भारत में नही आएगी कोरोना की तीसरी लहर! जानिए क्या हैं वजहें
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर कोरोना (Corona) की तीसरी लहर आती भी है, तो यह कोरोना की दूसरी लहर के जैसा भयावह प्रकोप (Coronavirus Third Wave) नहीं फैला पाएगी. बीते कुछ दिनों से भारत में कोरोना संक्रमण (Covid-19) के आंकड़े कम होते नजर आ रहे हैं.
-
Total Shares
कोरोना वायरस (Coronavirus) के डेल्टा वेरिएंट की वजह से दुनियाभर के कई देश कोरोना की चौथी लहर से जूझ रहे है. वहीं, भारत में कोरोना की तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) को लेकर जताई जा रही आशंकाएं अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर कोरोना (Corona) की तीसरी लहर आती भी है, तो यह कोरोना की दूसरी लहर के जैसा भयावह प्रकोप नहीं फैला पाएगी. बीते कुछ दिनों से भारत में कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम होते नजर आ रहे हैं. हालांकि, केरल में अभी भी कोरोना संक्रमण के मामले अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा आ रहे हैं. लेकिन, कोविड-19 (Covid-19) का प्रभाव फिलहाल केरल तक ही सिमटा नजर आ रहा है.
भारत में कोरोना की तीसरी लहर के अक्टूबर और नवंबर में आने की संभावना जताई गई थी. लेकिन, कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अभी तक कोई संकेत सामने नहीं आए हैं, जो राहत की खबर कही जा सकती है. इस राहत का ये मतलब नहीं है कि कोविड-19 का खतरा टल गया है. भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 1.78 लाख के करीब पहुंच गई है. जिसे देखकर तमाम एक्सपर्ट्स और डॉक्टर कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका के कमजोर पड़ने की बात कह रहे हैं. आइए जानते हैं वो क्या कारण हैं जिनकी चलते भारत में कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना को कमजोर बताया जा रहा है.
भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 1.78 लाख के करीब पहुंच गई है.
वैक्सीनेशन
कोरोना से जंग लड़ने में सबसे बड़े हथियार कोरोना वैक्सीन के साथ भारत ने 100 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन (Vaccination) का आंकड़ा छू लिया है. दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कोरोना को खत्म करने की लड़ाई में भारत कहीं ज्यादा आगे नजर आता है. भारत में कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता ने इसे लोगों के लिए आसान बनाया है. कोविड-19 महामारी की शुरुआत के दस महीने के अंदर ही कोरोना वैक्सीन के साथ लोगों का टीकाकरण शुरू करना भारत के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. इसी साल 16 जनवरी को शुरू हुए टीकाकरण अभियान में सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन देने की शुरुआत की गई थी. 1 मार्च से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 45+ और 60+ के सभी लोगों के लिए कोरोना टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू हुआ. तीसरे चरण में 1 अप्रैल से 45+ के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जाने लगी. कोरोना टीकाकरण के चौथे चरण में 1 मई से 18+ आबादी के लिए वैक्सीनेशन के रास्ते खोल दिए गए.
भारत में शुरू हुए कोरोना वैक्सीनेशन के दस महीने के भीतर ही 100 करोड़ लोगों के टीकाकरण का ऐतिहासिक मुकाम पा लिया गया. आंकड़ों के लिहाज से भारत की 18+ आबादी के 74.9 फीसदी को कोरोना वैक्सीन का एक डोज दिया जा चुका है. वहीं, 18+ आबादी के 30.9 फीसदी लोग पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हो चुके हैं. माना जा रहा है कि टीकाकरण की यही रफ्तार रही, तो अगले साल की पहली तिमाही तक कोरोना वैक्सीनेशन का राष्ट्रव्यापी अभियान पूरा कर लिया जाएगा. भारत में वैक्सीनेशन के लिए कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पूतनिक-वी, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही है. इनमें से कोविशील्ड और कोवैक्सीन का उत्पादन भारत में ही हो रहा है. जिसकी वजह से यह लोगों को आसानी से उपलब्ध हो रही है. वैक्सीनेशन को सफल बनाने में कोविशील्ड और कोवैक्सीन का बड़ा हाथ है. कहा जा सकता है कि भारत में बन रही इन वैक्सीन के चलते टीकाकरण अभियान आगे भी सुचारू तरीके से चलता रहेगा.
वैक्सीनेशन की वजह से कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद भी लोगों की हालत गंभीर होने की संभावना बहुत कम है. वहीं, कोरोना का एक टीका भी लगा होने से मौत की संभावना 96 फीसदी से ज्यादा कम हो जाती है. कहना गलत नहीं होगा कि 100 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन के साथ कोरोना के संक्रमण की संभावना कम ही होगी.
