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Updated: 08 जनवरी, 2022 07:51 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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14 साल की लड़की कैसी होती है? एक सामान्य बच्ची इस उम्र में पढ़ाई करती है, अपने दोस्तों के साथ खेलती है, और भविष्य के सुनहरे सपने देखती है. वह दुनिया की कई सारी बातों से अनजान होती है. अभी तो उसके जीवन की ढंग से शुरुआत भी नहीं हुई रहती है. उसे इस उम्र में मां की सबसे अधिक जरूरत होती है क्योंकि उसके शरीर में बहुत सारे हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं. सोचिए अगर इस नाजुक उम्र में उसे जबरन गर्भवती करके मां बना दिया तो उसके शरीर और मन पर क्या असर पड़ेगा? इतना ही नहीं, उसके बच्चे को बेच दिया जाए तो?

अभी तक मुर्गी फार्मिंग, गोट फार्मिंग और डेयरी फार्मिंग के बारे में सुना था लेकिन बेबी फार्मिंग (baby farming)???

पहले तो लगा कि यह खबर गलत होगी क्योंकि महिलाएं जानवर थोड़ी हैं जो बच्चे पैदा करेंगी और जिन्हें बेचा जाएगा. अफसोस कि यह खबर सही है. यहां कुछ लड़कियों की हालत तो मुर्गियों और बकरियों से भी गई गुजरी है. पता नहीं इस दुनिया में और क्या देखना बाकी है?

होने को तो दुनिया में बहुत अजीबोगरीब चीजें होती हैं, जिनके बारे में जानकर हमें हैरानी होती है लेकिन ये बात तो गले से नीचे नहीं उतर रही है. छोटी उम्र की लड़कियों को जबरन प्रेगनेंट करना और उनसे पैदा होने वाले बच्चों को बेचने की बात सोचकर ही दिल दुखने लगता है. जी हां अफ्रीका के एक देश में ऐसी फैक्ट्री है जहां सामान नहीं बच्चे पैदा किए जाते हैं. यह सच्चाई आपके दिल, दिमाग और आत्मा को भी झकझोर सकती है.

baby factory, Nigeria Baby Factory, baby factory nigeria, nigeria baby factory, girls force pregnant nigeria to sell babiesबच्चों की खेती की जा सकती है क्या?

असल में यह घटना नाइजीरिया की है. जहां बेबी फैक्ट्री (baby factory) के नाम पर बच्चा पैदा करने वाली फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं. जिसके लिए अफ्रीकी और दूसरे देशों की लड़कियों को जबरन गर्भवती किया जाता है फिर उन्हें बच्चे पैदा करने के लिए मजबूर किया जाता है. सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि इस धंधे के लिए 14 साल की बच्चियों को भी मां बनने के लिए दबाव बनाया जाता है.

महिलाओं से बालात्कार करने के बाद उनके बच्चों को ब्लैक मार्केट में बेच दिया गया

असल में दक्षिण पश्चिमी नाइजीरिया के मोवे इलाके में छापेमारी की गई थी. जिसमें पुलिस को छह 6 और 4 बच्चे मिले थे. इन सभी को कैद में रखा गया था. पुलिस प्रवक्ता अबिमबोला ओयेयेमी ने समचार एजेंसी एएफपी से कहास था कि, "मुखबिर से सूचना मिलने के बाद हमारे लोग गैरकानूनी प्रसव केंद्र में घुसे और 10 लोगों को रेस्क्यू किया." जिन लड़कियों को पुलिस ने छुड़ाया गया उनमें से 4 गर्भवती थीं. महिलाओं ने पुलिस को बताया था कि उन्हें कैद करके पहले बलात्कार किया गया और फिर उनके नवजात शिशुओं को ब्लैक मार्केट में बेच दिया गया.

बाल मजदूरी, सेक्स वर्क या नर बलि के लिए बेचे जाते हैं बच्चे

सोचकर ही सिर चकरा जाता है कि बेबी फैक्ट्री में पैदा होने वाले बच्चों को ज्यादातर बाल मजदूरी, सेक्स वर्क या नर बलि के लिए बेच दिया जाता है. पुलिस द्वारा छुड़ाई गई एक महिला ने पत्रकारों से बताया था कि नवजात लड़के को ढाई लाख नाइरा और लड़कियों को दो लाख नाइरा में बेच दिया जाता है.

क्यों होती हैं लड़कियां मजबूर?

शुरु में यह बिजनेस उन कपल्स के लिए शुरु किया गया था जिनके बच्चे नहीं थे. निसंतान कपल्स इन गर्भवती लड़कियों के बच्चों को मुंहमांगी रकम देकर खरीद लेते हैं. कई कपल्स तो बड़ी रकम देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं. इसलिए कई लड़कियों की तस्करी करके खरीद कर यहां लाया जाता है तो कई लड़कियां गरीबी की मार की वजह से पैसे की लालच में खुद ही इस गर्त में चली आती हैं और सरोगेट मदर बनने के लिए मजबूर हो जाती हैं.

