जान लीजिए, इन 5 में से कोई आपके पीछे तो नहीं पड़ा है
हो सकता है कि आपका पीछा करने वाला इंसान सनकी हो, लेकिन ये भी जरूरी नहीं कि हर स्टॉकर को मानसिक विकार हो ही. लेकिन महिलाओं को पता होना चाहिए इन खास लोगों के बारे में जिनके बारे में मनोविज्ञान की किताबों में लिखा गया है
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मेरे मोहल्ले में एक पिज्जा कॉर्नर खुला, फोन पर पिज्जा का ऑर्डर दिया और खुद शॉप पर ऑर्डर पिक करने गई. पिज्जा वाला 20-25 साल का युवक था, उसने कहा जरा सा समय है बस पांच मिनट. इस बीच मैंने उससे बहुत सामान्य सी बात की. बस यूं ही पूछ लिया कि कहां के रहने वाले हो, यहां शॉप का कितना किराया देते हो वगैरह वगैरह. उससे ये भी कहा कि स्पाइसी मत बनाना, क्योंकि अपने बच्चे के लिए लेकर जा रही हूं. अगले दिन से वाट्सएप्प पर उसके मैसेज आने शुरू हो गए. उसका कहना था कि 'पिज्जा वाले से कोई सीधे मुंह बात नहीं करता और आपने मुझसे बात की, आप बहुत अच्छी हैं.' फिर एक के बाद एक कई मैसेज. मेरी बात को वो अन्यथा ही ले गया. फिर उसे ब्लॉक करके उसके मैसेज से पीछा छुड़ाया. खैर बात आई-गई हो गई, लेकिन 48 घंटों में दिल्ली से आई दो खबरों ने आज अचानक ये बात फिर याद दिला दी.
दिल्ली के बुराड़ी में दिनदहाड़े सड़क पर एक स्टॉकर ने 21 साल की करुणा पर कैंची से 20 से भी ज्यादा वार किए और तब तक उस पर वार करता रहा जब तक उसकी जान नहीं चली गई. अगर इस घटना की गंभीरता का अंदाजा न लगा पा रहा हों तो इस वीडियो को देख लें. पूरी वारदात एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी-
Horrible video from Delhi. Man stabbed girl in Burari area of Delhi and no one came forward to stop him. #Shame pic.twitter.com/GdPSssFMEx
— Jitender Sharma (@capt_ivane) September 20, 2016
दूसरा मामला पश्चिमी दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके का, यहां 28 साल की एक शादीशुदा महिला और दो बच्चों की मां लक्ष्मी को पिछले 6 सालों से पड़ोस में रहने वाला संजय कुमार परेशान कर रहा था. पुलिस में कई शिकायतें दर्ज करवाने के बावजूद वो नहीं माना. जमानत पर रिहा हुआ और एक दिन काम से वापस घर लौट रही लक्ष्मी की सरेराह चाकू से गोदकर हत्या कर दी.
अब सबसे पहले ये जान लीजिए कि ये स्टॉकर होते कौन हैं. इस शब्द का अर्थ अगर इंटरनेट पर ढ़ूंढेंगे तो तीन जवाब पाएंगे -
पहला, शिकारी- ये शिकार ढ़ूंढते हैं, और फिर उनका शिकार करते हैं.
दूसरा, शाही ढंग से चलने वाला- निसंदेह ये शाही ही हुए, जो अपने मन के राजा हैं और...
तीसरा, दबे पांव पीछा करने वाला- ये अपने शिकार का पीछा करते हैं, उनपर नजर रखते हैं.
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अक्सर लड़कियों का पीछा करने वाले लड़कों को हम सिरफिरा कहते हैं, लेकिन ये सिर्फ एक शब्द नहीं है. ये मानसिक अस्थिरता या फिर कोई मानसिक विकार भी हो सकता है, जिसके बारे में स्टॉकर खुद भी जानता न हो. कई स्टॉकर्स मानसिक बीमारी के दूसरे रूपों से ग्रस्त होते हैं जैसे डिप्रेशन, मादक पदार्थों के सेवन और पर्सनालिटी डिसऑर्डर से. लेकिन ये भी जरूरी नहीं कि हर स्टॉकर या पीछा करने वाले इंसान को कोई मानसिक विकार हो ही.
इस सनक का अंजाम घातक होता है |
2009 में अमेरिका में एक रिसर्च की गई जिसमें करीब साढ़े तीन लाख पीड़ितों से पूछा गया कि उन्हें क्या लगता है कि आखिर किस वजह से ये लोग पीछा करने के लिए प्रेरित होते हैं. 36% पीड़ितों का मानना था कि 'बदला, गुस्सा और द्वेष के कारण', 33% का मानना था कि 'नियंत्रण करना' और 23% का मानना था 'मानसिक बीमारी या फिर भावनात्मक अस्थिरता के कारण'.
