मार्केटिंग का आइडिया कहीं भी कमाल कर सकता है...
एक आइडिया लोगों को कितना प्रभावित कर सकता है, इसका ताजा उदाहरण है सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वो तस्वीर, जिसने मशबूर कारोबारी आनंद महिंद्रा का दिल जीत लिया है. आइए देखते हैं ऐसे कुछ और यूनीक आइडिया.
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एक आइडिया कभी भी और कहीं से भी आ सकता है. ऐसा नहीं है कि इस पर किसी शख्स का एकाधिकार है. जब इस आइडिया का इस्तेमाल मार्केटिंग के लिए होता है तो कई बार ऐसा देखा गया है कि दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की भी हो जाती है. एक आइडिया लोगों को कितना प्रभावित कर सकता है, इसका ताजा उदाहरण है सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वो तस्वीर, जिसने मशहूर कारोबारी आनंद महिंद्रा का भी दिल जीत लिया है. इसे जो भी देख रहा है वह शेयर कर रहा है। आनंद महिंद्रा भी इसे शेयर करने से खुद को रोक नहीं पाए. इसके बारे में उन्होंने ट्वीट भी किया है. चलिए पहले देख लेते हैं उस ट्वीट को.
This man should be teaching marketing at the Indian Institute of Management... pic.twitter.com/N70F0ZAnLP
— anand mahindra (@anandmahindra) April 17, 2018
Got it on whatsapp. No clue who or where he is or how old this pic is. If anyone can find him and he’s still doing this work I’d like to make a small investment in his ‘startup’. https://t.co/A8kdJTvAN1
— anand mahindra (@anandmahindra) April 17, 2018
जख्मी जूतों के अस्पताल में पैसे लगाएंगे महिंद्रा
वायरल हो रही तस्वीर में यह साफ दिख रहा है कि एक व्यक्ति मोची का काम करता है और उसने अपनी दुकान के प्रचार-प्रसार के लिए लिखा है- जख्मी जूतों का अस्पताल. इस मोची ने अपना नाम डॉ. नरसीराम लिखा है और वह बोर्ड पर लिखते हैं कि यहां पर जूतों का इलाज जर्मन तकनीक से किया जाता है. इतना ही नहीं, उन्होंने ओपीडी की टाइमिंग भी लिखी है. यानी देखा जाए तो मोची की दुकान की एक अस्पताल की तरह मार्केटिंग कर रहे हैं. आनंद महिंद्रा ने सिर्फ इस तस्वीर को शेयर ही नहीं किया है, बल्कि ये भी लिखा है कि अगर किसी को पता चलता है कि यह शख्स कौन है और कहां का है, तो वह उसके बिजनेस में पैसा लगाना चाहेंगे. अगर ऐसा हो जाता है तो इस मोची को भी दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की मिलेगी.
पहले भी ऐसे आइडिया दिखा चुके हैं अपना कमाल
ऐसा नहीं है कि पहली बार ऐसा कोई आइडिया लोगों को प्रभावित कर रहा है. इससे पहले भी देश में ऐसे कई मार्केटिंग आइडिया देखने को मिले हैं जिन्होंने लोगों के दिलों पर एक अलग छाप छोड़ दी है. चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ शानदार आइडिया के बारे में.
ठग्गू के लड्डू
यूपी के कानपुर में 50 साल पहले 1968 में ठग्गूल के लड्डी की दुकान राम अवतार ने शुरू की थी. अब वो तो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका ये आइडिया पूरे देश में खूब फेमस हो रहा है. उन्हीं की दुकान को ध्यान में रखते हुए बंटी और बबली फिल्म का गाना 'ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं' शूट किया गया था. दरअसल, उनकी दुकान में लगे बोर्ड पर लिखा है- 'ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं'. ये लड्डू कितने फेमस हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अभिषेक बच्चन की शादी में बिग-बी ने इन लड्डुओं का भी ऑर्डर दिया था. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रबति बिल क्लिंटन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भी इन लड्डुओं का स्वाद चख चुके हैं.
लोगों के मन में एक सवाल ये जरूर उठता है कि आखिर राम अवतार ने अपनी दुकान का नाम ठग्गू के लड्डू क्यों रखा. दरअसल, गांधीजी के विचारों से राम अवतार बेहद प्रभावित थे. गांधी जी कहते थे कि शक्कर श्वेत जहर है. राम अवतार को लगता था कि वह लोगों को सेहत के मामले में शक्कर जैसा श्वेत जहर खिला कर तो ठग ही रहे हैं, साथ ही उनसे पैसे लेकर भी उन्हें ठग रहे हैं. उन्होंने अपने आप में एक ठग देखा और अपनी दुकान का नाम ठग्गू के लड्डू रख दिया.
