New

होम -> समाज

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 03 जुलाई, 2020 05:52 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

दुनिया में तमाम मुद्दों या फिर अलग अलग विचारधाराओं को लेकर कितनी भी लड़ाई या फिर बहस क्यों न हो जाए मगर जब बात खाने की मेज की आती है तो कहा यही जाता है कि डाइनिंग टेबल और उसपर परोसा भोजन जाति धर्म से परे है और उसका कोई मजहब नहीं है. इस बात को हम कई बार सुन चुके हैं. सवाल ये है कि क्या यही सच्चाई है? तो जवाब है नहीं कम से कम बिरयानी के मामले में तो हरगिज़ नहीं. बिरयानी ने खान पान के शौकीन व्यक्तियों को दो वर्गों कट्टरपंथी और लिबरल में तब्दील कर दिया है. कट्टरपंथियों के लिए सिर्फ हैदराबादी बिरयानी ही बिरयानी है इसके बाद जो कुछ भी बचता है वो पुलाव है. वहीं बिरयानी के शौकीन ये कट्टरपंथी बॉम्बे या पाकिस्तानी बिरयानी को मटन मसाला राइस मानते हैं साथ ही इनका कोलकाता बिरयानी पर भी कड़ा ऐतराज है. इन लोगों का मानना है कि बिरयानी का वो आइटम जिसमें आलू पड़ा है उसे बिरयानी कहना ही पाप है दरअसल बिरयानी नुमा ये चीज बटाटा वड़ा राइस है.

Biryani, War, Twitter, Hyderabad Biryani, Lucknow Biryani दुनिया के सभी मुद्दे एक तरफ हो गए हैं और अब जंग बिरयानी को लेकर शुरू हो गयी है

बिरयानी के हार्डकोर शौकीनों या ये कहें कि इन बिरयानी कट्टरपंथियों को दुनिया की किसी और चीज़ से कोई मतलब नहीं है. इनकी लड़ाई बिरयानी से, बिरयानी के लिए हैं. ये लोग उन लोगों से खफा हैं जिनका मानना है कि चावल में अगर मीट और कुछ ज़रूरी मसाले डाल दिये जाएं तो बिरयानी तैयार हो जाती है.

बिरयानी के कट्टरपंथियों और लिब्रल्स से जुड़ी बातें और उनके द्वारा पेश तर्कों पर पूरी पड़ताल होगी मगर सबसे पहले हमारे लिए ये समझना बहुत ज़रूरी है कि आखिर बिरयानी है क्या? आखिर क्या बताता है इसका इतिहास.

क्या है बिरयानी का इतिहास

बिरयानी का इतिहास पर्शिया से जुड़ा है. माना जाता है कि बिरयानी पर्शिया से होते हुए पूरी दुनिया में फैली है. 'बिरयानी' पर्शियन शब्द बिरियन जिसका मतलब 'कुकिंग से पहले फ्राई' और 'बिरिंज' यानी चावल से निकला है. बिरयानी भारत कैसे आई? इसे लेकर तर्क यही दिया जाता है कि इसे मुगल अपने साथ लेकर आए थे और जैसे जैसे समय आगे बढ़ा मुगल रसोइयों की बदौलत ये बेहतर से बेहतरीन होती चली गई.

Biryani, War, Twitter, Hyderabad Biryani, Lucknow Biryani बताया जाता है कि भारत में पहली बार बिरयानी मुग़ल अपने साथ लेकर आए थे

इतिहास में कुछ कहानियां ऐसी भी हैं जिसमें बिरयानी का पूरा क्रेडिट बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल को जाता है. कहावत है कि एक बार मुमताज अपनी सेना की बैरक में गईं जहां उन्होंने देखा कि ज्यादातर मुगल सैनिक कमज़ोर हो गए हैं. सैनिकों की ऐसी हालत मुमताज़ से देखी न गई. उन्होंने फौरन ही शाही बावर्ची को तलब किया और आदेश दिया कि सैनिकों को संतुलित आहार देने वाली डिश दी जाए. इसके लिए बेगम मुमताज़ ने बावर्ची से चावल और गोश्त (मीट) का ऐसा मिश्रण बनाने को कहा जिससे सैनिकों को भरपूर पोषण मिले. इसके बाद कई तरह के मसालों और केसर को मिलाकर बिरयानी का जन्म हुआ.

वहीं बिरयानी से जुड़ी एक किवदंती ये भी है कि तुर्क- मंगोल आक्रांता तैमूर इसे अपने साथ भारत लाया था जो भारत में फैली और लोगों ने अपने हिसाब से इसे लेकर प्रयोग किये. ये तो हो गया बिरयानी का इतिहास. हम बात कर रहे थे बिरयानी के कट्टरपंथियों और लिब्रल्स की. साथ ही हमने ये भी बताया है कि बिरयानी को लेकर कट्टरपंथियों के क्या तर्क हैं.

अब हम बात लिब्रल्स की करें तो उनका मानना है कि यदि चावल में मीट और मसाले मिला दिए जाएं तो बिरयानी बन सकती है वहीं अगर इसमें प्रयोग लिए जाएं तो भी कोई हर्ज नहीं है.

इतनी बातों के बाद आइये जानते हैं कि वो कौन कौन से ऐतराज है जो हार्डकोर बिरयानी लवर्स को देश दुनिया भर की अलग अलग बिरयानियों पर हैं. 

