जर्मनी हो या बेंगलुरु, जहां भीड़ होती है वहां कुछ भेडि़ए भी आते हैं
31 दिसंबर 2016 की रात जर्मनी के कोलोन शहर में सैकड़ों युवतियों के साथ जो हुआ, उसने रोंगटे खड़े कर दिए थे. ठीक सालभर बाद 31 दिसंबर को वैसा ही कुछ बेंगलुरु की सड़कों पर हुआ है.
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जब भी ये बात कही जाती है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जा रहे हैं तब ही कोई ना कोई घटना ऐसी हो जाती है कि खुद को ही इस बात पर शक होने लगता है. नए साल में भी कुछ ऐसा ही हुए. इस बार घटना आम तौर पर अनसेफ माने जाने वाले दिल्ली में नहीं बल्कि बेंगलुरु की है. कोई ऐसी वैसी छोटी बात भी नहीं. शहर में नए साल का जश्न मना रही लड़कियों के साथ कई लोगों ने छेड़-छाड़ की. इसे मास मॉलेस्टेशन कहेंगे.
रात 11 बजे के आस-पास शहर के दो सबसे व्यस्त इलाकों में शामिल एमजी रोड और ब्रिगेड रोड पर लोगों के सामने महिलाओं से छेड़छाड़ हुई. शहर में 1500 पुलिसकर्मी तैनात थे और उन्होंने करीब 500 गाड़ियों को पकड़ा भी. एक होड़ सी दिखी जिसमें कौन कितना नशे में है और किसको छेड़ सकता है शायद इसकी लिमिट तय की जा रही थी. लड़कियों को गलत तरह से हाथ लगाया गया, छेड़ा गया, कमेंट पास किए गए, दौड़ाया गया. इन सबकी 1000 से भी ज्यादा शिकायतें आईं. बेंगलुरु मिरर में छपी तस्वीरें देखें तो घटना कितनी विभत्स थी ये समझ आ जाएगा.
बेंगलुरु भी अब दिल्ली की तरह ही अनसेफ हो गया |
क्या वाकई देश में महिलाओं की सुरक्षा इतनी कठिन है? इससे पहले हमेशा दिल्ली में ऐसा होता आया है कि अगर कोई लड़की अपनी मर्जी से खुलकर घर के बार निकले तो उसके साथ कुछ ना कुछ गलत होना तय था. अब तो बेंगलुरु में भी ये होने लगा. कावेरी विवाद के समय भी बेंगलुरु में ऐसा ही कुछ हुआ था.
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क्या जर्मनी की राह पर चल पड़ा बेंगलुरु?
जर्मनी में 2016 न्यू इयर पार्टी के दौरान भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था. हजारों की संख्या में वहां छेड़छाड़ के मामले सामने आए थे और कम से कम 24 रेप की घटनाएं सामने आई थीं. जर्मनी के कोलोन शहर में सबसे ज्यादा वारदातें हुईं थीं.
तो क्या जर्मनी की राह पर बेंगलुरु भी चल पड़ा है. भीड़ के बीच लड़कियों के साथ ऐसी वारदात को अंजाम देने वालों के अंदर इतनी हिम्मत कैसे आई? इंतजाम को दोष दिया जाए, लोगों को, लड़कियों को या फिर ऐसी हरकत करने वालों को, इसका फैसला तो आप खुद कीजिए, लेकिन एक बात तो पक्की है कि 2017 में भी लड़कियों को अपनी मर्जी से नए साल का जश्न मनाने तक की आजादी नहीं है. अब शायद इस घटना पर भी किसी नेता का बयान आएगा कि शायद लड़कियों को ऐसे नया साल नहीं मनाना चाहिए था. कोई बोलेगा कि पुलिस वाले ठीक से काम नहीं कर रहे, लेकिन भीड़ के बीच से आए उन हुड़दंगियों के बारे में कोई कुछ नहीं कहेगा जिन्होंने ये हरकत की. आपको क्या लगता है? किसकी गलती है इसमें?
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