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Updated: 18 नवम्बर, 2022 06:25 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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श्रद्धा वॉकर (Shraddha Walker) को कैसे पता चलता कि आफताब अमीन पूनावाला (Aftab Amin Poonawalla) आगे चलकर उसके साथ गलत करेगा? वह तो खुद को हीर और उसे रांझा मानकर चल रही थी. उसे आफताब पर पूरा भरोसा था. वह आफताब को दूसरे मुस्लिम लड़कों से अलग समझती थी. वह है भी तो कूल टाइप का...स्मार्ट, हैंडसम, स्किल्ड, यू ट्यूबर जो खुद को आज के जमाने का लड़का कहता है. वह दाड़ी भी सामान्य लड़कों की तरह रखता है.

वह दिखने में शांत और भोला है. उसकी शक्ल देखकर हम और आप हैरान हैं फिर उसके प्यार में पड़ी श्रद्धा उस पर ऐतबार कैसे न करती? आखिर किसी को प्यार में परखने की क्या निशानी है? सामने से तो वह हमें अपना सा ही लगता है. अगर ऐसा होता तो दुनिया में इतने लोगों को प्यार में धोखा न मिलता.

आफताब भी श्रद्धा से कहता होगा कि मैं दुनिया के बाकी लड़कों जैसा नहीं हूं. मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता हूं और मरते दम तक करूंगा. तुम फालतू का शक मत किया करो. मेरा काम ही ऐसा है अब काम धंधा छोड़कर घर में बैठने से गुजारा तो नहीं होगा. उसकी ऐसी बातें सुनकर श्रद्धा भी गुलगुल हो जाती होगी और एक बार फिर उसपर भरोसा करने लगती होगी.

असल में श्रद्धा एक भ्रम में जी रही थी जिसे कभी टूटने देना नहीं चाहती थी. उसके लिए उसकी ख्याली दुनिया ही हकीकत थी. जिसमें वह अपने आप को आफताब की पत्नी के रूप में देखती थी. वह खुद को हैपी कपल का हैशटैग देना चाहती थी, मगर सच यह है कि जिंदगी की हकीकत सोशल मीडिया के कीवर्ड से काफी अलग है.

वह खुद को पूरी तरह आफताब को सौंप चुकी थी. जब आफताब उस पर चिल्लाता होगा, हाथ छोड़ता होगा तब वह सोचती होगी कि अभी वह गुस्से में है, अभी उसका मूड खराब है वरना वह ऐसा नहीं करता. वह थोड़ी देर नाराज भी होती होगी मगर एक बार आफताब प्यार से बोलता होगा और वह फिर पिघलकर उसे माफ कर देती होगी. वह कहती होगी अब तुम दोबारा तो ऐसा तो नहीं करोगे. वह हां बोलता होगा और वह खुश हो जाती होगी.

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श्रद्दा को कोसने वाले इस बात को क्यों नहीं समझते कि कौन सी लड़की खुद को मरने के लिए किसी और के हाथों खुद को सौंप देगी? वह जानबूझकर तो ऐसा नहीं करेगी? जो लड़की जिंदादिल थी, जिसे दुनिया घूमने का शौक था वह भला अपनी जिंदगी ऐसे तो खत्म नहीं करना चाहती होगी. उसकी आंखों में कुछ सपने थे कुछ अरमां थे जिसे वह पूरा करना चाहती थी मगर असल में वह आफताब के प्यार में ऐसी बावरी हुई कि उसे कुछ और न सूझा. वह खुद को उस प्यार के आगोश में रखना चाहती थी.

प्यार होने के बाद एक टाइम ऐसा आता है जब चाहकर भी हम सामने वाले से दूर नहीं हो पाते हैं. उसकी गलतियों को बर्दाश्त करने की आदत लग जाती है. यह एक ऐसा मोड़ होता है जब इंसान खुद ही अपने वश में नहीं रहता है. ऐसे में काम आते हैं घरवाले और दोस्त...मगर श्रद्धा को तो घरवालों ने उसके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया. वह प्यार के भरोसे परिवार से दूर हुई थी क्योंकि उसे आफताब पर भरोसा था. अगर उसे जरा भी पता होता कि आफताब उसके साथ क्या करने वाला है तो वह मुंबई छोड़कर उसके साथ दिल्ली कभी नहीं आती.

