5 ट्रेनों ने रेलवे का चेहरा बदला, लेकिन 5 समस्याओं ने उसे और बदसूरत बना दिया
पांच नई ट्रेनें चलाकर मोदी जी को अपने सपने साकार होते नजर आने भी लगे थे, लेकिन कहते हैं कि कुछ ख्वाब ख्वाब ही रहते हैं, तो रेलवे की सूरत बदलने का ये ख्वाब मोदी जी के लिए बुरा स्वप्न बन गया.
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मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में भारतीय रेलवे को यात्रियों के लिए सुलभ बनाने का ख्वाब देखा. इस ख्वाब को पूरा करने के लिए उनके साथ थे पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु और वर्तमान में पियूष गोयल. अपने चार साल के कार्यकाल में पांच नई ट्रेनें चलाकर मोदी जी को अपने सपने साकार होते नजर आने भी लगे थे, लेकिन कहते हैं कि कुछ ख्वाब ख्वाब ही रहते हैं, तो रेलवे की सूरत बदलने का ये ख्वाब मोदी जी के लिए बुरा स्वप्न बन गया.
पहले जान लेतें हैं मोदी सरकार द्वारा चलाई गई पांच हाई-स्पीड और एक्सप्रेस ट्रेनों के बारे में-
1. हमसफर एक्सप्रेस-
हमसफर एक्सप्रेस पूरी तरह से एसी थ्री टायर ट्रेन है जो 2016 में लॉन्च की गई थी, इस ट्रेन में बहुत सी सुविधाएं हैं- जैसे कोच के अंदरूनी हिस्सों में विनाइल कोटिंग, प्रत्येक सीट पर लाइट, सीसीटीवी, जीपीएस, एलईडी डिस्प्ले स्क्रीन, मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग पॉइंट्स, दृष्टिहीन लोगों के लिए ब्रेल डिस्प्ले, स्मोक डिटेक्शन सिस्टम, बेबी नैपी बदलने के लिए जगह, चाय-कॉफी के लिए मशीनें, घर से लाया खाना रखने के लिए फ्रिज, और खाना गर्म करने के लिए ओवन शामिल हैं.
2. तेजस एक्सप्रेस
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस तेजस एक हाईटेक ट्रेन है. ट्रेन काफी सुंदर है जिसमें प्रत्येक यात्री के लिए अलग एलसीडी स्क्रीन दी हुई है, स्वचलित दरवाजे हैं, गाड़ी में एग्जिक्यूटिव क्लास और चेयर कार है. स्मोक डिटेक्शन सिस्टम, मैगजीन और नाश्ते की मेज, चाय-काफी की मशीनें, बायो-वैक्यूम टॉयलेट में वाटर लेवल इंडिकेटर, सेंसरयुक्त नल, हाथ सुखाने की मशीनें, ब्रेल डिस्प्ले, डिजिटल बोर्ड्स आदि सुविधाएं शामिल हैं.
3. Vistadome कोच ट्रेन-
रेलवे के लिए ये अपनी तरह की पहली ट्रेन है जिसमें कोच के आर-पार दिखाई देता है. इस ट्रेन को मुंबई-गोवा रूप पर लॉन्च किया गया था. कांच की छत और बड़ी बड़ी खिड़कियां यात्रियों को आसपास के मनोरम दृश्यों का आनंद लेने के लिए बनाई गई हैं. पूरी तरह से एसी कोच की खासियत ये भी है कि इसमें 360 डिग्री रोटेटेबल चौड़ी सीटें हैं, एलसीडी टंगे हुए हैं, मिनी-पेंट्री, एयरक्राफ्ट की तरह फूड ट्रॉली, मिनी फ्रिज, ऑटोमैटिक दरवाजे और बायो-वैक्यूम टॉयलेट हैं.