कोरोना वायरस का नया वेरिएंट नहीं आया सामने
भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बाद जीनोम सिक्वेंसिंग और अन्य अध्ययनों पर तेजी से काम किया गया. कोरोना संक्रमण को ट्रैक करने के लिए भारत में अबतक करीब 60 करोड़ लोगों के कोविड-19 सैंपल टेस्ट किये जा चुके हैं. जीनोम सिक्वेंसिंग और अन्य अध्ययनों से साफ हो चुका है कि अक्टूबर के मध्य तक वायरस में किसी तरह का म्यूटेशन होने के संकेत नही मिले हैं. वायरोलॉजिस्ट और डॉक्टरों की टीम का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट में म्यूटेशन नहीं हुआ है. ना ही किसी अन्य घातक वेरिएंट के सामने आने की कोई जानकारी मिली है. वहीं, कोरोना संक्रमण के सामने आ रहे मामलों की संख्या को देखा जाए, तो यह साफ इशारा कर रहा है कि डेल्टा वेरिएंट के मामले कम हो रहे हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में अब नया वेरिएंट बाहर से आने की संभावना भी कम है. अब लगभग सभी देशों में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है और कोरोना को लेकर जागरुकता फैल चुकी है. सरकार भी देश में आने वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन और क्वारंटीन नियमों को लेकर सतर्क है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत में बाहर से कोई नया कोरोना वायरस वेरिएंट सामने आने की संभावना नहीं है.
सीरो सर्वे में एंटीबॉडी का स्तर
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ओर से कोरोना संक्रमण को लेकर किये गए सीरो सर्वे में लगातार ये बात सामने आई है कि भारत की करीब 80 फीसदी आबादी कोरोना महामारी की चपेट में पहले ही आ चुकी है. कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने को लेकर आशंका जताई जा रही है. लेकिन, सीरो सर्वे में सामने आया है कि करीब 60 फीसदी बच्चे बी कोरोना महामारी से संक्रमित हो चुके हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सीरो सर्वे में लोगों के अंदर एंटीबॉडी पाए जाने से स्थिति साफ हो रही है कि कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना कम है. शरीर में एंटीबॉडी बिना कोरोना संक्रमण के नहीं बनती हैं. कहा जा सकता है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही व्यापक स्तर पर लोगों के बीच कोरोना संक्रमण फैला था. वहीं, अब कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट के आधार पर तीसरी लहर आने की संभावना कम ही कही जा सकती है.
कोविड-उपयुक्त व्यवहार
एक्सपर्ट्स ने अक्टूबर और नवंबर में कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना जताई थी. क्योंकि, इस दौरान भारत में एक लंबा फेस्टिव सीजन शुरू होता है, जो साल के अंत तक जाता है. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने फेस्टिव सीजन को ध्यान में रखते हुए लोगों से अगले साल फरवरी तक कोविड नियमों या कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की सलाह दी है. माना जा रहा है कि फरवरी तक बड़ी संख्या में लोगों के पूरी तरह से वैक्सीनेटेड होने से कोरोना का खतरा काफी हद तक टल जाएगा.
भारत में एंडेमिक स्टेज पर पहुंचा कोरोना
एक्सपर्ट्स की मानें, तो भारत में कोरोना महामारी अब अपने अंत यानी एंडेमिक स्टेज की ओर बढ़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने अगस्त में एक बयान में कहा था कि भारत में कोरोना महामारी एंडेमिक स्टेज में पहुंच गई है. उन्होंने कहा था कि देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव की स्थितियां देखने को मिलती रहेंगी. लेकिन, यह कोरोना की दूसरी लहर की तरह भायवह नहीं होगा. अन्य एक्सपर्ट्स की भी मानना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर (Covid 3rd Wave) आने की आशंका बहुत कम है. भारत में कोविड-19 बीमारी लंबे समय से लोगों के बीच है. यहां अलग-अलग इलाकों में रहने वाली आबादी की प्रतिरोधक क्षमता भी अलग-अलग है. जिससे कोरोना संक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव दिखेंगे. लेकिन, कोरोना वायरस खत्म नहीं होगा. वहीं, कोरोना संक्रमण के मामले लगातार कम हो रहे हैं और नए वेरिएंट के आने की संभावना कम होने से तीसरी लहर की आशंका अपनेआप ही कमजोर हो जाती है.
आपकी राय