Biryani recipe पर हैदराबाद के दावे पर एतराज ही एतराज...
ट्विटर पर बिरयानी (Biryani) को लेकर जंग छिड़ी है और कहा जा रहा है कि सिर्फ हैदराबादी बिरयानी (Hyderabadi Biryani) ही असली बिरयानी है उसके अलावा जो है वो पुलाव है. इन बातों के बाद लखनऊ (Lucknow) से लेकर पाकिस्तान (Pakistan) तक के लोग अपने अपने झंडे लेकर खड़े हो गए हैं.
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दुनिया में तमाम मुद्दों या फिर अलग अलग विचारधाराओं को लेकर कितनी भी लड़ाई या फिर बहस क्यों न हो जाए मगर जब बात खाने की मेज की आती है तो कहा यही जाता है कि डाइनिंग टेबल और उसपर परोसा भोजन जाति धर्म से परे है और उसका कोई मजहब नहीं है. इस बात को हम कई बार सुन चुके हैं. सवाल ये है कि क्या यही सच्चाई है? तो जवाब है नहीं कम से कम बिरयानी के मामले में तो हरगिज़ नहीं. बिरयानी ने खान पान के शौकीन व्यक्तियों को दो वर्गों कट्टरपंथी और लिबरल में तब्दील कर दिया है. कट्टरपंथियों के लिए सिर्फ हैदराबादी बिरयानी ही बिरयानी है इसके बाद जो कुछ भी बचता है वो पुलाव है. वहीं बिरयानी के शौकीन ये कट्टरपंथी बॉम्बे या पाकिस्तानी बिरयानी को मटन मसाला राइस मानते हैं साथ ही इनका कोलकाता बिरयानी पर भी कड़ा ऐतराज है. इन लोगों का मानना है कि बिरयानी का वो आइटम जिसमें आलू पड़ा है उसे बिरयानी कहना ही पाप है दरअसल बिरयानी नुमा ये चीज बटाटा वड़ा राइस है.
दुनिया के सभी मुद्दे एक तरफ हो गए हैं और अब जंग बिरयानी को लेकर शुरू हो गयी है
बिरयानी के हार्डकोर शौकीनों या ये कहें कि इन बिरयानी कट्टरपंथियों को दुनिया की किसी और चीज़ से कोई मतलब नहीं है. इनकी लड़ाई बिरयानी से, बिरयानी के लिए हैं. ये लोग उन लोगों से खफा हैं जिनका मानना है कि चावल में अगर मीट और कुछ ज़रूरी मसाले डाल दिये जाएं तो बिरयानी तैयार हो जाती है.
बिरयानी के कट्टरपंथियों और लिब्रल्स से जुड़ी बातें और उनके द्वारा पेश तर्कों पर पूरी पड़ताल होगी मगर सबसे पहले हमारे लिए ये समझना बहुत ज़रूरी है कि आखिर बिरयानी है क्या? आखिर क्या बताता है इसका इतिहास.
क्या है बिरयानी का इतिहास
बिरयानी का इतिहास पर्शिया से जुड़ा है. माना जाता है कि बिरयानी पर्शिया से होते हुए पूरी दुनिया में फैली है. 'बिरयानी' पर्शियन शब्द बिरियन जिसका मतलब 'कुकिंग से पहले फ्राई' और 'बिरिंज' यानी चावल से निकला है. बिरयानी भारत कैसे आई? इसे लेकर तर्क यही दिया जाता है कि इसे मुगल अपने साथ लेकर आए थे और जैसे जैसे समय आगे बढ़ा मुगल रसोइयों की बदौलत ये बेहतर से बेहतरीन होती चली गई.
बताया जाता है कि भारत में पहली बार बिरयानी मुग़ल अपने साथ लेकर आए थे
इतिहास में कुछ कहानियां ऐसी भी हैं जिसमें बिरयानी का पूरा क्रेडिट बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल को जाता है. कहावत है कि एक बार मुमताज अपनी सेना की बैरक में गईं जहां उन्होंने देखा कि ज्यादातर मुगल सैनिक कमज़ोर हो गए हैं. सैनिकों की ऐसी हालत मुमताज़ से देखी न गई. उन्होंने फौरन ही शाही बावर्ची को तलब किया और आदेश दिया कि सैनिकों को संतुलित आहार देने वाली डिश दी जाए. इसके लिए बेगम मुमताज़ ने बावर्ची से चावल और गोश्त (मीट) का ऐसा मिश्रण बनाने को कहा जिससे सैनिकों को भरपूर पोषण मिले. इसके बाद कई तरह के मसालों और केसर को मिलाकर बिरयानी का जन्म हुआ.
वहीं बिरयानी से जुड़ी एक किवदंती ये भी है कि तुर्क- मंगोल आक्रांता तैमूर इसे अपने साथ भारत लाया था जो भारत में फैली और लोगों ने अपने हिसाब से इसे लेकर प्रयोग किये. ये तो हो गया बिरयानी का इतिहास. हम बात कर रहे थे बिरयानी के कट्टरपंथियों और लिब्रल्स की. साथ ही हमने ये भी बताया है कि बिरयानी को लेकर कट्टरपंथियों के क्या तर्क हैं.
About time, Hyderabad (#Biryani), India.h/t @samar11 pic.twitter.com/McNQfZaU8f
— Raju Narisetti (@raju) July 1, 2020
अब हम बात लिब्रल्स की करें तो उनका मानना है कि यदि चावल में मीट और मसाले मिला दिए जाएं तो बिरयानी बन सकती है वहीं अगर इसमें प्रयोग लिए जाएं तो भी कोई हर्ज नहीं है.
Amazing, Everybody is busy claiming their rights these days. This is biryani nationalism.