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पीछा करने वाले, और परेशान करने वाले स्टॉकर्स कई तरह के होते हैं, आप किसी भी व्यक्ति को देखकर नहीं पहचान सकते कि कौन अंदर से कैसा है, लेकिन ये कब क्या कर बैठें कोई नहीं जानता, ये खुद भी नहीं. लेकिन हां अगर लड़कियों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो वो सतर्क हो जाएं. मनोविज्ञान की किताबों में इस तरह के स्टॉकर्स के बारे में कुछ जानकारियां दी गुई हैं. ये स्टॉकर्स 5 किस्म के बताए गए हैं-
1. जो रिजेक्ट हो जाते हैं- कहा जाता है कि 80% पीड़ित अपने पीछा करने वाले व्यक्ति को जानते थे. और ये वो लोग हैं जो या तो उनके 'एक्स' होते हैं या फिर वो जिन्हें रिजेक्ट किया जाता है. पीड़ित के साथ इनके पहले प्रेम संबंध रह चुके होते हैं. इनका व्यवहार नियंत्रित करने वाला होता है और ये गाली गलौच करते हैं. अलग होने पर या तो ये झगड़ा सुलझाना चाहते हैं या फिर बदला लेना चाहते हैं, या फिर दोनों. लड़की नहीं मानती तो फिर बदला लेने के लिए उनपर एसिड फेंक देते हैं या उनकी जान भी ले सकते हैं. इनकी एक कॉमन सोच होती है और धमकी भी कि 'अगर तुम मेरी न हुईं तो किसी और की भी होने नहीं दुंगा.' इस तरह रिजेक्ट होने का अंत हिंसक होता है. रिसर्च में पाया गया है कि दो में से एक इंसान जो इस तरह की धमकी देता है, वो उसे कर ही डालता है.
2. जुनूनी आशिक या विक्षिप्त प्रवृत्ति वाले- इस तरह के आशिक भी बहुत होते हैं, ये लोग वो हैं जो ज्यादातर अकेले होते हैं, एक तरफा प्यार करते हैं. उदाहरण के तौर पर फिल्म 'डर' के शाहरुख खान जैसे. वो सोशल साइट्स पर लड़की को फॉलो करते हैं, उनपर नजर रखते हैं, उनकी तस्वीरों को अपने कंप्यूटर का स्क्रीनसेवर भी बना सकते हैं, ब्लैंक कॉल करते हैं या फिर देर रात फोन करते हैं. उन्हें लैटर और गिफ्ट्स भेजते रहते हैं.
3. घृणा करने वाले या द्वेष रखने वाले-
इस तरह के स्टॉकर्स भी आम हैं. इनके पीड़ित के साथ बहुत गहरे या घनिष्ट संबंध नहीं होते. ये ज्यादातर वो लोग हो सकते हैं जो आपके साथ काम करते हैं या फिर आपके पड़ोसी हो सकते हैं. उन्हें लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है और उसका बदला लेने से ही उन्हें चैन मिलेगा.
4. इरोटोमेनिएक्स या आत्मीयता की तलाश करने वाले-
इस तरह के लोग भी होते हैं, लेकिन जरा कम. ये मानसिक रूप से बीमार होते हैं और समझते हैं कि लड़की उनसे प्यार करती है. ये लोग इस भ्रम में जीते हैं कि उनके बीच अथाह प्यार है. इस तरह के लोगों को समझाना या इनका इलाज करना बहुत कठिन होता है, क्योंकि उनकी नजर में वो बीमार नहीं बल्कि बहुत ही रोमेंटिक इंसान होते हैं. पॉप स्टार मडोना भी इसका शिकार हो चुकी हैं. एक इंसान उनके घर में घुस आया क्योंकि वो ये मानता था कि वो और मडोना एक रिश्ते में हैं.
5. हिंसक- इस तरह के लोग यौन उत्पीड़न की फिराक में होते हैं. इनके निशाने पर महिलाएं और बच्चे होते हैं. महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार करने वाले लोग इसी श्रेणी में आते हैं.
इन सभी में एक बात कॉमन है-
ये सभी जुनूनी होते हैं, सोच विकृत होती है, अहंकारी होते हैं, और सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं. लेकिन किसी के चेहरे पर लिखा नहीं होता कि वो कैसा है. इन्हें कैसे पहचाना जाए ये भी संभव नहीं है.
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महिलाओं के मामले में यही कहा जा सकता है कि वो सतर्क रहें. हो सकता है किसी से मुस्कुराकर बात करना भी सामने वाले इंसान को प्रेरित करे, सोशल साइट्स पर फ्रेंड्स बनाते वक्त ध्यान रखें, बेवजह किसी से चैटिंग, या ज्यादा चैटिंग भी भारी पड़ सकती है. किसी के प्रेम निवेदन को अस्वीकार करें तो भी ध्यान रखें. और इस भुलावे में तो रहें ही न कि आप कंवारी हैं या शादीशुदा या फिर दो बच्चों की मां हैं, क्योंकि मानसिक विकृत लोग ये सब नहीं देखते. खैर वजहें बहुत हो सकती हैं, हम सिर्फ सावधान रह सकते हैं और ऐसा कुछ हो रहा हो तो उसे इग्नोर न करके पुलिस से शिकायत करें, बार-बार करें.
पुलिस इन मामलों को गंभीरता से ले
बाकी उम्मीद की जा सकती है कि पुलिस से शिकायत किए जाने पर पुलिस भी स्टॉकर्स की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर ही फैसले ले, उन्हें जमानत दी जा रही है, तो भी नजर रखें कि वो छूटने के बाद क्या कर सकते हैं. बेवजह शिकायतकर्ताओं को न समझाएं कि वो समझौता कर लें, जैसा कि शिकायत किए जाने पर करुणा और उसके परिवारवालों को समझाया गया था. ऐसे लोगों को धरें और उन्हें मनोचिकित्सक के पास लेकर जाएं जिससे आगे के लिए परेशानी न हो. और फिर भी अपराधी को छोड़ने के बाद अगर वो दोबारा इस तरह की घटना दोहराता है और कोई उसे बर्दाश्त करता है तो इस बात की सारी जिम्मेदारी पुलिस की ही हो.
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