संस्कृत को सिर्फ हिंदुओं का विषय मानने वालों को अनम अली का ये जवाब है
अनम अली ने संस्कृत में 100 नंबर पाकर उनके लिए एक मिसाल कायम की है. इसे आने वाले समय में भी याद रखना चाहिए, ताकि फिर कोई पढ़ाई के किसी विषय को हिंदु-मुस्लिम से जोड़ने की बात ना करे.
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संस्कृत हिंदुओं का विषय है और उर्दू मुस्लिम लोगों का. झारखंड की अनम अली ने लोगों की इस मानसिकता को चूर-चूर कर दिया है. अनम अली ने सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा में संस्कृत में 100 में पूरे 100 नंबर हासिल किए हैं. जो लोग कहते हैं कि मुस्लिम संस्कृत नहीं पढ़ना चाहते, उन्हें अनम से प्रेरित होना चाहिए. अधिकतर लोग यही मानते हैं कि मुस्लिम लोगों को उर्दू भाषा में रुचि होती है और हिंदुओं को संस्कृत में, लेकिन अनम अली ने संस्कृत में 100 नंबर पाकर जो मिसाल कायम की है, उसे आने वाले समय में भी याद रखना चाहिए, ताकि फिर कोई किसी विषय को हिंदु-मुस्लिम से जोड़ने की बात ना करे.
अनम अली ने सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा में संस्कृत में 100 में पूरे 100 नंबर हासिल किए हैं.
क्यों चुना संस्कृत विषय?
मंगलवार को जब ये रिजल्ट आया तो अनम के नंबर देखकर हर कोई हैरान हो गया. हैरानी इस बात की नहीं कि उसने 100 में से 100 नंबर हासिल किए, बल्कि हैरानी इस बात की थी कि मुस्लिम होते हुए भी उसने संस्कृत में इतने अच्छे नंबर पाए. कैंब्रियन स्कूल में पढ़ने वाली अनम ने अपने एक अध्यापक डॉ. अभय नाथ मिश्रा से प्रभावित होकर संस्कृत विषय पढ़ने का फैसला किया. अनम कहती है कि संस्कृत बेहद इंट्रेस्टिंग विषय है और साथ ही अधिक नंबर स्कोर करने वाला भी है. आपको बता दें कि अनम ने 10वीं में 90.4 फीसदी अंक हासिल किए हैं.
बहुत से मुस्लिम बच्चों को संस्कृत है पसंद
कुछ समय पहले ही गुजरात का एक स्कूल भी सिर्फ इसलिए चर्चा में था क्योंकि वहां मुस्लिम बच्चों का सबसे पसंदीदा विषय संस्कृत है. यह स्कूल वडोदरा के याकूतपुरा एरिया में है, जिसका नाम एमईएस ब्वॉयज हाई स्कूल है. इस स्कूल में कुल 348 स्टूडेंट हैं, जिनमें से 146 बच्चों ने उर्दू, फारसी, अरबी और संस्कृत विषय में से संस्कृत को चुना. इतना ही नहीं, इस स्कूल में तो संस्कृत पढ़ाने वाले अध्यापक भी मुस्लिम ही हैं.
शिक्षा धर्म की मोहताज नहीं
भले ही बात संस्कृत की हो या फिर उर्दू की, शिक्षा कभी धर्म की मोहताज नहीं होती. जिसे संस्कृत अच्छी लगती है वो संस्कृत पढ़ता है और जिसे उर्दू अच्छी लगती है वह उर्दू पढ़ता है. पिछले 500 सालों में सैंकड़ों मुस्लिम विद्वानों ने संस्कृत में बहुत सारे साहित्य की रचना की है. अब्दुल रहीम खानखाना समेत अनेक विद्वानों हुए, जिन्होंने संस्कृत में कई ग्रंथ लिखे हैं. आज भी संस्कृत विभागों और संस्कृत विश्वविद्यालयों में न जाने कितने मुस्लिम विद्यार्थी संस्कृत पढ़-लिख रहे हैं.
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