अमित शाह का मिशन 2019
अमित शाह की निगाहें अब 2019 पर हैं जब वो फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. इसी दिशा में बढ़ते हुए उन्होंने अपना धुआंधार कार्यक्रम तय कर लिया है.
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बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पंचायत से लेकर नगरपालिका चुनाव होते हुए संसद तक हर चुनाव का संचालन अपने हाथ में रखते हैं. अभी हाल में ही भुवनेश्वर में संपन्न हुए राष्ट्रीय कार्यकारणी में अपने संबोधन में उन्होंने अपनी मंशा और पार्टी के लिए अपनी महत्वाकांक्षा को साफ कर दिया था. उन्होंने कहा था कि पार्टी का स्वर्णिम युग तभी आएगा जब देश के हर राज्य में बीजेपी की सरकार बन जाएगी.
अमित शाह की निगाहें अब 2019 पर हैं जब वो फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश की जीत ने शाह को अपने सपने के सच होने के संकेत तो दिए हैं लेकिन इसके लिए मेहनत अभी से करनी होगी वो जानते हैं. इसी दिशा में बढ़ते हुए अमित शाह ने अपना धुआंधार कार्यक्रम तय कर लिया है. बीजेपी अध्यक्ष आने वाले तीन महीनों में देश के सभी राज्य का दौरा करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक इस दौरे के लिए राज्यों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
1- जहां बीजेपी की सरकार है.
2- जहां एनडीए की सरकार है.
3- जहां विपक्ष की सरकार है.
इसके अलावा राज्यों के आकार को भी ध्यान में रखा गया है. बहुत बड़े राज्य, बड़े राज्य और छोटे राज्य. इसी आधार पर ये फैसला लिया जायेगा कि अमित शाह कहां कितना समय बिताएंगे. बहुत बड़े राज्यों में वे दो से तीन दिन रहेंगे जबकि छोटे राज्यों में वे एक दिन का समय बिता सकते हैं. महत्यपूर्ण ये है वो अगले तीन महीनों में हर राज्य का दौरा करेंगे. इस दौरान वे राज्य के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलकर उनका फीडबैक लेंगे और ये भावना पैदा करेंगे की पार्टी नेतृत्व संगठन में हर स्तर पर सबको साथ लेकर चलना चाहता है. शुरुआती कार्यक्रम के दौरान वो जम्मू में दो दिन बिताएंगे.
जो कार्यक्रम तैयार किया गया है उसके मुताबिक वो राज्य के पदाधिकारियों के अलावा, बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी मिलकर जमीनी हकीकत का जायजा लेंगे. साथ ही वो इलाके के बुद्धिजीवियों के साथ भी चर्चा करेंगे और मीडिया से भी रूबरू होंगे. इसके अलावा इन मुलाकातों में कुछ ऐसे लोग भी शामिल किया जायेंगे जो पदाधिकारी भले न हों लेकिन जमीनी हालात पर अच्छी पकड़ रखते हैं. खास बात ये भी है कि इस पूरे तीन महीने के कार्यक्रम में वो कोई पब्लिक रैली नहीं करेंगे. एकमात्र अपवाद त्रिपुरा हो सकता है जहां चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी वामपंथ के इस गढ़ में अपना पांव जमाना चाहती है.
साफ है चुनाव मशीन समझे जानेवाले अमित शाह जहां एक ओर अपनी तरफ से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं वहीं बिखरे हुए विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहते कि वो एकजुट हों और अगर चुनाव से पहले ऐसी परिस्थिति बनती भी है तो पार्टी चुनाव से पहले हर स्तर पर उनका मुकाबला करने के लिए तैयार हो.
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