कई लोग श्रद्धा को सीख दे रहे हैं, जबकि हकीकत यही है कि अब वह इस दुनिया में नहीं है. वह किसी की बातें नहीं सुुन सकती. लोगों को समझना होगा कि वह जा चुकी है. जब भी कुछ गलत होता है तो लोग लड़कियों की गलती निकालने लगते हैं. रेप हो गया तो लड़की ने छोटे कपड़ें पहन रखे थे, तलाक हो गया तो भी महिला की ही गलती निकालते हैं. कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अच्छा हुआ मर गई, कटुए के साथ गई थी, सबक मिल गया. हर बार लड़कियों को ही नसीहत क्यों दी जाती है? कोई आफताब जैसे लड़के को ज्ञान क्यों नहीं दे रहा है?

शुरु से ही साऱी सीख लड़कियों को दी जाती है जैसै-

तेज बोलना नहीं है

तेज हंसना नहीं है

किसी को जवाब नहीं देना है

ससुराल में सबके हां में हां मिलाना है

पति तो देवता होता है

कंप्रोमाइज करना पड़ता है

परिवार ज्यादा जरूरी है

रिश्ते को संभाल कर रखना है

किसी को ना नहीं कहना है

बर्दाश्त करना सीखना है

माफ करना सीखना है

घर को जोड़कर रखना है

लड़कियों को क्या सीखाना जरूरी है-

खराब रिश्ते से बाहर निकल आना, चाहें वह प्रेमी हो या पति

किसी का अत्याचार ना सहना

ना कहना जरूरी है

किसी को खुद पर हाथ मत उठाने देना

खुद को मजबूत बनाना

जब परेशानी आए दूसरों की मदद मांगना

किसी पर आंख मूंद कर भरोसा मत करना

अपने लिए आवाज उठाना

किसी के प्यार में खुद को ना भूलाना

परिवार दोस्तो से टच में रहना

खुद को आत्मनिर्भर बनाना

गलतियों को स्वीकार करना

लाइफ में मूवऑन करना

आफताब जैसे लड़कों को सीख क्यों नहीं दी जाती?

एक आफताब की वजह से सभी लड़कों को दोष देना गलत है. मगर लड़कों को लड़कियों की तरह बचपन से कुछ बातें सिखाने की जरूरत है. जैसे-

महिलाओं को सम्मान करना

पत्नी या प्रेमिका पर हाथ न उठाना

लड़कियों को अपशब्द न कहना

उन पर गुस्सा न करना

पुरुषवादी सोच न रखना

महिलाओं को अपने बराबर समझना

घर के कामों में हाथ बटाना

पार्टनर को अपनी प्रॉपर्टी न समझना

पार्टनर को उसका स्पेस देना

पत्नी या प्रेमिका को धोखा न देना

अपनी गलती स्वीकार करना

जब से यह घटना सामने आई है तभी से कुछ लोग सोशल मीडिया पर श्रद्धा को सीख दे रहे हैं कि उसे ये करना चाहिए था. उसे वो करना चाहिए था. कोई यह नहीं कह रहा है कि आफताब को ये करना चाहिए था. आफताब को वो करना चाहिए था. कोई आफताब को सीख नहीं दे रहा है. श्रद्धा मर गई है फिर भी उसकी गलती गिनाई जा रही है. बताया जा रहा है कि श्रद्धा ने कैसी गलती की, कैसे मां-बाप की बात नहीं मानी इसलिए उसका कत्ल हुआ.

असल में आफताब के ऊपर लिखा जाना चाहिए कि, वह कितना वहशी है, वह कितना दरिंदा है, उसे श्रद्धा के साथ गलत नहीं करना चाहिए था. उसे श्रद्धा का भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए था. उसे श्रद्धा को अपने प्यार के जाल में नहीं फंसाना चाहिए था. उसे श्रद्धा का माइंडवॉश नहीं करना चाहिए था. उसे श्रद्धा के दिल और दिमाग के साथ नहीं खेलना चाहिए था. उसे श्रद्दा को परिवार से दूर नहीं करना चाहिए था.

श्रद्धा की गलती ये थी कि उसने एक ऐसे इंसान से प्यार किया जो एक छलावा था. मगर आफताब ने तो सारी सीमाएं लांघ दी. इसलिए कुछ सीख श्रद्धा के लिए नहीं, आफताब जैसे लड़कों के लिए होना चाहिए...

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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