4. उदय एक्सप्रेस-
ये डबल डेकर और पूरी तरह से एसी ट्रेन है जिसमें कुछ नई सुनिधाओं को जोड़ा गया है जैसे- वाई-फाई वाला इन्फोटेनमेंट सिस्टम, जीपीएस युक्त यात्री सूचना प्रणाली, फूड वेंडिंग मशीनें और यात्रियों के लिए खाने का एक विशेष स्थान. इस चेयर कार ट्रेन में एंटी-ग्राफिटी विनाइल रैपिंग, एक मिनी पेंट्री, फैलने वाली एलईडी लाइटिंग और एलसीडी स्क्रीन भी शामिल हैं.
5. महामना एक्सप्रेस
पहली बार नई दिल्ली और वाराणसी के बीच उतारी गई ये ट्रेन भारत के यात्रियों के लिए नए डिजाइन और आधुनिक सुविधाओं से लैस है. ट्रेन में एर्गोनोमिकली डिज़ाइन की गई सीढ़ियां हैं, साइड बर्थ के लिए स्नैक्स टेबल, खिड़की के पारंपरिक पर्दों के बजाय वैनेटियन और रोलर ब्लाइंड्स दी हुई हैं. एलईडी बर्थ इंडिकेटर, ज्यादा चार्जिंग पॉइंट्स, आग बुझाने के यंत्र, पेंट्री कार में इलेक्ट्रिक चिमनी, गंध नियंत्रण प्रणाली के साथ सुंदर टॉयलेट, एग्जॉस्ट फैन, एलईडी लाइटें, डस्टबिन, बड़े आइने, और ऑटोमैटिक नल दिए गए हैं.
यानी इन ट्रेनों में वो सुविधाएं दी गईं जिनके बारे में एक आम रेलवे यात्री सिर्फ अपनी कल्पनाओं में ही सोच सकता था. मोदी सरकार ने उन कल्पनाओं को साकार करने का पूरा प्रयास किया. लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी थीं जिनपर जरा भी गौर नहीं किया गया और नतीजा ये हुआ कि करोड़ों रुपए खर्च कर आधुनिक सुविधाओं वाली ये 5 हाईटेक ट्रेनें भी यात्रियों के चेहरों पर खुशी न ला पाईं. कारण भी 5 ही थे-
1. ट्रेन लेट होना-
सर्दियों में घने कोहरे की वजह से ज्यादातर ट्रेनें लेट होती हैं. यात्री भी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं क्योंकि ये प्राकृतिक समस्या है और इसलिए उन्हें बुरा भी नहीं लगता. लेकिन हद तो तब होती है जब भरी गर्मिों में भी ट्रोनें लेट हो जाती हैं. हालात तो ये हैं कि ट्रेन लेट होने का कारण भी अधिकारियों के पास नहीं होता. यात्रियों को घंटों प्लेटफॉर्म पर इंतजार करना होता है. कुछ मिनटों की बात नहीं 25-25 घंटे ट्रेनों को देरी से चलना यात्रियों को पस्त कर दे रहा है. ट्रेनों के आने-जाने की सही जानकारी नैशनल ट्रेन इन्क्वायरी सिस्टम (एनटीईएस) भी फेल हो चुका है. हाल ही में पुणे-गोरखपुर जनसाधारण स्पेशल ट्रेन-01453 एनटीईएस पर दौड़ती रही, जबकि वह ट्रेन लखनऊ पहुंची ही नहीं थी.
2. खराब खाना-पीना-
अब ट्रेनों में मिलने वाले खाने के बारे में क्या कहा जाए. रेलवे के खाने की क्वालिटी और क्वांटिटी के बारे में लगभग सब ही जानते हैं. ऊपर से रेलवे की छवि खराब करने में वेंडर्स कोई कमी नहीं छोड़ते. हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो ने तो पूरे देश को हिला डाला था, जब टॉयलेट के अंदर से एक शख्स चाय-कॉफी देने वाली कैन को भरता है और अन्य साथियों को देता दिखाई देता है. इसके साथ-साथ पेंट्री कार की साफ-सफाई के बारे में आए दिन कुछ न कुछ देखने और सुनने को मिलता ही रहता है. लेकिन काश सरकार ने इन समस्याओं को दूर करने के बारे में पहले सोचा होता.
