नए साल में आई ये 5 खबरें दिल खुश कर देंगी...
नए साल पर गिफ्ट तो कई मिले होंगे पर क्या आपने नए साल के असली तोहफों को जाना है. असल में जो बातें बदलाव ला सकें वो ही नए साल के लिए बेहतरीन तोहफा हो सकती हैं.
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नए साल पर गिफ्ट मिले तो बहुत अच्छा लगता है. मेरी नजर में एक अच्छी खबर भी किसी अच्छे गिफ्ट से कम नहीं होती. कुछ ऐसे ही नए गिफ्ट नए साल पर मिले हैं. जहां एक ओर सपा संग्राम, नोटबंदी और ठंड की खबरें लोगों के सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ छोटी-छोटी खबरें भी हैं जिनके बारे में जानकर शायद आपको अच्छा लगे. चलिए देखते हैं कुछ ऐसी ही खबरें जो आपको खुश कर सकती हैं.
1. मच्छर के काटने से हुई मौत भी होती है एक्सिडेंट...
मच्छर के काटने पर हुई मौत पर भी अब इंश्योरेंस मिलेगा. मौसमी भट्टाचार्य के मामले की सुनवाई पर नेशनल कंज्यूमर कमीशन के जज वीके जैन ने ये फैसला सुनाया. इन्शोरेंस कंपनियां सांप के काटने, कुत्ते के काटने और ठंड से मौत को भी एक्सिडेंट माना जाता है.
मलेरिया और डेंगू से होने वाली मौत पर भी क्लेम किया जा सकेगा |
2. मुंबई में 20 प्रतिशत कम हुई ड्रंक ड्राइविंग...
पिछले साल के मुकाबले इस साल मुंबई में ड्रंक ड्राइविंग के केस 20 प्रतिशत कम रहे. पिछले साल 31 दिसंबर को ये 705 केस थे और इस साल 565 केस. लगता है लोग अपनी सुरक्षा के लिए जागरुक हो रहे हैं.
लगातार कम हो रहे ड्रंक ड्राइविंग के केस |
3. धर्म के नाम पर नहीं मांग सकेंगे वोट...
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि अब नेता धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग सकेंगे. एपेक्स कोर्ट का कहना है कि धर्म, जात के नाम पर इलेक्शन में वोट नहीं मांग सकते. इसमें हिंदुत्व भी शामिल है. ये शायद नए साल का सबसे बेहतरीन तोहफा है. कोर्ट के अनुसार जो भी कैंडिडेट ऐसा करेगा उसके तहत सेक्शन 123(3) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.
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4. BSF ने पहली बार बनाई लेडीज स्टंट टीम...
इस साल मार्च में बीएसएफ को महिलाओं की स्टंट टीम मिल जाएगी. इसमें 46 महिलाओं का चयन हुआ है. इनमें से 43 ने तो पहले कभी गाड़ी चलाई ही नहीं थी. इन्हें रोज 6 घंटे की ट्रेनिंग दी जा रही है और ये 13 प्रकार के फॉर्मेशन बनाना सीख चुकी हैं. लगता है वाकई भारत थोड़ा एडवांस हो रहा है.
5. सत्रह बच्चों के माता-पिता की गांव वालों ने कराई नसबंदी..
गुजरात के दाहोद में बेटे की चाह रखने वाले एक जोड़े ने 17 बच्चे पैदा कर दिए. इनमें से सिर्फ 1 ही बेटा था. बच्चों के पिता राम सिंह का कहना है कि उन्हें एक और बेटा चाहिए था, लेकिन गांव वालों ने उन्हें समझाया और उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नि की नसबंदी करवा दी. अब चाहें कोई कुछ भी बोले, गांव वालों का ये फैसला तो एकदम सही था.
भले ही ये सभी खबरें हर इंसान को खुश ना कर पाएं, लेकिन असल बात तो ये है कि इतनी नकारात्मकता के बीच अगर कुछ सकारात्मक खबरें दिखें तो बुराई क्या है. ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है कि किसी बुराई को किस तरह से लिया जाए. उम्मीद करती हूं कि ये नया साल आप खुद के लिए छोटी-छोटी खुशियां और सकारात्मक सोच जरूर अपने साथ रखेंगे.
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