प्राडिगल साइंस भूल जाइए, अब तो बिहार यूनिवर्सिटी पेपर छापना ही भूल गई
बिहार की इस यूनिवर्सिटी में 94 छात्र परीक्षा देने पहुंचे लेकिन बिना दिए ही वापस लौट गए. कारण ऐसा है जो आपने पहले कभी सुना नहीं होगा.
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बिहार का नाम पिछले साल कई लोगों ने 'रौशन' किया. सबसे ऊपर रहा टॉपर्स घोटाला और उससे भी ऊपर रहीं रूबी राय. रूबी राय और 'प्रोडिकल साइंस' वाली बातों ने न सिर्फ लोगों को हंसाया बल्कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था की वो छवि पेश की जो आज भी लोगों के जेहन में बसी हुई है. और न जाने क्यों ये राज्य नहीं चाहता कि वो छवि जरा भी धूमिल हो, तो इस साल भी एक ब्रेकिंग न्यूज ले ही आया बिहार.
तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी में एमए हिंदी के दूसरे सेमेस्टर की आखिरी परीक्षा होनी थी, पर हो नहीं पाई. 94 छात्र इस परीक्षा को देने के लिए पहुंचे लेकिन पेपर बिना दिए ही लौट आए. कारण ऐसा है जो आपने पहले कभी सुना नहीं होगा.
असल में यूनिवर्सिटी इस परीक्षा के प्रश्नपत्र ही छापना भूल गई. बताया जा रहा है कि प्रश्न पत्र प्रिंट कराने के लिए भेजे तक नहीं गए. अब यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार लोग एक-दूसरे के सर इस बात का ठीकरा फोड़ रहे हैं. फिलहाल छात्रों को इस परीक्षा की दूसरी तारीख दी जाएगी.
तो बिहार में शिक्षा चाहे माध्यमिक हो, उच्च माध्यमिक हो या फिर विश्वविद्यालय स्तर की ही क्यों न हो, व्यवस्था ढीली ही दिखाई देती है. इतना ही नहीं, एक और खबर भी सुनते जाइए, वो भी बिहार से ही आ रही है.
अप्रेल में ही गर्मी मई जून का मजा दे रही है. जाहिर है बिहार भी गर्मी का प्रकोप झेल रहा है. पर गर्मी ये भी करवा सकती है आपने सोतचा भी नहीं होगा. पटना रेलवे स्टेशन से चली एक लोकल ट्रेन सैकड़ों लोगों को लेकर मुगलसराय की तरफ चली, लेकिन बक्सर में ही रुक गई. और अपने यात्रियों को गर्मी में उनके हाल पर छोड़ करीब 2 घंटे तक रुकी ही रही, कारण?
ये भी आपने पहले कभी नहीं सुना होगा. ट्रेन दो घंटों तक इसलिए रुकी रही क्योंकि ट्रेन के ड्राइवर को बहुत तेज गर्मी लग रही थी और पारा 40 डिग्री था और ऐसे में ड्राइवर साहब ठंडे पानी से नहाने चले गए थे. बार-बार आगे बढ़ने का सिग्नल दिए जाने के बावजूद भी जब गाड़ी आगे नहीं बढ़ी तो पाया गया कि ड्राइवर साहब गायब हैं, जो उनकी ढुंढाई मची, तो पाया गया कि वो तो ठंडे पानी में नहाने के मजे ले रहे थे. मजे-मजे में डाइवर साहब ने गर्मी से तो निजात पा ली, लेकिन ट्रेन यात्रियों को भूल गए. अब इस लापरवाही की बदौलत इनके साथ क्या होगा भगवान ही जाने.
इस बार भी बिहार इन अजीब कारणों की वजह से चर्चा में आ गया है. जबकि उम्मीद की जाती है कि बिहार अपनी छवि बदलकर एक उदाहरण की तरह सामने आए. बिहार के बारे में ये बातें बताने का आशय बिहार का मजाक उड़ाना नहीं बल्कि वहां की व्यवस्था संभाल रहे लोगों को आईना दिखाना है.
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