देखिए वीडियो-
Never drink Tea, coffee & soups in Trains ..Tea sellers using toilet water ????
????????Watch live video &Share This to all. #IRCTC authorities must take Strict action against guilty @Central_Railway @WesternRly pic.twitter.com/Bfmq7rCwcT
— Hཽ υ ɴ ᴛ ᴇ ʀ™ (@VJ_HunteR_) May 2, 2018
3. गंदी चादरें और कंबल
रेलवे के एसी कोच में मिलने वाली चादरें और कंबल 60 दिन में दो बार धोए जाते थे. सरकारी संस्था सीएजी ने साल 2017 में संसद में पेश की गई रिपोर्ट में रेलवे को कंबल की धुलाई समय पर नहीं करने के लिए जमकर लताड़ भी लगाई थी. इस बात की आशंका जताई गई थी कि इस तरह के कंबल के इस्तेमाल से बीमारी फैलने का खतरा होता है. रेलवे ने बाद में कहा था कि वो सफाई का स्तर बढ़ाएगा लेकिन वो कब आज तक तो नहीं आया. लोग सालों से ऐसी ही गंदी चादरों और कंबलों के साथ सफर करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार इन मूल भूत जरूरतों के बजाए हाईटेक सुविधाओं पर ध्यान दे रही है. हाल ही में खबर आई है कि अब रेलवे एसी वाले कंबल महीने में दो बार धोएगा.
4. सुरक्षा की कमी
यूं तो भारत को महिलाओं के लिए असुरक्षित करार दे ही दिया गया है, तो भारत की ट्रेनें कैसे सुरक्षित हो सकती हैं. हाल ही की खबर है कि मुंबई में एक आरपीएफ कॉन्स्टेबल बराबर में बैठी एक महिला के साथ छेड़छाड़ कर रहा था, जो सीसीटीवा में कैद हो गई. ये तो पुलिस के जवान ही हैं जिन्हें सुरक्षा का जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जब वही ऐसी हरकतों में लिप्त पाए जाते हैं तो महिला सुरक्षा के सारे दावे खोखले नजर आने लगते हैं. पिछले साल भी अपनी 15 साल की बच्ची को रेप से बचाने के लिए हावड़ा-जोधपुर एक्स्प्रेस से एक मां और उसकी बेटी को चलती ट्रेन से कूदना पड़ा था. ट्रेन में महिलाओं के साथ बलात्कार के आंकड़े वास्तव में हैरान करने वाले हैं. 2015 में 54 बलात्कार के मामले रजिस्टर कराए गए थे. फिलहाल रेलवे महिला हेल्पलाइन और ट्रेन में पैनिक बटन लगाने की बात कर रही है, लेकिन ये सब कितने कारगर साबित होते हैं वो वक्त ही बताएगा.
5. ट्रेन दुर्घटनाएं-
रेलवे सेफ्टी और यात्री सुरक्षा से जुड़े एक सवाल के जवाब में 7 दिसंबर, 2016 को लोकसभा में सरकार ने इस सवाल का लिखित जवाब दिया था. सुरेश प्रभु ने बताया कि 2014-15 में 135 और 2015-16 में 107 रेल हादसे हुए. 2016-17 में नवंबर 2016 तक 85 रेल हादसे हुए हैं. इन रेल हादसों की बड़ी वजहें रेलवे स्टाफ़ की नाकामी, सड़क पर चलने वाली गाड़ियां, मशीनों की ख़राबी, तोड़-फोड़ हैं. संसद में सरकार ने ये भी बताया कि 2014-15 के 135 रेल हादसों में 60 और 2015-16 में हुए 107 हादसों में 55 और 2016-17 (30 नवंबर, 2016 तक) के 85 हादसों में 56 दुर्घटनाएं रेलवे स्टाफ़ की नाकामी या लापरवाही की वजह से हुईं. अब वर्तमान रेल मंत्री पियूष गोयल का कहना है कि आने वाले समय में रेलवे सुरक्षा इंतजामों पर करीब 70 हजार करोड़ रुपए लगाएगी.
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