साबित हो गया कि ट्विंकल के दोषी अपराधी नहीं, हैवान हैं
अलीगढ़ में हुए ट्विंकल शर्मा हत्याकांड ने ये साबित कर दिया कि इंसान के बीच में ऐसे हैवान छुपे हैं जो किसी भी दया के लायक नहीं हैं. ट्विंकल के आरोपी ने जो अपनी बेटी के साथ किया उसे जानकर हैरानी होगी.
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Aligarh के Tappal में हुआ ट्विंकल शर्मा हत्याकांड एक ऐसी घटना थी जिसने शायद हर भारतीय को ये सोचने पर मजबूर कर दिया होगा कि हैवान सिर्फ किस्से कहानियों में नहीं बल्कि असलियत में भी होता है. ट्विटर पर Justice for Twinkle Sharma हैशटैग चलाने वाले लोगों ने शायद शुरुआत में ये नहीं सोचा होगा कि जब इस मामले की सच्चाई एक-एक कर सामने आएगी तब कितनी हैवानियत भरी तस्वीर सामने होगी. ट्विंकल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने ये साबित कर दिया कि उसके साथ जो हुआ वो दिल दहला सकता है. बच्ची को मरने से पहले 8 घंटों तक पीटा गया था. इसी पिटाई में उसका पैर, पसलियां, हाथ टूट गए थे. उसकी आंखों के टिशू तक डैमेज हो गए थे. बच्ची की लाश जिस हालत में मिली वो मंजर शायद उसके माता-पिता कभी नहीं भूलेंगे. कुत्तों ने लाश को नोच लिया था, हड्डियां तक दिख रही थीं. उस बच्ची की लाश इस हालत में थी कि पहचान पाना मुश्किल था.
ट्विंकल को लेकर सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह की बातें लिख रहे हैं. पर शायद वो असलियत से अंजान हैं कि असल में उसकी हत्या करने वाले आरोपी कितने बड़ हैवान थे. Mohammad Zahid and Mohammad Aslam दोनों ने ये जुर्म सिर्फ 10 हज़ार रुपए के कर्ज के लिए किया. इस जुर्म से कुछ दिन पहले ही ट्विंकल के दादा जी से इन दोनों की लड़ाई हुई थी. कर्ज न चुका पाने और ट्विंकल के परिवार से बेइज्जती झेलने के बाद इन लोगों ने ऐसी हरकत को अंजाम दिया. लेकिन ये सवाल शायद कुछ लोगों के मन में आया हो कि आखिर कोई 10 हज़ार रुपए के लिए इतना खौफनाक अपराध कैसे कर सकता है? पर शायद लोगों को उन दो आरोपियों के इतिहास के बारे में न पता हो.
Twinkle का हत्यारा अपनी बेटी से कर चुका है रेप!
इस दोनों में से एक आरोपी पहले भी गिरफ्तार हो चुका है (रिपोर्ट में ये बात छुपाई गई है कि ये कौन सा आरोपी है. ऐसा पुलिस के नियमों के हिसाब से किया गया है.). कल तक ये खबर थी कि वो अपने रिश्तेदार की बेटी से रेप के आरोप में गिरफ्तार हुआ है पर IndianExpress की एक रिपोर्ट कहती है कि रेप रिश्तेदार की बेटी का नहीं अपनी ही बेटी का किया गया था. उसपर कुल चार केस दर्ज थे. इसमें से धारा 376 (रेप), धारा 354 (यौन शोषण), 363 (अपहरण) शामिल थे.
ये कहा जाता रहा है कि यौन अपराध के आरोपियों पर सख्त निगाह रखे जाने की जरूरत है, क्योंकि उनका फिर वैसा ही अपराध करने का खतरा हमेशा कायम रहता है. ऐसा कई बार देखा भी गया है. कुछ दिनों पहले ही मुंबई से खबर आई थी कि 5 साल की बच्ची से रेप का आरोपी देवेंद्र जब जेल से छूटा तो 6 महीने बाद ही उसने एक 9 साल की लड़की का रेप कर दिया. इस जैसे कई किस्से सामने आते रहते हैं और ये बात कई रिसर्च भी बता चुकी हैं कि यौन अपराधी पर निगाह रखने की जरूरत है. अब इससे पहले की कोई कहे कि ट्विंकल का रेप तो नहीं हुआ था मैं उसे बता दूं कि अपराध हर तरह का होता है और जो इंसान अपनी ही बेटी का रेप कर सकता है वो किस हद तक हैवान होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.
आरोपियों को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है पर हत्यारे के साथ किसी भी तरह की दया नहीं दिखानी चाहिए.
ट्विंकल सुबह 8.30 पर घर से सामने खेल रही थी जहां उसे उठा लिया गया. ट्विंकल के परिवार ने तब परेशान होना शुरू किया जब काफी देर तक वो घर नहीं आई. पुलिस के पास जाने पर कोई सहायता नहीं मिला. पुलिस ने सिर्फ आश्वासन देकर जाने दिया. फिर परिवार वालों ने खुद ही ट्विंकल को ढूंढना शुरू किया. दो दिन होने पर पुलिस ने सिर्फ सीसीटीवी फुटेज दिखाई और जब कुछ न हुआ तब ट्विंकल की लाश मिली. कचरे के ढेर में से. लड़की का शव जाहिद की पत्नी के दुपट्टे से लिपटा हुआ मिला था.
कहने को तो स्थानीय पुलिस स्टेशन के 5 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन क्या इससे उस लापरवाही का जवाब मिल जाता है जो ट्विंकल के मामले में हुई थी. ट्विंकल के घर से 100 मीटर दूर ही जाहिद का घर था और उसके कमरे में ट्विंकल की हत्या हुई ऐसा दावा किया जा रहा है. पुलिस की तहकीकात में उस इंसान का नाम क्यों नहीं आया जो पहले से ही अपराधी साबित हो चुका था.
अब तो आरोपी जाहिद की पत्नी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपियों का केस लड़ने से वकीलों ने भी इंकार कर दिया है. मामला जब इतना तूल पकड़ चुका है तब कहा जा रहा है कि जल्दी इंसाफ होगा, लेकिन अभी भी कोई ये अहम सवाल नहीं उठा रहा है कि क्या ट्विंकल की खोज सही समय पर की जा सकती थी? बच्ची ने मौत से पहले जमाने भर का दर्द झेल लिया. 2.5 साल की बच्ची जो ठीक से दुनिया समझ भी नहीं पाई उसके साथ ऐसा होना यकीनन दिल को झकझोर देता है.
ये किस्सा एक और सवाल खड़ा करता है कि क्या आदतन अपराधी पर नजर न रखना सही है? एक के बाद एक ऐसे मामले जो सामने आते हैं उसमें जुर्म करने वाला आदतन अपराधी होता है. न जाने कितने ऐसे किस्से सामने आ चुके हैं. ऐसे में क्या कड़े नियम और कानून नहीं बनने चाहिए जो अपराधी की सज़ा मुकर्रर करें. अगर कोई एक ही अपराध बार-बार कर रहा है तो उसपर दया क्यों की जाए?
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