रणबीर-आलिया की शादी में 4 फेरे हुए, जानिए सिख विवाह की रस्में
आलिया भट्ट (Alia Bhatt) और रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) की शादी सिख समुदाय के रिवाजों के मुताबिक हुई है. तो जान लीजिए कि सिर्फ 4 ही फेरे ही क्यों लिए जाते हैं?
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कहा जा रहा है कि आलिया भट्ट (Alia Bhatt) और रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) ने 7 के बजाय 4 फेरे (Phere) ही लिए. मानो कि शादी की रस्म (Marriage rituals) निभाने में कोई भूल हो गई है. अरे साहब, दोनों की शादी सिख समुदाय के रिवाजों के मुताबिक हुई है. और जान लीजिये कि सिर्फ 4 फेरे ही क्यों लिए जाते हैं.
क्या हैं 'लावां फेरे'
सिख समुदाय की शादी में 7 नहीं बल्कि 4 फेरे ही होते हैं. इन फेरों को ही पंजाबी में लावां कहते हैं. लावा और विवाह की रस्म को आनंद कारज कहते हैं. लावां शब्द चार भजनों से मिलकर बना है जो सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब से लिए गए हैं. ये भजन ग्रंथ के 773 से 774 अंग पर दिखाई देते हैं. लावां सिख शादी की प्रमुख रस्म है. इसके बना शादी पूरी नहीं मानी जाती है. लावां शब्द की रचना चौथे गुरु रामदास साहिब जी ने की थी.
आलिया भट्ट और रनबीर कपूर ने 7 के बजाय 4 फेरे ही लिए
सिख जोड़े के लिए विवाह के मायने:
गुरु अमर दास जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंग 788 में सिख जोड़े से विवाह के मतलब को समझाया है. वे कहते हैं कि सिर्फ साथ में बैठने वाले को पति-पत्नी नहीं माना जाता. असल में पति-पत्नी वे हैं जो दो शरीर होते हुए भी एक आत्मा हैं, क्योंकि आनंद कारज दो आत्माओं का मिलन है. यह मिलाप धरती पर नहीं बल्कि वाहेगुरु की तरफ से स्वर्ग में बनता है. लावां के जरिए ही सिख जोड़े अपनी जिंदगी के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेते हैं.
चार लावां, या 4 फेरे में क्या कहा जाता है...
लावां के जरिए वैवाहिक जीवन के चार आध्यात्मिक चरणों के बारे में बताया गया है. जिसमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बारे में समझाया जाता है.
पहले फेरे में पति-पत्नी को एक टीम के रूप में धर्म का पालन करते हुए अपनी जिंदगी की शुरुआत करते हैं. यानी जोडों को सत्कर्म की शिक्षा दी जाती है.
दूसरे फेरे में हमेशा भगवान से डरने और अपने भीतर से अंहकरा को खत्म करने की बात की जाती है. दंपत्ति ऐसा मानते हैं कि वाहे गुरु हर जगह मौजूद हैं और हमें उनका साथ मिला है. यानी उन्हें गुरु को पाने का रास्ता दिखाया जाता है.
तीसरे फेरे में जोड़े गुरु ग्रंथ साहिब का स्मरण करते हैं और पवित्र रिश्ते में जुड़ जाते हैं. यानी उन्हें संगत के साथ गुरु बाणी बोलने की सलाह दी जाती है.
चौथे फेरे में जोड़े गुरु रहमत के कारण अपने स्वामी को पा लेते हैं. जिस पर सबकुछ न्योछावर करने के बाद उन्हें दिव्य शांति मिल जाती है. यानी वे मन की शांति को पा लेते हैं. इस तरह जोड़े वाहेगुरु की कृपा से लावां की रस्म पूरी करते हैं.
ऐसे निभाई जाती है लावां की रस्म...
लावा की रस्म में श्लोक पढ़े और गाए जाते हैं. जब लाव गाया जाता है तो दूल्हे के कंधे पर केसरिया रंग का दुप्पटा रखा जाता है, जिसकी दूसरी छोर दुल्हन के हाथ में रख दी जाती है. इसके बाद जोड़े, गुरु ग्रंथ साहिब की परिक्रमा करते हैं और माथा टेकते हैं. सिख धर्म की शादी में बिना इस रस्म के अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है. फेरों के बाद दूल्हा-दुल्हन सभी बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं.
मतलब यह है कि रणबीर और आलिया की शादी पूरे विधि-विधान के साथ पूरी हुई है. इसलिए आलिया के 7 फेरे न लेने पर आपको दुखी होने की जरूरत नहीं है. वो कहते हैं ना कि अधूरा सच पूरे झूठ से भी खतरनाक होता है, बस कुछ लोगों से ऐसी ही गलतफैमी हो गई होगी.
देखिए वरमाला के लिए कैसे जमीन पर बैठ गए रणबीर कपूर
THE BEST KISS Every time a video comes out better than the other <3#RanbirAliaWedding pic.twitter.com/ayUegm0QWM
— ‘ ra (@imranliaa) April 14, 2022
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