— Amit Choudhary (@AMITCHOUDHARY23) July 1, 2020
इतनी बातों के बाद आइये जानते हैं कि वो कौन कौन से ऐतराज है जो हार्डकोर बिरयानी लवर्स को देश दुनिया भर की अलग अलग बिरयानियों पर हैं.
लखनऊ बिरयानी पर ऐतराज
कट्टरपंथियों का मानना है कि लखनऊ बिरयानी एक किस्म का पुलाव है जिसमें केसर, चावल की क्वालिटी और माइल्ड मसालों में तैयार किया गया मीट ही उसकी पहचान है. हार्डकोर फूडीज का मानना है कि आप बिरयानी का अरोमा तो ले सकते हैं मगर मसाले न होने के कारण आप फीकेपन का एहसास करेंगे.
Dear Hyderabad,Pouring Mirchi Ka Salan on your boiled rice and calling it Biryani tantamounts to crime against humanity. May as well pour ketchup while you are at it. pic.twitter.com/wN6Uu7VUHf
— G. (@Khyberist) July 2, 2020
कोलकाता बिरयानी पर ऐतराज
कोलकाता की बिरयानी लखनऊ की बिरयानी से थोड़ी अलग और मसालेदार होती है मगर चूंकि अंडा और आलू इसकी पहचान है इसलिए वो लोग जो असली बिरयानी खाने के आदि है इसे बिरयानी नहीं मानते. ऐसे लोगों का मानना है कि अंडा और आलू डालकर आप और कुछ नहीं बस बिरयानी के साथ मजाक कर रहे हैं.
थलासेरी बिरयानी को लेकर भी है विरोधाभास
असली बिरयानी के शौकीनों का कोप केरल की थलासेरी बिरयानी भी भोगती है. बात अगर इस बिरयानी की हो तो इसमें चावल मोटा होता है साथ ही जो मीट होता है उसे रोस्ट करके डाला जाता है. बिरयानी थोड़ी खटास लिए होती है इसलिए भी ये लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आती.
बॉम्बे बिरयानी पर ऐतराज
स्वाद के लिहाज से इसे पुलाव कहना गलत नहीं है. मसाले इसमें कम और स्वाद इसका माइल्ड होता है इसलिए ये बिरयानी के शौकीन लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आती.
मुरादाबादी बिरयानी भी है विवादों के घेरे में
मुरादाबादी बिरयानी की खासियत उसके मसाले हैं. यदि मुरादाबादी बिरयानी पर गौर करें तो मिलता है कि इसे बनाने के लिए कच्चे चावल का इस्तेमाल किया जाता है साथ ही इसे रंग से दूर रखा जाता है इसलिए देखने में ये पुलाव की तरह लगती है.विवाद की जड़ इसकी शक्ल और सूरत के अलावा इसका फीकापन है.
अंबुर बिरयानी को बिरयानी कहना पाप
बात बिरयानी की चली है तो हमारे लिए जरूरी है कि हम तमिलनाडु की मशहूर अम्बुर बिरयानी का जिक्र करें. इस बिरयानी में इस्तेमाल चावल छोटे और बहुत मोठे होते हैं साथ ही इसके मसलों में दक्षिण भारत की दिखती है जिससे बिरयानी के शौक़ीन आहत होते हैं और इसे बिरयानी वाली लॉबी से बाहर रखते हैं.
अंडा और वेज बिरयानी जैसा कोई कांसेप्ट ही नहीं
जो लोग बिरयानी के लिए जान देते हैं उनके सामने अंडा और वेज बिरयानी का जिक्र करने भर की देर है. वो लोग बिदक जाएंगे और बिना किसी मुरव्वत के इस बात को कह देंगे कि चावल के अंदर अंडा या सब्जियां डाल देने से वो बिरयानी नहीं बन जाएगी. ऐसे लोगों का मानना है कि बिरयानी में सब्जी और अंडे का तो कोई कांसेप्ट ही नहीं है.
पाकिस्तानी बिरयानी के साथ भी कुछ मिलता जुलता ही नाटक
बिरयानी के हार्डकोर शौक़ीन पाकिस्तानी बिरयानी को भी शक की निगाह से देखते हैं. इनका मानना है कि जब बिरयानी के लिए केसर, मसाले, चावल और मीट काफी है तो आप उसमें ड्राई फ्रूट (सूखे मेवे) डालकर उसका जायका क्यों बिगाड़ रहे हैं. बता दें कि पाकिस्तान के अधिकांश प्रांतों में जो बिरयानी बनती है वो इतनी ज्यादा रिच होती है कि प्रायः यही देखा गया है कि बिरयानी के शौक़ीन उससे दूरी बनाकर चलते हैं.
There's definitely awadhi / lucknawi biryani. We can agree that others are not biryani per se
— Gunjan Jain (@j_gunjan) July 1, 2020
इतनी बातों और इन तमाम जानकारियों के बाद हमारे लिए ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि चीन, पाकिस्तान, टिक टॉक, प्रियंका गांधी, कोरोना वायरस सब एक तरफ हैं जंग 'बिरयानी' को लेकर छिड़ गयी है और लखनऊ से लेकर पाकिस्तान तक के लोग अपने अपने झंडे लेकर खड़े हो गए हैं.
इस लड़ाई में जीतता कौन है? कौन अपनी बिरयानी को सही और असली सिद्ध कर पाता है सवाल बना हुआ है. जिसका जवाब वक़्त देगा मगर जैसा लोगों का रुख है उन्होंने अपने क्षेत्र की बिरयानी को अपने ईगो से जोड़ लिया है और बात जब ईगो की आती तो कम ही देखा गया है कि आदमी हार मानकर किनारे बैठ जाए.
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