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Updated: 01 अप्रिल, 2016 06:30 PM
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गेहुंआ रंग, हाथों में मेहंदी, मांग में सिंदूर, माथे पर बिंदिया, हाथों में चूड़ियां, और गले में मंगलसूत्र. कुछ ऐसी ही छवि है न भारतीय नारी की. और अगर भारत की नारी इस छवि को तोड़कर बाहर आती है तो वो इस पुरुष प्रधान समाज की आंखों में खटकती है.

निमिषा भनोत एक इंडो-कैनेडियन कलाकार हैं जिन्होंने अपने चित्रों के जरिए भारतीय महिलाओं की वो छवि पेश की है जो लोगों की सोच से जरा जुदा है.

'बैडएस इंडियन पिनअप्स' नाम की पेंटिंग सीरीज में निमिषा ने ये दिखाने की कोशिश की है कि भारत की महिलाएं अब आत्मविश्वास से भरी हैं और लिंग भेद से आज़ाद हैं.

वतन मेरा इंडिया

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सौंदर्य को सलाम

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 करवाचौथ

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नागिनी

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निमिषा का कहना है कि 'दिल्ली में हुए निर्भया कांड से उन्हें इन पेंटिंग्स को बनाने की प्रेरणा मिली. लोग कह रहे थे कि लड़की रात को घर से बाहर थी इसलिए उसका बलात्कार हुआ, वहीं मोहन भागवत का कहना था कि पश्चिमी प्रभाव के कारण भारत अब इंडिया बन रहा है, इसलिए गैंग रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं. इन बातों ने निमिषा को परेशान कर दिया और उन्होंने इन चित्रों पर काम करना शुरू कर दिया. 

टायर चेंज रानी

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और 'बैडएस बहू' वहीं भारतीय महिलाओं को सिर्फ घर संभालने वाली महिलाओं के रूप में देखा जाता है, वे छवि भी अब नहीं रही, इसे उन्होंने अपने कैनवास पर बखूबी दिखाया है.

तुम्हारी मां की बहू नहीं

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घर कब आ रहे हो

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आपकी सोच की सलवटें दूर कर देगी

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बहू को पैसा, किटी पार्टी और कपड़े... सबका पता है

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पुरुष प्रधानता को बुहार देगी

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नाश्‍ते के लिए नहीं, रूप के लिए

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इन पेंटिंग्स जितनी बोल्ड हैं उतने ही इनके कैप्शन भी. लेकिन देखना ये है कि हमारा समाज क्या इन तस्वीरों में छिपी भारतीय नारी की छवि को पचा पाएगा?

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