क्या शाकाहार इकोनॉमी क्लास का और मांसाहार बिजनेस क्लास का ही खाना है?
एयर इंडिया में शाकाहारी भोजन इकोनॉमी क्लास के लिए है और मांसाहारी भोजन बिजनेस क्लास के लिए. इकोनॉमी क्लास वाला कोई यात्री अगर नॉन वेज खाना मांगे तो भी उसे नहीं दिया जाएगा.
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हिंदुस्तान में फ्लाइट से सफर करना अब शौक या शोऑफ करने के तरीके से बढ़कर एक जरूरत बनता जा रहा है. हां, इसे नया ट्रेंड भी कहा जा सकता है. किसी के लिए ये जरूरत है क्योंकि प्लेन कहीं भी जल्दी पहुंचने का साधन है और घटते किराए और बढ़ते एयरट्रैफिक का फायदा उठाना सही है. ट्रेन की जगह प्लेन से सफर करने में कई दिन बचाए जा सकते हैं. किसी के लिए ये ट्रेंड है क्योंकि भारत में अब एयरपोर्ट चेकइन और प्लेन में बैठकर खींची गई बादल की फोटो कुछ ज्यादा ही लोकप्रिय हो रही है. लेकिन जितना एयरट्रैफिक बढ़ रहा है उतने ही तरह के लोग भी. वो कहते हैं न, रहिमन इस संसार में भांति-भांति के लोग.. बस कुछ वैसा ही इंडियन ट्रैवलर्स के साथ भी है. किसी को प्लेन में ट्रैवल करते समय पैर सामने वाले की कुर्सी की आर्मरेस्ट पर रखना होता है तो किसी के लिए फ्लाइट में मिलने वाला खाना ही सब कुछ होता है.
हाल ही में एक इसी तरह का किस्सा सामने आया है जहां एयरइंडिया की फ्लाइट में इकोनॉमी क्लास को नॉन वेजिटेरियन खाना देने से मना करने पर दिल्ली के एक प्रोफेसर राजेश झा को इतना बुरा लगा कि उन्होंने बाकायदा सुरेश प्रभु को ट्वीट कर इसकी शिकायत की है.
फ्लाइट में नॉन वेज खाना नहीं मिला तो सीधे सुरेश प्रभु को ट्वीट कर दिया
राजेश झा को दिल्ली से गुवाहाटी जाते वक्त और गुवाहाटी से दिल्ली लौटते समय एयर इंडिया की फ्लाइट में खाने में वेजिटेरियन खाना मिला और जब उन्होंने नॉन वेजिटेरियन खाने की गुजारिश की तो एयर इंडिया के स्टाफ ने मना कर दिया और कहा कि नॉन वेजिटेरियन खाना सिर्फ बिजनेस क्लास को मिलता है. इसी बात पर खफा होकर राजेश झा ने ट्वीट किया.
While traveling from Delhi-Guwahati-Delhi (in AI 889 & 892) last week in economy class, I asked for non-vegetarian food but I was politely refused. When I asked for reason, the staff informed me that Air India has... https://t.co/ckI4gtGGP1
— Rajesh Jha (@jharajesh) October 22, 2018
एयर इंडिया ने जुलाई 2017 में ये फैसला लिया था कि इकोनॉमी क्लास में सिर्फ और सिर्फ वेजिटेरियन खाना ही मिलेगा जिससे कंपनी पैसा बचाएगी और खाने की बर्बादी भी कम होगी. एयर इंडिया के इस फैसले को लेकर उस समय भी विवाद हुआ था कि आखिर वेजिटेरियन खाने को इकोनॉमी क्लास और नॉन-वेजिटेरियन को बिजनेस क्लास में क्यों विभाजित किया जा रहा है.
ऐसा जरूरी नहीं कि एयर इंडिया इकोनॉमी क्लास में सफर करने वाला शाकाहारी ही हो या फिर एयर इंडिया बिजनेस क्लास में सफर करने वाला मांसाहारी ही हो. कॉस्ट कटिंग करने के लिए खाने के आइटम दोनों क्लास में कम किए जा सकते थे, लेकिन एयर इंडिया के इस फैसले से एक अहम फर्क दोनों क्लास में दिख गया है. कॉस्ट कटिंग के नाम पर सिर्फ इकोनॉमी क्लास वाले लोगों के साथ ऐसा करना सही नहीं है.
वैसे इस मुद्दे का एक और पहलू भी है वो ये कि 2 घंटे 15 मिनट की फ्लाइट में किसी को खाने को लेकर इतनी जिद करनी पड़ गई और नॉन वेज खाना न मिलना इतना गलत लगा कि उन्हें अपने कल्चर की दुहाई देनी पड़ गई. 50 रुपए का बर्गर भी एयरपोर्ट पर 200 रुपए का मिलता है और इंसान बड़े चाव से खाता है. वहां फ्लाइट में अगर खाना मिल रहा है और सिर्फ 2 घंटे की फ्लाइट है तो क्या ये इतनी बड़ी बात है कि नॉन वेज खाना न मिले तो सीधे एविएशन मिनिस्ट्री के मंत्री को ट्वीट कर दी जाए.
दो घंटे में अगर नॉन वेज खाना नहीं भी दिया गया है तो भी इसको लेकर इतना बड़ा रिएक्शन जरूरी नहीं था.
पर कई बार लोगों को कोई बात इतनी बुरी लग जाती है कि उसपर प्रतिक्रिया दिए बिना नहीं रहा जाता. कुल मिलाकर बात सिर्फ इतनी सी है कि न तो क्लास के आधार पर इतना भेदभाव ठीक है और न ही एक छोटी सी बात के लिए यूनियन मिनिस्टर को ट्वीट करना. ये तो वही बात हो गई कि किसी के घर के सामने कचरा पड़ा हुआ है तो प्रधानमंत्री को ट्वीट कर दीजिए और कहिए कि मेरे घर के सामने से कचरा हटाओ. मंत्रियों से अपनी शिकायत करना तब जायज लगता है जब वाकई समस्या जरूरी हो. जो फैसला एयरइंडिया कंपनी की तरफ से लिया गया है उसके लिए एविएशन मिनिस्टर क्यों दबाव बनाकर उसे बदले.
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