बहुत अखर रही है रिंकू शर्मा की हत्या के बाद सिलेक्टिव चुप्पी!
दिल्ली के मंगोलपुरी में 25 साल के रिंकू शर्मा की हत्या हुई है. एक निर्मम हत्या पर चुप्पी इसलिए क्योंकि रामभक्त था और बजरंग दल का हिस्सा था? इन दोनों में से कुछ भी होना अपराध है क्या? फिर ये चुप्पी कैसी? सोशल मीडिया का सेलेक्टिव आउटरेज शायद ही किसी की समझ में आए.
-
Total Shares
मंगोलपुरी के रिंकू शर्मा की बेरहम हत्या पर सबकी ख़ामोशी क्यों? क्या हम इतने संवेदनहीन हो गये हैं कि जिन बातों का विरोध करते रहे उन्हें स्वयं में समाहित कर लिया? एक निर्मम हत्या पर चुप्पी इसलिए क्योंकि वह 25 वर्षीय बालक रामभक्त था और बजरंग दल का हिस्सा था? इन दोनों में से कुछ भी होना अपराध है क्या? फिर ये चुप्पी कैसी? सोशल मीडिया का सेलेक्टिव आउटरेज मुझे समझ नहीं आता. मामला हिंदू-मुसलमान का है इसलिए मुंह में च्युइंग गम भर लिया है तो ज़रा ग़ौर करें कि यहां साम्प्रदायिकता और कट्टरता थी ही नहीं. जबरन भगवा और हरा न भरें हर जगह. लड़ाई पार्टी में हुई थी.
दिल्ली में 4 युवकों ने रिंकू नाम की निर्मम हत्या की है
जिस इस्लाम और मेहताब ने मिलकर उसे मार डाला, उसी इस्लाम की बीवी को रिंकू ने तीन वर्ष पहले ख़ून दिया था. रक्तदान को महादान मानते हैं न आप. उसका भाई जब कोविडग्रसित था तो उसे स्वयं अस्पताल ले गया और इलाज में मदद की.
लॉकडाउन में अस्पतालों की दशा और कोविड का ख़ौफ़ याद कर लें तो समझ आयेगा कि यह कितनी बड़ी बात थी. जब आप किसी के खांसने से दूर भाग जाते थे और जुकाम सुनकर मिलने नहीं जाते थे तब वह लड़का उस परिवार के साथ रहा.
इसके बाद झगड़ा पार्टी में हुआ हो या पार्क में, क्या उसे इतना तूल दिया जाना था कि रात के साढ़े दस बजे गुंडों के साथ घर पर धावा बोल दिया जाए?
कितना ग़ुस्सा, कितनी नफ़रत भरी थी जो लाठी से पीटते-पीटते भी नहीं ख़त्म हुई और चाकू घोंप दिया गया उस लड़के की पीठ पर जो उसकी रीढ़ की हड्डी में फंसा रह गया. पीठ पर चाकू घोंपना इसे ही कहते हैं.
अगर आप उसके रामभक्त होने से इस मामले पर चुप हैं तो गिरेबान में झांकने की ज़रूरत है. अगर आप उसके बजरंग दल में होने के कारण उसकी हत्या का विरोध नहीं कर पा रहे हैं और मौन हैं तो सोचिएगा कि रिंकू की रीढ़ पर वार हुआ है, आपकी रीढ़ को क्या हुआ.
मतभेद को मनभेद नहीं बनाना चाहिए, मनुष्यता सर्वोपरि है, विरोध विचारों का हो सकता है व्यक्ति का नहीं... जैसी बातें अब कूड़ेदान में डाल दें. सूट नहीं करता आपके टेंपरामेंट (स्वभाव) को. लेख का उद्देश्य सेलेक्टिव आउटरेज का विरोध करना है. इसके सहारे साम्प्रदायिकता को हवा देने का प्रयास न करें.
ये भी पढ़ें -
Covid vaccine 'साइड इफेक्ट' के बारे में 5 बातें जान लें, गलतफहमी दूर हो जाएगी
कंगना रनौत: क्या करूं मैं इतनी टैलेंटेड हूं तो...!
Kasganj में पुलिस पर हुए हमले ने यूपी के लॉ एंड आर्डर को बेनकाब किया है!
आपकी राय