अमृतसर हादसा: कटे शवों के आसपास घूम रहे थे 'रावण'
अमृतसर हादसे का सबसे शर्मनाक पहलू ट्रेन के गुजर जाने के बाद साामने आया. जब लोगों की जान पर बनी थी तो कुछ लोगों की नजरें उनके मोबाइल और पर्स पर थी.
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दशहरा आया, पूरे देश ने रावण दहन का उत्सव मनाया, लेकिन इस साल त्योहार की खुशियों में एक दर्द भी शामिल हो गया. रावण दहन का आयोजन अमृतसर के 60 परिवारों को ऐसा दुख दे गया जो वो जिंदगीभर नहीं भुला पाएंगे. भारत में हादसों को लेकर लोगों की एक अलग ही मानसिकता होती है. लोग कहीं मर रहे होते हैं और वहीं दूसरी ओर बाकी लोग वीडियो बनाते हैं, उनकी सहायता करने की जगह उनकी चीजें लेकर भाग जाते हैं.
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक दीपक नाम का एक एक्सिडेंट विक्टिम जो ट्रेन एक्सिडेंट में अपनी बेटी खो चुका है, जिसका बेटा अस्पताल में मौत से लड़ रहा है और खुद दीपक के पैर में काफी चोट आई है. जब वो मदद के लिए चिल्ला रहा था अपने बच्चों को पुकार रहा था तब कोई आया और उसका मोबाइल ले गया.
इतना ही नहीं लोग तो लाशों से भी उनके चेन, गहने, मोबाइल फोन, पर्स आदि ले गए. एक अन्य रिपोर्ट कहती है कि जब मृतकों के परिजन शरीर लेने आए तो महंगी चीज़ें गायब थीं.
आखिर लोग इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं कि किसी के शव से चेन और पर्स चुरा ले जाएं
ज्योती कुमारी जो अपने 20 साल के बेटे का शव लेने अस्पताल गई थीं बताती हैं कि उनके बेटे वासु की सोने की चेन, 20 हज़ार का फोन और पर्स सब गायब था. ऐसे ही एक और पिता कमल कुमार अपने 19 साल के बेटे तरुण मखान का शव लेने पहुंचे जिसका शरीर उन्हें ठेले पर लाना पड़ा उसके पास से भी मोबाइल फोन गायब था.
हादसे के कई वीडियो सामने आ चुके हैं और वीडियो में देखा जा सकता है कि ट्रेन एक्सिडेंट होने के बाद भी वहां मौजूद लोग सेल्फी लेने और वीडियो बनाने का काम करते रहे.
Amritsar train accident video pic.twitter.com/hb9Q3f9qL6
— Satinder pal singh (@SATINDER_13) October 19, 2018
हादसे को लेकर कई नेताओं ने ट्वीट की है. राजनीति भी हो रही है. नवजोत कौर को लेकर विपक्षी दल एक के बाद एक बयान दे रहे हैं. पर क्या वाकई इस मुद्दे पर राजनीति होनी चाहिए? एक-एक कर दोषारोपण एक-दूसरे पर किया जा रहा है. पर क्या वाकई इस हादसे के बाद इतनी ओछी हरकतें करनी चाहिए? एक तरफ मामले को राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है और दूसरी ओर नेताओं को गाली देने वाले आम लोगों की भीड़ भी असंवेदनशीलता दिखा रही है. जिस समय मदद के लिए लोगों को आगे आना चाहिए था उस समय एक्सिडेंट का शिकार हुए लोगों के सामने सेल्फी ली गई. लोगों ने हाथ तो बढ़ाए, लेकिन चोरी करने के लिए और शायद इतनी ओछी हरकत करने वाले दोबारा पलट कर भी नहीं देखकर गए होंगे उन लोगों को जो ट्रैक पर पड़े तड़प रहे थे.
ये पहली बार नहीं जब भारत में ऐसी असंवेदनशीलता दिखाई गई हो. पहले भी ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जहां लोग एक्सिडेंट के बाद किसी इंसान की जान बचाने की जगह चोरी करते नजर आए हैं.
ये दिल्ली का मामला है जहां सिक्योरिटी गार्ड की मौत हो गई थी, लेकिन एक रिक्शा चलाने वाला उसका फोन लेकर भाग गया. ये ही नहीं ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं जिसमें लोगों की असंवेदनशीलता नजर आती है और इंसानियत शर्मसार होती है.
अमृतसर मामले में भी ऐसा ही हुआ. लोग कट गए, लेकिन चोरों को शर्म नहीं आई और सिर्फ अपने फायदे का सोचने लगे. ये किस कारण है? इतना तो समझ आता है कि इसका समाज के किसी तब्के, किसी शहर, किसी गली या किसी तरह के परिवार से लेना देना नहीं है. ये तो समाज में सर्वरूप से फैली बेशर्मी है जिसके तरीके अलग अलग हैं. कोई चोरी कर लेता है, कोई अर्थी और एक्सिडेंट का वीडियो बनाता है, तो कोई एक्सिडेंट की जगह पर सेल्फी खींचता है. भले ही किसी की लाश पड़ी हो सामने, लेकिन लोगों की आंखों में ऐसा करते समय शर्म नहीं दिखती. ये कैसे समाज में रह रहे हैं हम जहां इंसान के मन में कोई भावना ही नहीं बची.
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