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Updated: 08 मई, 2019 05:52 PM
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देश के कुछ सबसे अनोखे शहरों में से एक है बेंगलुरु. इस शहर का इतिहास भी बहुत दिलचस्प रहा है. ये एशिया का पहला शहर है जिसने इलेक्ट्रिसिटी वाली स्ट्रीट लाइट्स का इस्तेमाल किया था. ये कारनामा 1905 में हुआ था और तब से लेकर अब तक ऐसे न जाने कितने ही खिताब बेंगलुरु ने अपने नाम कर लिए हैं.

देश की टेक्निकल सिटी कहा जाता है इसे और गलत भी नहीं है. यही पहला ऐसा शहर है भारत का जिसका अपना लोगो है (इसके पहले सिर्फ न्यूयॉर्क, मेलबर्न और सिंगापुर में था.) बेंगलुरु के नाम ऐसा बहुत कुछ है जिसे देखकर लगे कि ये शहर गर्व से भरा हुआ है. लेकिन हाल ही में इस शहर का एक ऐसा रिकॉर्ड सामने आया है जिसे देखकर शायद बेंगलुरु के निवासियों को थोड़ा अचंभा हो.

Gleeden भारत की पहली एक्स्ट्रामैरिटल डेटिंग वेबसाइट है जिसे एक महिला ने बनाया है. ये महिलाओं के लिए फ्री भी है. इस वेबसाइट की एक स्टडी कहती है कि बेंगलुरु देश की 'बेवफाओं वाली राजधानी' है.

वेबसाइट के मुताबिक शहर की 43,200 महिलाओं और 91,800 पुरुषों ने इस वेबसाइट का इस्तेमाल किया. कुल 1.35 लाख लोग इस वेबसाइट पर विवाहेत्तर संबंध बनाने के लिए आए थे. हालांकि, वेबसाइट ने अन्य शहरों का रिकॉर्ड नहीं दिया, लेकिन ये जरूर बता दिया कि बेंगलुरु नंबर वन है.

Gleeden के मुताबिक सभी यूजर्स की लिस्ट में से 27% बेंगलुरु से थे.

ग्लीडन की तरफ से अपने कुछ यूजर्स के स्टेटमेंट भी जारी किए गए. हालांकि, किसी का नाम नहीं दिया गया. एक महिला यूजर का कहना है कि अफेयर के कारण उसका रिश्ता बेहतर हुआ है. वो अपने परिवार के ज्यादा करीब आई है. इस रिश्ते के पहले उसमें प्रोत्साहन की कमी थी. अब उसे ये रिश्ता खुशी देता है.

रिपोर्ट कहती है कि मेट्रो शहरों में जहां पति-पत्नी दोनों ही काम करते हैं उस जगह बिजनेस ट्रिप आम हैं और 52% महिलाओं और 57% पुरुषों ने ये माना है कि ऐसी ट्रिप्स में वो चीटिंग करते हैं.

पर क्या कारण हो सकते हैं विवाहेत्तर संबंधों के?

साकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल बेंगलुरु के डॉक्टर नवीन जयराम का कहना है कि इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे पति-पत्नी की समझ एक सी नहीं है, लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप है, पार्टनर ज्यादा देर तक काम करता है, पार्टनर शारीरिक संबंधों से संतुष्ट नहीं है.

क्यों इस स्टडी पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता?

देखिए सबसे पहली बात कि ये स्टडी एक वेबसाइट ने की है. भारत में हर कोई टेक सैवी नहीं है और जहां तक बेंगलुरु की बात है तो इस शहर में आधे से ज्यादा लोग तकनीक के भरोसे ही जीते हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग हब है ये शहर. ऐसे में यकीनन बेंगलुरु को ज्यादा वेबसाइट यूजर्स हो सकते हैं.

दूसरी बात ये कि बेंगलुरु की आबादी 1.2 करोड़ है और ऐसे में 1 लाख लोगों का बेवफा होना कोई बड़ी बात नहीं. तीसरी बात ये कि इस वेबसाइट ने भारत के हर शहर का सर्वे नहीं किया होगा बस उनका जहां से वेबसाइट को यूजर बेस मिला होगा. हो सकता है कई लोग ऐसे हों जिनका अफेयर तो हो, लेकिन वो वेबसाइट पर न हों. ऐसे में क्या उन्हें बेवफा नहीं माना जाएगा?

सुप्रीम कोर्ट भी अब लिव इन रिश्ते और अडल्ट्री को जुर्म नहीं मानता है. ऐसे में क्यों इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि बेंगलुरु में बेवफा ज्यादा रहते हैं? सोचने वाली बात है कि इस शहर में कई लोग हो सकता है सिर्फ अकेलापन कम करने के लिए बेवफाई कर रहे हों और उनमें कोई फिजिकल रिश्ता ही न हो. ऐसे में शहर को बदनाम करना सही नहीं है.

किसी भी शहर को अगर बेवफाओं का शहर कहा जा रहा है तो उसके लिए पूरी तरह से सर्वे करना जरूरी है. हो सकता है वेबसाइट में बेंगलुरु के बहुत से यूजर्स हों, लेकिन उसका मतलब ये तो बिलकुल नहीं है कि पूरे भारत में किसी और शहर में ऐसा रिकॉर्ड तोड़ा ही नहीं जा सकता. इसलिए अगर कोई कहे कि ये रिपोर्ट एकदम पक्की है तो उसे एक बार फिर से सोचने की जरूरत है. आज की जिंदगी में ऐसा मुमकिन है कि लोग अकेलेपन और स्ट्रेस के कारण ऐसे रिश्ते बना लें. हो सकता है कि सिर्फ बातें करने के लिए पार्टनर खोजने के लिए ही उस वेबसाइट पर लोग जाते हों तो उसे सीधी-सीधी चीटिंग कहना या उसे विवाहेत्तर संबंध कहना पूरी तरह से सही नहीं होगा. इसे न तो पूरी तरह से नकारा जा सकता है और न ही स्वीकारा जा सकता है. ये कहना कि बिलकुल ऐसे लोग नहीं होते ये भी गलत होगा, लेकिन कम से कम बिना पूरी रिसर्च के बेंगलुरु को बेवफाओं का शहर तो नहीं कहा जा सकता है. 

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#बेंगलुरु, #बेवफाई, #लिव इन, Bangalore, Infidelity, Social Media

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