अभिषेक बच्चन की शादी तक में इन लड्डुओं को ऑर्डर किया जा चुका है.
बदनाम कुल्फी
ठग्गू के लड्डू के दुकान में ही आपको बदनाम कुल्फी भी खाने को मिल जाएगी. दुकान के मालिक राजेश पांडे मानते हैं कि बदनाम वही होता है, जिसका नाम होता है. आपको बता दें इस बदनाम कुल्फी को खाने के लिए दूर-दराज से लोग वहां आते हैं और बड़े चाव से इसका स्वाद लेते हैं. बाद ठग्गू के लड्डू की हो या फिर बदनाम कुल्फी की, यहां पर क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता.
बेवकूफ होटल (गिरिडीह)
यूं तो अगर आपको कोई बेवकूफ कह दे तो आप आग बबूला हो जाएंगे, लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं है. यहां तो इस बात की होड़ लगी हुई है कि सबसे बड़ा बेवकूफ कौन है. हैरान न हों, दरअसल, 'बेवकूफ' एक ब्रांड है, जिसके होटल झारखंड के गिरिडीह में चलते हैं. पहला होटल गोपी राम ने 1971 में शुरू किया था. उनके बाद होटल उनके दोनों भतीजों के नाम हो गया, क्योंकि उन्होंने शादी नहीं की थी. धीरे-धीरे आस-पास भी बेवकूफ ब्रांड के नाम से होटल खुलने लगे और इनकी संख्या 7 हो गई. हालांकि, अब इनमें से 2 बंद हो चुके हैं, लेकिन 5 होटल अभी भी हैं, जो खुद को सबसे पुराना 'बेवकूफ' बताते हैं. गोपी राम ने इस होटल में अच्छी क्वालिटी का खाना सस्ते दाम में देना शुरू किया था, जिसकी वजह से इनकी दुकान में लगने वाली भीड़ लगातार बढ़ती गई और 'बेवकूफ' एक ब्रांड बन गया.
शहर में इस बात की होड़ मची हुई है कि सबसे बड़ा 'बेवकूफ' कौन है.
घमंडी लस्सी
जहां एक ओर इंसान को घमंडी कहने से वह गुस्सा हो जाता है, वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर में घमंडी लस्सी सभी के दिमाग को ठंडा करने का काम कर रही है. यह लस्सी दही, बर्फ, चीनी और रबड़ी से बनाई जाती है, जिसे पीने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
इंसान भले ही किसी बात पर घमंड करे या ना करे, लेकिन इस लस्सी को अपने ऊपर बड़ा घमंड है.
अंडा अपना अपना
आपको 90 के दशक में आई सलमान खान और आमिर खान की फिल्म 'अंदाज अपना-अपना' तो याद ही होगी. उसी फिल्म के नाम पर मुंबई में एक एग शॉप भी है, लेकिन इसका नाम अंडा अपना अपना रखा गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां सिर्फ अंडे से बनी डिश मिलती हैं. इसमें हैरानी रेस्टोरेंट के नाम से ज्यादा वहां की डिश देखकर होती है, जैसे- तेजा डबल एग रोल, रॉबर्ट मसाला भुर्जी, गोगो मास्टर पेवलेट एग और भी बहुत कुछ. फिल्म के किरदारों के नाम से यहां पर डिश बेची जाती हैं.
यहां तेजा-रॉबर्ट से लेकर गोगो मास्टर तक सब मिलते हैं.
ये अजीबो-गरीब नाम रखने का पहले उद्देश्य तो यही होता है कि लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा जाए. एक बार उस नाम को पढ़कर ग्राहक दुकान तक आ भी जाते हैं. इसके बाद अगर उन्हें दुकान में अच्छा खाना वाजिब दाम में मिल गया, तो समझ लीजिए कि आपकी चांदी हो गई. यही रणनीति अपनाकर ये सभी भी फेमस हुए हैं. वहीं दूसरी ओर, एक अलग तरीके का नाम आपके काम को प्रचारित करने में भी काफी फायदेमंद साबित होता है. इसीलिए तो आनंद महिंद्रा जैसे अरबपति कारोबारी भी जख्मी जूतों के अस्पताल से प्रभावित हो गए.
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