कैलिफोर्निया हमले के बाद अमेरिका में मुस्लिमों पर क्या बीत रही है
पेरिस और कैलिफोर्निया में हुए हमले के बाद से अमेरिका में मुस्लिमों के प्रति नफरत काफी बढ़ गई है और उन्हें अपमानित करने की घटनाओं में अचानक काफी तेजी आई है. आखिर क्या बीत रही है मुस्लिमों पर वहां?
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सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी में प्री-मेडिकल की तैयारी कर रहीं 22 वर्षीय हनीन जासिम ने हिजाब पहन रखी थी और वह जैसे ही एक कॉफी शॉप से बाहर निकलीं, उन्हें देखकर यह शख्स भड़क गया और उन पर कार चढ़ाने की कोशिश की. ड्राइवर ने चिल्लाकर कहा, तुम आतंकवादी हो और अपने देश वापस लौट जाओ.
अमेरिका में हनीन को मुस्लिम होने के कारण पहली बार इस तरह के बुरे बर्ताव का सामना करना पड़ा. लेकिन यह उदाहरण अकेला नहीं है बल्कि हाल के दिनों में खासतौर पर पेरिस और कैलिफोर्निया में पाकिस्तानी दंपति द्वारा किए गए हमले के बाद अमेरिका में मुस्लिमों के प्रति नफरत काफी बढ़ गई है और उनके ऊपर हमले करने और उन्हें अपमानित करने की घटनाओं में अचानक काफी तेजी आई है.
खौफ और दम घुटने वाले माहौल में रह रहे मुस्लिमः
बुधवार को कैलिफोर्निया में हुए हमले के अगले ही दिन वर्जिनिया स्थित एक मस्जिद को धमकी भरा एक फोन आया. कॉल करने वाले ने खुद को जूइश डिफेंस लीग का सदस्य बताया और कहा, 'हम देख रहे हैं कि अगर कैलिफोर्निया में एक भी यहूदी मारा गया है तो तुम सब चैन से नहीं रह पाओगे, तुम सब मारे जाओगे'. काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस नेशनल मीडिया डायरेक्टर इब्राहिम हूवर ने कहा, ‘हमने 9/11 के बाद से अमेरिका में मुस्लिमों के प्रति इतना जहर और विरोध नहीं देखा है. कई मामलों में तो ये उस समय से भी ज्यादा खराब है.’ काउंसिल के मुताबिक 13 नवंबर को हुए पेरिस हमले के बाद से उन्हें इस्लाम धर्म पर हमले, धमकी, हिंसा और अमेरिका मुस्लिमों को निशाना बनाए जाने की जितनी शिकायतें मिली हैं, उतनी 9/11 के बाद से कभी नहीं मिली थीं. कैलिफोर्निया हमले के बाद सैन डियागो में एक व्यक्ति ने कथित तौर पर एक प्रेग्नेंट मुस्लिम महिला, जिसने हिजाब पहन रखी थी, की सामान ले जाने वाली ट्रॉली को ढकेल दिया.
फ्लोरिडा में पाम बीच स्थित एक मस्जिद पर कुछ लोगों ने हमला किया और वहां तोड़फोड की. इस घटना से दुखी शरीफ एलहुसैनी कहते हैं, 'हमें बहुत झटका लगा है क्योंकि हमने आतंकवाद की आलोचना करने के लिए कड़ी मेहनत की है.' वह कहते हैं, 'हम जानते हैं कि लोग जो टेलीविजन पर देखते हैं उसी को सही समझते हैं और उनके मन इस्लाम की वह छवि है जोकि बहुत अच्छा नहीं है.' वह कहते हैं कि हर जगह मुस्लिम चिंतित हैं.
मुस्लिमों का मानना है कि अमेरिका में यूरोप की तरह ISIS या अलकायदा से तालुल्क रखने वाले इस्लामी कट्टरपंथियों और इस्लाम मानने वाले आम मुस्लिमों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाता. कैलिफोर्निया में बुधवार को हुए हमके ले बाद गुरुवार को न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार की हेडिंग थी, 'MUSLIM KILLERS'. यह हेडिंग दिखाती है कि कैसे अमेरिका में ISIS या अलकायदा जैसे संगठनों की आतंकी कार्रवाइयों को इस्लाम धर्म से जोड़ दिया जाता है. अगर अमेरिकी मुस्लिम कोई अपराध करता है तो उसके धर्म को सामने ला दिया जाता है लेकिन अगर कोई और अपराध करे तो इसे पागलपन कहकर टाल दिया जाता है.
मुस्लिमों के प्रति नफरत चरम पर पहुंचीः
हाल के दिनों में या पिछले एक-सालों में अमेरिका में इस्लामोफोबिया या मुस्लिमों के प्रति नफरत इतनी ज्यादा बढ़ी है कि 9/11 हमले के बाद भी नहीं बढ़ी थी. अमेरिकी लोगों का मानना है कि इस्लाम धर्म हिंसा फैलाता है. यह सोच 9 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अल-कायदा द्वारा किए गए हमले से पनपी जो बाद के वर्षों में बढ़ती ही गई. pew के अध्ययन के मुताबिक मुस्लिम किसी और धर्म की तुलना में ज्यादा हिंसा फैलाते हैं, यह मानने वाले अमेरिकी लोगों की संख्या 2002 में 25 फीसदी थी, जो कि सितंबर 2014 में बढ़कर 50 फीसदी हो गई. मुस्लिमों के प्रति नफरत और अविश्वास बढ़ने का कारण ISIS का उभार है. खासतौर पर इस क्रूर आंतकी संगठन द्वार विदेशियों के सर कलम किए जाने वाले वीडियोज के सामने आने के बाद. विशेषज्ञों का कहना है कि 2010 के बाद कुछ वर्ष माहौल बेहतर होने लगाथा लेकिन सर कलम करने की घटनाओं ने मामला बिगाड़ दिया. उनका मानना है कि वर्षों से इस धर्म के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए की जा रही कोशिशों को ISIS द्वारा की जाने वाली हरकतें कुछ ही पल में तहस-नहस कर देती हैं.
राजनीति ने बढ़ाई मुस्लिमों की मुश्किलें:
अमेरिका में मुस्लिमों के प्रति नफरत बढ़ाने के लिए सिर्फ आतंकी संगठन ही नहीं बल्कि वहां के नेता भी जिम्मदार हैं, जो अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुस्लिम विरोधी बयान देते रहते हैं. राष्ट्रपति पद के लिए रिपलब्किन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि वह सत्ता में आने पर अमेरिका में मुस्लिमों पर नजर रखने के लिए उनका विशेष पहचान पक्ष बनवाएंगे और सभी यहां कि सभी मस्जिदों को निगरानी में रखेंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयान राजनीतिक तौर पर इन पार्टियों को फायदा पहुंचा सकते हैं लेकिन अमेरिकी समाज और खासतौर पर मुस्लिमों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. इससे अमेरिकी समाज में मुस्लिमों के लिए पहले ही लोगों के मन पर पैदा हो चुकी अविश्वास की खाई और चौड़ी ही होती है.
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