हिरण की मौत के बाद उसके बच्चे को पाला-पोसा, 9 महीने बाद समारोह कर बेटी की तरह विदा किया!
9 महीने पहले एक हिरणी ने इस बच्चे को जन्म दिया. जन्म देने के 15 दिनों बाद उसकी मौत हो गई. वह बच्चा अनाथ हो गया, उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. जब इस बात की जानकारी शिव सुभाग को चली तो वे हिरणी के बच्चे को घर ले आए.
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किसी भी बच्चे से उसकी मां का बिछड़ जाना बहुत दर्दनाक होता है. एक अनाथ बच्चे को अगर उसकी मां मिल जाए तो? लगता है कि अभी भी इंसानियत जिंदा है. इस खबर को पढ़ने के बाद हमारे दिमाग में तो सबसे पहला ख्याल यही आया.
राजस्थान के जैसलमेर में एक जिला है लोहावट, जहां का सनावडा गांव इन दिनों चर्चा में बना हुआ है. यहां रहने वाले बिश्नोई समाज के लोगों ने एक हिरण के बच्चे को अपनी संतान की तरह पाल-पोषकर बड़ा किया और 9 महीने बाद बेटी की तरह उसे विदा किया.
जिस तरह एक छोटे बच्चे को उसकी मां पालती है उसी तरह शिव सुभाग की पत्नी ने लोरेंस की देखभाल की
दरअसल, 9 महीने पहले एक हिरणी ने इस बच्चे को जन्म दिया. जन्म देने के 15 दिनों बाद उसकी मौत हो गई. वह बच्चा अनाथ हो गया, उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. जब इस बात की जानकारी शिव सुभाग को चली तो वे हिरणी के बच्चे को घर ले आए. इसके बाद पूरे परिवार ने हिरण के बच्चे को परिवार का सदस्य मान लिया है. परिवार के लोगों ने हिरण के बच्चे को नाम लोरेंस रखा है. जिस तरह एक छोटे बच्चे को उसकी मां पालती है उसी तरह शिव सुभाग की पत्नी ने लोरेंस की देखभाल की.
उसे गाय का दूध पिलाया और खाने में काजू, किशमिश भी खिलाया. धीरे-धीरे लोरेंस घर के लोगों के काफी घुल-मिल गया. वह दिन में बच्चों के साथ खेलता. घर के हर सदस्य से काफी घुल-मिल गया. परिवार का कोई सदस्य जब उसका नाम पुकारता तो वह दौड़कर उसके पास आ जाता.
अब जब वह बड़ा हो गया तो बाहर उछल-कूदकर जाने लगा. जिससे उसे कुत्ते के काटने का खतरा था. घरवाले जब बाहर जाते तो उसकी चिंता लगा रहती. इसलिए उन्होंने उसकी विदाई करने की सोची, जहां वह सुरक्षिकत रह सके. उन्होंने लोरेंस के नाम पर रात्रि में जगराता कराया और सुबह गांव वालों को भोज कराया. इस शानदार समारोह में परिवार वालों में लॉरेंस के लिए पूजा-अर्चना की और उसकी विदाई कर उसे रेस्क्यू सेंटर भेज दिया.
इस समय सभी घरवाले ऐसे रो रहे थे जैसे बेटी की विदाई कर रहे हों. लॉरेंस भले ही बेजुबान जानवर है लेकिन शायद वह भी इस बात को समझ रहा था, उसका चेहरा भी उदासी भरा था. सोचिए ऐसे लोग आज भी हैं, जो नेकी का काम करते हैं औऱ मानवता की मिसाल पेश करते हैं. इनकी बदौलत हिरण के बच्चे की जान बच गई और आज वह सुरक्षित है. ऐसे लोगों के लिए दिल से धन्यवाद कहना तो बनता ही है.
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