लखनऊ बिरयानी पर ऐतराज

कट्टरपंथियों का मानना है कि लखनऊ बिरयानी एक किस्म का पुलाव है जिसमें केसर, चावल की क्वालिटी और माइल्ड मसालों में तैयार किया गया मीट ही उसकी पहचान है. हार्डकोर फूडीज का मानना है कि आप बिरयानी का अरोमा तो ले सकते हैं मगर मसाले न होने के कारण आप फीकेपन का एहसास करेंगे.

कोलकाता बिरयानी पर ऐतराज

कोलकाता की बिरयानी लखनऊ की बिरयानी से थोड़ी अलग और मसालेदार होती है मगर चूंकि अंडा और आलू इसकी पहचान है इसलिए वो लोग जो असली बिरयानी खाने के आदि है इसे बिरयानी नहीं मानते. ऐसे लोगों का मानना है कि अंडा और आलू डालकर आप और कुछ नहीं बस बिरयानी के साथ मजाक कर रहे हैं.

थलासेरी बिरयानी को लेकर भी है विरोधाभास

असली बिरयानी के शौकीनों का कोप केरल की थलासेरी बिरयानी भी भोगती है. बात अगर इस बिरयानी की हो तो इसमें चावल मोटा होता है साथ ही जो मीट होता है उसे रोस्ट करके डाला जाता है. बिरयानी थोड़ी खटास लिए होती है इसलिए भी ये लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आती.

बॉम्बे बिरयानी पर ऐतराज

स्वाद के लिहाज से इसे पुलाव कहना गलत नहीं है. मसाले इसमें कम और स्वाद इसका माइल्ड होता है इसलिए ये बिरयानी के शौकीन लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आती.

मुरादाबादी बिरयानी भी है विवादों के घेरे में

मुरादाबादी बिरयानी की खासियत उसके मसाले हैं. यदि मुरादाबादी बिरयानी पर गौर करें तो मिलता है कि इसे बनाने के लिए कच्चे चावल का इस्तेमाल किया जाता है साथ ही इसे रंग से दूर रखा जाता है इसलिए देखने में ये पुलाव की तरह लगती है.विवाद की जड़ इसकी शक्ल और सूरत के अलावा इसका फीकापन है.

अंबुर बिरयानी को बिरयानी कहना पाप

बात बिरयानी की चली है तो हमारे लिए जरूरी है कि हम तमिलनाडु की मशहूर अम्बुर बिरयानी का जिक्र करें. इस बिरयानी में इस्तेमाल चावल छोटे और बहुत मोठे होते हैं साथ ही इसके मसलों में दक्षिण भारत की दिखती है जिससे बिरयानी के शौक़ीन आहत होते हैं और इसे बिरयानी वाली लॉबी से बाहर रखते हैं.

अंडा और वेज बिरयानी जैसा कोई कांसेप्ट ही नहीं 

जो लोग बिरयानी के लिए जान देते हैं उनके सामने अंडा और वेज बिरयानी का जिक्र करने भर की देर है. वो लोग बिदक जाएंगे और बिना किसी मुरव्वत के इस बात को कह देंगे कि चावल के अंदर अंडा या सब्जियां डाल देने से वो बिरयानी नहीं बन जाएगी. ऐसे लोगों का मानना है कि बिरयानी में सब्जी और अंडे का तो कोई कांसेप्ट ही नहीं है.

पाकिस्तानी बिरयानी के साथ भी कुछ मिलता जुलता ही नाटक 

बिरयानी के हार्डकोर शौक़ीन पाकिस्तानी बिरयानी को भी शक की निगाह से देखते हैं. इनका मानना है कि जब बिरयानी के लिए केसर, मसाले, चावल और मीट काफी है तो आप उसमें ड्राई फ्रूट (सूखे मेवे) डालकर उसका जायका क्यों बिगाड़ रहे हैं. बता दें कि पाकिस्तान के अधिकांश प्रांतों में जो बिरयानी बनती है वो इतनी ज्यादा रिच होती है कि प्रायः यही देखा गया है कि बिरयानी के शौक़ीन उससे दूरी बनाकर चलते हैं.

इतनी बातों और इन तमाम जानकारियों के बाद हमारे लिए ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि चीन, पाकिस्तान, टिक टॉक, प्रियंका गांधी, कोरोना वायरस सब एक तरफ हैं जंग 'बिरयानी' को लेकर छिड़ गयी है और लखनऊ से लेकर पाकिस्तान तक के लोग अपने अपने झंडे लेकर खड़े हो गए हैं.

इस लड़ाई में जीतता कौन है? कौन अपनी बिरयानी को सही और असली सिद्ध कर पाता है सवाल बना हुआ है. जिसका जवाब वक़्त देगा मगर जैसा लोगों का रुख है उन्होंने अपने क्षेत्र की बिरयानी को अपने ईगो से जोड़ लिया है और बात जब ईगो की आती तो कम ही देखा गया है कि आदमी हार मानकर किनारे बैठ जाए.

ये भी पढ़ें -

पराठे पर 18% GST ! मगर उसे तो जिल्लेइलाही लाए थे

Axone Review: नागालैंड की कहानी के जरिए पूर्वोत्तर की जिंदगी में भी झांक लो देशवासियों

अब गुजराती खाखरा ही कोरोना को देगा टक्कर!

#बिरयानी, #विवाद, #खाना, Biryani Recipe In Hindi, Hyderabadi Biryani Recipe, Pulav Recipe

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय