. निकाह के बाद वह कहती है कि यह मुझे ये किसी चीज की कमी नहीं होने देते और मेरे परिवार का ख्याल रखते हैं. मेरे भाई-बहनों का भी ख्याल रखते हैं. मुझे जो चाहिए वे लाकर देते हैं.
लड़कियां क्या महज चीजों के लिए शादी करती हैं? आशिया की बातों से जो झलक रहा है उसे समझने की कोशिश ही नहीं की गई. इन निकाह के दो पहलू दिख रहे हैं. जिसमें आशिया और शमशाद के निकाह को प्रेम विवाह का नाम दिया जा रहा है. जबकि हो सकता है कि इसका दूसरी पहलू कुछ और हो, जो लोगों के सामने न आया हो. जिस तरह आलिया अपने शौहर के उपकारों के बारे में बता रही है, ऐसा लग रहा है कि वह पति के एहसान के तले दबी है या फिर वह उससे ऐसा प्रभावति है जैसे वह कोई इंसान नहीं, मसीहा हो. जो लोगों की मदद करता है.
अगर कोई इंसान अच्छा काम करता है तो हम उसे पसंद कर सकते हैं. हम उसे खुदा मानकर इबादत भी कर सकते हैं, लेकिन उससे शादी की बात हजम नहीं होती. ऐसा लगता है कि आशिया अपने शौहर शमशाद से काफी प्रभावित हैं. वह कहती हैं कि मोहल्ले के लोग शमशाद के बारे में अच्छी बातें कहते. आशिया की बातों से लगता है कि वह प्रेमी नहीं किसी फरिश्ता की बातें कर रही हों. कई लोग इस शादी को सही बता रहे हैं, लेकिन उस लड़की का भविष्य क्या होगा जो अपने शौहर से 43 साल छोटी है? जो भी हो इसे खुशनसीबी तो नहीं कहा जा सकता...
वहीं शमशाद का कहना है कि 'जोड़ियां आसमान में बनती हैं. जो कुदरत की तरफ से होना होता है, वो हो जाता है. अल्लाह का शुक्र है, मैं खुशनसीब हूं कि इस उम्र में भी इतना ध्यान रखने वाली बीवी मिली. ये ऊपरवाले का करम है कि आशिया मेरा बहुत ध्यान रखती हैं. मेरे लिए स्वादिष्ट खाना बनाती हैं. मेरी सेवा करती हैं, मेरा सम्मान करती हैं. इनके हिसाब से एक पत्नी इसलिए ही होती है.
अगर आशिया को उनसे प्यार हो गया था तो भी उसकी भलाई का सोच वे इस शादी के लिए मना कर सकते थे. अगर वे इतने ही अच्छे हैं तो वे आशिया को समझा सकता थे कि किसी को पसंद करने का मतलब उससे निकाह कर लेना नहीं होता है.
मगर शमशाद को जब 18 साल की आशिया को बीवी ही बनाना था तो उनसे क्या ही उम्मीद करें? सोचिए अगर आशिया 10 साल की होती तो? क्या तब भी शमशाद खुदा का शुक्र करते? जिसका मन करे वह इस शादी की वाहवाही करे, लेकिन मैं जानती हूं कि 18 साल की लड़की के सपने जो भी हों, कम से कम यह तो नहीं होते...आखिर, मैं इन अंधेरों को सुबक कैसे कहूं...
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