14 से 17 साल की लड़कियां होती हैं टारगेट

पहली बात तो यह है कि यहां बच्चों को जन्म देने वाली लड़कियों की उम्र 14 से 17 साल होती है. दूसरी बात यह कि वे अपनी मर्जी से अबॉर्शन भी नहीं करा सकतीं क्योंकि देश का कानून उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं देता. बच्चे पैदा होते ही यहां के माफिया उन्हें 3-4 लाख रुपए में आराम से बेच देते हैं. चोरी छिपे इस धंधे को चलाने वाले कम उम्र की लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं.

बेबी फैक्ट्रियों को अनाथालय, मैटरनिटी होम और धार्मिक केंद्रों की तरह पेश किया जाता है

बेबी फार्मिंग का यह बिजनेस इंडोनेशिया और यूक्रेन सहति कई देशों में चल रहा है. जो अनाथ आश्रम और अस्पतालों में चोरी-छिपे चलाया जाता है. फिलहाल नाइजीरिया में बच्चे पैदा करने और उन्हें बेचन का व्यापार बेहद खतरनाक हो चुका है. ऐसी बेबी फैक्ट्रियां ज्यादातर खुद को अनाथालय, मैटरनिटी होम और धार्मिक केंद्रों की तरह पेश करती हैं. गार्डियन वेबसाइट की रिपोर्ट की माने तो साल 2011 के एक छापे में सुरक्षाकर्मियों ने करीब 32 प्रेग्नेंट महिलाओं को रिहा किया था. इन महिलाओं को जबरन बंधक बनाकर यहां लाया गया था ताकि उनसे बच्चे पैदा किए जा सकें. महिलाएं जैसे जानवर से भी बदतर हो गई हैं. इस मामले में जिन लोगों को गिरफ्तारी होती है वे बाद में बड़े आराम से छूट भी जाते हैं, क्योंकि इसमें काफी बड़े स्तर पर लोग काम करते हैं.

2006 में पहली बार ऐसा मामला सामने आया

साल 2006 में बेबी फैक्ट्री का पहला मामला यूनेस्को ने दर्ज किया था. तब से करीब हर साल दक्षिणी नाइजीरिया में इसतरह की बेबी फैक्ट्रियों के नए मामले सामने आते रहे हैं. साल 2011 में 49 गर्भवती महिलाओं को रेस्क्यू किया गया था. वहीं 2013 और 2015 में भी कुल 13 बेबी फैक्ट्रियों का मामला पुलिस के सामने आया था.

जब आतंकवादी संगठन ने चिबोक शहर के एक स्कूल से 276 लड़कियों को अगवा कर लिया

सोचिए हम किस जहां में रहते हैं? साल 2014 में दुनिया भर के लोग तब लोग हैरान हो गए जब आतंकवादी संगठन बोको हराम ने चिबोक शहर के एक स्कूल से 276 लड़कियों को किडनैप कर लिया. इसके बाद अगवा की गई उन लड़िकियों से रेप किया गया. वहीं जब साल 2015 में 50 लड़िकियां गर्भवती हो गईं तब उन छात्राओं को रिहा करने के बदले बोको हराम ने अपने साथी आतंकवादियों को जेल से रिहा करने की मांग रखी थी. इन छात्राओं की रिहाई के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा और कई बड़ी हस्तियों ने अभियान छेड़ दिया था. जिनके बाद सैन्य कार्रवाई हई और छात्राओं को छुड़ाया गया.

दुनिया में अब बचा क्या है?

कहा जाता है कि बच्चे ईश्वर की देन है. आज भगवान भी इस दुनिया को देखकर दुखी हो रहे होंगे कि इंसान कितना हैवान बन गया है. कोई मां और उसकी संतान का सौदा कैसे कर सकता है? किसी को अपना बच्चा दे देना, किसी बच्चे को गोद ले लेना अलग बात है और किसी को मजबूर कर उसे जबरन मां बनाकर उसके बच्चे को बेच देना पाप है. मां और बच्चे का ये पवित्र रिश्ता भी लोगों के लिए एक धंधा बनकर रह गया...याद रखिए हम जो प्रकृति को देते हैं वह प्रकृति हमें सूद समेत वापस करती है.

प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का नजीता ही है जो हम कोरोना वायरस के रूप में भुगत रहैं है. सर्दी में बारिश और गर्मीं में ठंड...ये जो क्लाइमेट बदला है यह भी हमारी गलती का ही नजीता है. तो सोचिए ये लोग तो मां और बच्चे का ही बिजनेस कर रहे हैं, पता नहीं आगे और क्या-क्या होने वाला है? ऐसी खबरें सुनकर मन तो यही करता है कि दुनिया खत्म हो जाए तो अच्छा है...

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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