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Updated: 30 अगस्त, 2022 03:57 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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फैशन इंडस्ट्री या मॉडलिंग की दुनिया में सुंदरता की परिभाषा क्या है? उसका पैमाना क्या है? किलो दो किलो मेक-अप पोत लेना. रैंप पर आना. बेधड़क रैम्प पर वॉक करना और महफ़िल लूट लेना. अब तक यही हुआ है. लेकिन भविष्य में भी ऐसा हो? ये एक मुश्किल प्रश्न है. वजह हैं लंदन की 20 साल की मॉडल मेलिसा रऊफ, जिन्होंने वो कर दिया जिसे सुनकर हर वो इंसान हैरत में आ गया. जो एक इंडस्ट्री के रूप में या तो फैशन जगत को जानता है या फिर जिसे फैशन और मेक अप / स्टाइलिंग की थोड़ी बहुत समझ है. मेलिसा रऊफ मिस इंग्लैंड प्रतियोगिता में बिना मेकअप के रैंप वॉक करने वाली पहली कंटेस्टेंट बनी हैं. दिलचस्प ये कि सौंदर्य प्रतियोगिता के 94 साल के इतिहास में ये पहली बार हुआ है, जब 'नेचुरल ब्यूटी' को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से न केवल किसी कंटेस्टेंट ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया बल्कि इतिहास भी रचा.

Fairness, Beautiful, England, India, Market, Fashion, Glamour, Economy, Modellingमॉडल मेलिसा रऊफ ने जिस तरह बिना मेक अप के सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया पूरा फैशन जगत सकते में है

अपने इस अंदाज को लेकर खुद मेलिसा भी काफी उत्साहित हैं. मेलिसा के अनुसार उनका लक्ष्य अन्य महिलाओं और युवा लड़कियों को अपनी नेचुरल ब्यूटी दिखाने के लिए प्रोत्साहित करना है. अपने इसी विचार को ध्यान में रखकर मेलिसा अपने कम्पटीशन के सेमिफाइनल में बिना मेक अप के पहुंची और उन्होंने जजों पर भी अपनी छाप छोड़ी. मेलिसा अपनी इस मुहीम के लिए कितनी गंभीर हैं? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो प्रतियोगिता के फाइनल में भी कुछ इसी अंदाज में पहुंचने वाली हैं.

आगामी 17 अक्टूबर 2022 को इस बात का फैसला होगा कि 40 महिलाओं के साथ कॉम्पिटिशन करने वाली मेलिसा मिस इंग्लैंड का ताज अपने नाम कर पाएंगी या नहीं? लेकिन उनके इस कदम की जमकर सराहना हो रही है. चूंकि मेलिसा ने 2019 में प्रतियोगिता में जोड़े गए 'बेयर फेस' राउंड को भी जीता है इसलिए मन यही जा रहा है कि मेलिसा का ये कदम फैशन जगत के लिहाज से एक बड़ी क्रांति है.

मेलिसा के इस कदम पर प्रतियोगिता की आयोजक एंजी बेस्ली ने भी अपना पक्ष रखा है. बेस्ली ने कहा है कि, 'यह महिलाओं को यह दिखाने के लिए मोटिवेट करता है कि बिना मेकअप में छिपे वह वास्तव में क्या हैं दुनिया को बता सकती हैं. मेलिसा की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए बेस्ली ये तक कहने से नहीं चूकि कि पहली बार ऐसा हुआ है जब मैंने किसी कंटेस्टेंट को सेमीफाइनल में पूरी तरह से मेकअप-मुक्त होकर अपने प्रतिद्वंदियों को टफ कम्पटीशन देते देखा. बताया तो यहां तकजा रहा है कि अन्य कंटेस्टेंट के मुकाबले मेलिसा कहीं ज्यादा कॉन्फिडेंस थीं.

कॉम्पटीशन को लेकर मिरर में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई है जिसमें मेलिसा ने इस बात को स्वीकार किया है कि वो जिस मुकाम पर पहुंची हैं वहां तक आने के लिए उन्हें तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. 20 साल की मेलिसा का मानना है कि अगर कोई अपनी नेचुरल स्किन से खुश है तो उसे मेकअप से चेहरे को ढकने की जरूरत नहीं है.

बात मेलिसा ने बिलकुल सही कह है लेकिन क्या उनकी बातें एक इंडस्ट्री के लिहाज से फैशन जगत के लिए उतनी ही सहज हैं? जवाब है नहीं. चाहे वो मिस यूनिवर्स हो या फिर मिस वर्ल्ड और बाकी की प्रतियोगिताएं. हम किसी भी प्रतियोगिता का रुख करते हैं तो मिलता यही है कि ऐसी तमाम प्रतियोगिताएं मेकअप और फैशन कंपनियों के भरोसे चल रही हैं. बाजार कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2019 में वैश्विक सौंदर्य प्रसाधन बाजार का आकार 380.2 बिलियन डॉलर था, जो कि 2027 तक 463.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.

अब सवाल ये भी है कि क्या सौंदर्य प्रतियोगिताएं किसी कंटेस्टेंट के मेकअप लेस होने का रिस्क बर्दास्त कर पाएंगी? इस सवाल का क्या जवाब है. हमें पता है. विषय बहुत सीधा है. अगर ऐसे मामले इक्का दुक्का रहें तो इसमें टेंशन लेने की कोई बात नहीं है. लेकिन मामला चिंता का विषय तब बनेगा जब मेलिसा की ये मुहीम एक ट्रेंड का रूप लेकर फैशन इंडस्ट्री और पूरे कॉस्मेटिक उद्योग को प्रभावित करेगी.

मेलिसा ने फैशन के लिहाज से अपनी तरह के अनोखे एक ट्रेंड का श्री गणेश तो कर दिया है मगर उन तमाम कंपनियों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है जो गोरेपन और सुंदरता का नाम देकर न केवल अन्य लड़कियों को झूठे सपने दिखा रही हैं बल्कि अरबों की कमाई कर रही हैं.

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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