वो हमारा इलाज कर सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बन सकते
कोलकाता में चार डॉक्टरों को सिर्फ इसलिए घर से निकाला जा रहा है क्योंकि वो मुस्लिम हैं. पड़ोसियों का कहना है कि जब हम बीमार पड़ें तो वो हमारा इलाज कर सकते हैं, लेकिन हमारे पड़ोसी नहीं बन सकते.
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हमारे देश में हिंदू-मुस्लिम का मामला बड़ा ही अजीब है. एक तरफ तो सौहाद्र की बात करते हैं और दूसरी तरफ असल जिंदगी में एक दूसरे को बर्दाश्त तक नहीं कर सकते. भारत में ऐसे किस्से भी मिल जाएंगे जहां एक हिंदू ने किसी मुस्लिम के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी या फिर किसी मुस्लिम ने किसी हिंदू के लिए अपना सब कुछ लुटा दिया और साथ ही ऐसे किस्से भी मिल जाएंगे जहां हिंदू-मुस्लिम एक दूसरे को मारने पर उतारू हैं.
ये सिर्फ छोटे तब्के के लोगों के साथ ही नहीं है बल्कि ये असल में पढ़े-लिखे समाज की भी हालत है. ऐसा ही एक पढ़ा-लिखा किस्सा सामने आया है कोलकाता से. जहां चार डॉक्टरों को सिर्फ इसलिए घर खाली करने को कहा जा रहा है क्योंकि वो मुस्लिम हैं.
आफताब आलम, मोज्तबा हसन, नासिर शेख और शौकत शेख ये नाम हैं उन चार डॉक्टरों के जो कोलकाता के कुदघाट इलाके के अपने फ्लैट में अब कुछ दिन गिन रहे हैं बस. उन्हें उनके घर से निकलने का नोटिस दे दिया गया है. ये लोग मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के छात्र रह चुके हैं और फिलहाल अलग-अलग अस्पतालों में काम करते हैं.
आफताब आलम, शौकत शेख और नासिर शेख
अब इन्हें सिर्फ इसलिए निकाला जा रहा है क्योंकि ये मुस्लिम हैं. अब इन लोगों ने सांघाटी अभिजान नाम की एक संस्था की मदद लेने की कोशिश की है. ये संस्था पड़ोस वालों और स्थानीय मुनिसिपल काउंसिलर से बात कर रही है.
क्या है मामला..
ये चार डॉक्टर दो महीने पहले ही कुदघाट इलाके में रहने आए थे. मकान मालिक को कोई समस्या नहीं थी, लेकिन आस-पड़ोस वालों का व्यवहार देखकर उन्हें भी अब अपने फैसले पर शक होने लगा है.
आस-पड़ोस वालों ने दिन पर दिन हालत और खराब कर दी है. हावड़ा जिले के रहने वाले आलम का कहना है कि, "हाल ही में हमारे घर एक दोस्त आया था. उसे कुछ पड़ोसियों ने परेशान किया. उससे आईडी प्रूफ मांगा गया. एक पड़ोसी हमसे कह रहा था कि हम कहीं और घर ढूंढ लें."
आलम ने बताया कि उन्हें कई मकानमालिकों ने घर देने से मना कर दिया था सिर्फ उनके धर्म के कारण.
इन लोगों ने अभी भी घर खाली नहीं किया है, लेकिन अब मकान मालिक भी प्रेशर झेलने से डर रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ लोगों ने इस मामले में मकान मालिक से बात की कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था.
उन चारों डॉक्टरों का आरोप है कि पड़ोसी उनसे कहते हैं कि, 'वो तब हमारा इलाज तो कर सकते हैं जब हम बीमार हों, लेकिन हमारे पड़ोस में नहीं रह सकते.' ये तो भई गजब बात हुई. जब काम पड़े तब वो काम कर लें और बाकी समय उन्हें आस-पास बर्दाश्त भी नहीं कर सकते. ऊपर से ये कहना कि जब हम बीमार पड़ें तब वो हमारा इलाज कर लें ये तो सरासर गलत है. यानि अपना इलाज करवाकर आप उस मुस्लिम डॉक्टर पर अहसान कर रहे हैं. जब आपकी जान जा रही होगी तो वो मुस्लिम डॉक्टर मदद करेगा और इससे आप उसपर अहसान करेंगे.
अजीब दुविधा है हिंदुस्तान की भी कि यहां इंसान सिर्फ धर्म के नाम पर ही बड़ा और छोटा दिखता है कर्म के नाम पर नहीं. यहां इंसान के जन्म लेते ही ये तय कर दिया जाता है कि वो क्या आतंकवादी है या फिर गौरक्षक. ये कैसा समाज है हमारा जहां चार डॉक्टर जो लोगों की जान बचाते हैं उन्हें सिर छुपाने की जगह नहीं मिल रही.
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