IIT में हुए पार लेकिन बिहार बोर्ड ने फोड़ा कपार
बिहार बोर्ड के एक्जाम में 65 प्रतिशत बच्चे नहीं फेल हुए हैं, बल्कि वहां का पूरा शिक्षा तंत्र फेल हुआ है. शिक्षक से लेकर प्रशासन तक और समाज से लेकर सरकार तक.
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रिजल्ट. ये ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही क्या छात्र, क्या कामगार, सबकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है. रिजल्ट नाम का ये खौफ इंसान के साथ हमेशा साए की तरह चलता है. कुछ दिन पहले ही सीबीएसई और आईसीएसई के नतीजे आए. छप्पर फाड़कर नंबर बच्चों को आए. सीबीएसई की टॉपर को 99.6 नंबर आए.
मंगलवार को बिहार बोर्ड के भी नतीजे आए. और सीबीएसई के नतीजों के ठीक उलट सिर्फ 35 फीसदी छात्र ही पास हो पाए. बस फिर क्या था घमासान मच गया. पिछले साल बंपर रिजल्ट हुआ था इसलिए बिहार बोर्ड सुर्खियों में आया था, इस साल रिजल्ट का सूखा पड़ा इसलिए मीडिया में छा गया. लेकिन इसके साथ ही एक और घालमेल है जिसकी वजह से बिहार बोर्ड को बहार बोर्ड का तमगा मिल गया.
फेल करने को बेकरार हैं
राजगीर के अनुज कुमार और दानापुर के शशि शेखर ने आईआईटी के कठिन इक्जाम को तो क्लियर कर लिया पर बिहार बोर्ड के 12वीं को पास करने में उनके पसीने छूट गए. नतीजा आया तो फेल! अनुज ने आईआईटी में तो अच्छे मार्क्स लाए लेकिन 12वीं के नतीजे में उसे फीजिक्स और केमिस्ट्री में सिर्फ 6 नंबर मिले और मैथ में 36 नंबर! वहीं शशि शेखर को फीजिक्स में 4, केमिस्ट्री में 6 और मैथ्स में 36 नंबर मिले.
वैसे अनुज और शशि ही बिहार बोर्ड की सख्ती के अकेले भुक्तभोगी नहीं हैं. शेखपुरा में रहने वाले रोहित को आईआईटी में फिजिक्स में 52 और 12वीं में सिर्फ 1 नंबर मिले हैं! आपको यकीन हुआ? नहीं हुआ तो भी कर लीजिए क्योंकि ये इन बच्चों के साथ हुए क्रूर मजाक की सच्चाई है. और करेला वो भी नीम चढ़ा ये कि साइंस के स्टूडेंट विशाल कुमार ने 12वीं की परीक्षा में गणित का पेपर दिया था, लेकिन बोर्ड ने उन्हें जीव विज्ञान के विषय में पास कर दिया गया है!
अब ये चमत्कार तो बिहार में ही हो सकता है. छात्रों के जीवन के साथ किए गए इस भद्दे मजाक के लिए कौन जवाबदेह है? यकीन मानिए बिहार बोर्ड के एक्जाम में 65 प्रतिशत बच्चे नहीं फेल हुए हैं, बल्कि वहां का पूरा शिक्षा तंत्र फेल हुआ है. शिक्षक से लेकर प्रशासन तक और समाज से लेकर सरकार तक. बिहार के शिक्षा में गहरे तक पैठ जमा चुके कामचोरी, धांधली और बेशर्मी का ही ये नतीजा है कि बिहार में बहार तो है लेकिन अराजकता, बेगारी और अशिक्षा का.
जिस देश का वर्तमान ऐसा होगा उसके भविष्य के बारे में साफ कयास लगाए जा सकते हैं. ना तो प्रोडिकल साइंस पढ़ने की जरूरत है न ही रॉकेट साइंस.
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