आज की दुल्हनें शर्माती नहीं है, आप उन्हें बेशर्म तो नहीं कहेंगे?
कैसी दुल्हन है, लोगों के सामने कैसे बेशर्मों की तरह गला फाड़कर हंस रही है, कितना तेज बोल रही है... आज की दुल्हनें शर्माती नहीं है बल्कि आपनी शादी को खूब एंजॉय करती हैं.
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दुल्हन (Bride) कैसी होती है? शांत, शर्मीली जिसकी नजरें नीचें झुकी हुई होनी चाहिए. जो धीरे से बोले और वह तेज तो हंस ही नहीं सकती. वह अपनी मर्जी से रो नहीं सकती. दुल्हनों को सबके सामने मुंह खोलकर खाना भी नहीं चाहिए. इतना ही नहीं शादी वाले दिन उसके चेहरे पर लाख थकान के बाद मुस्कुराहट और चमक तो होनी ही चाहिए. कोई ससुराल का दिख जाए तो फौरन पल्लू को सिर पर रख लेना है और सबके हां में हां मिलाना बेहद जरूरी है वरना लोग क्या कहेंगे?
बात चाहें सही हो या गलत, दुल्हन को आप्पत्ति तो जतानी ही नहीं है. ऐसी दुल्हनें लोगों के लिए संस्कारी होती हैं. ऐसी दुल्हनें असल में पहले की जमाने में होती थीं. जिनके बारे में सोचकर ही हमें दया आती है. अगर वे अपनी बिदाई में रो-रोकर बेहोश न हो जाएं तब तक उन्हें कोई अच्छा नहीं कहता था.
आज की दुल्हनें शर्माना नहीं जानतीं इसलिए लोग उन्हें कई बार ताना भी मारते हैं
दुल्हन होने का मतलब होता था खामोश...पहले की दुल्हनें अपने पति और ससुराल वालों के हिसाब से चलती थीं. उन्होंने अगर अधिकार की बात कर ली और बराबरी की बात कह दी तब तो पूरे मोहल्ले में थू-थू हो जाती थी. घर की इज्जत के नाम पर महिलाओं ने इतनी कुर्बानी दी है कि आप सुनकर सिहर जाएंगे. अगर हम गलत कह रहे हैं तो अपने घर की महिलाओं से कभी उनके शादी की कहानी सुनना. वो महिलाएं जो दूर से घर के पुरुष को देखकर घर के अंदर चली जाती थीं. वो महिलाएं जो सबसे पहले सो कर जगती थीं और सबसे आखिरी में सोती थीं. वे महिलाएं जो सबसे बाद में खाना खाती थीं और बीमारी में भी घर का काम करती थीं.
आज की दुल्हन कैसी होती है?
समय का पहिया बदला और औरतों ने अपने अधिकार को समझा. अधिकार को छोड़ भी दो तो महिलाओं ने समझा कि वह एक इंसान है. जो अपनी शादी में खुश हो सकती है. जो अपनी शादी में नाच सकती है जो खुशी-खुशी विदा हो सकती है. अगर आप इन महिलाओं को गलत कहते हैं तो गलत ही सही. क्योंकि अपनी जिंदगी जीने का मतलब यह नहीं होता कि हम किसी का सम्मान नहीं करते.
मुस्कुराती नहीं खुलकर हंसती हुई दुल्हन
कितना अच्छा लगता है ना जब हम किसी दुल्हन को खुलकर हसंते हुए देखते हैं. सारे गहनें-डिजाइनर कपड़े एक तरफ और दुल्हन की प्यारी सी हंसी एक तरफ. यह हंसी दुल्हन के चेहरे की रंगत को बढ़ाती है. सोचिए दुल्हनियां के चेहरे का तेज बिना उसकी हंसी के कैसे आता?
दुल्हन हूं शर्माना कैसा?
आज की दुल्हनें शर्माना नहीं जानतीं. इसलिए लोग उन्हें कई बार ताना भी मारते हैं. कैसी दुल्हन है, लोगों के सामने कैसे बेशर्मों की तरह गला फाड़कर हंस रही है, कितना तेज बोल रही है...आज की दुल्हनें शर्माती नहीं है बल्कि आपनी शादी को खूब एंजॉय करती हैं.
तू खींच मेरी फोटो
पहले के समय में दुल्हनों पर वहां मौजूद लोगों का इतना दबाव होता था कि दो-चार फोटो निकालने में बेचारे फोटोग्राफर की हवा टाइट हो जाती थी. आज की दुल्हनें तो पहले से ही पोज डिसाइड करके रखती हैं. आलम यह है कि फोटोग्राफर थक जाता है लेकिन वे एक से बढ़कर एक पोज लगातार देती रहती हैं.
शादी में डांस न किया तो कैसी शादी
पहले गलती से अगर दुल्हन ने किसी के सामने डांस कर लिया तो तूफान खड़ा हो जाता था. दो-चार महिलाएं को सिर्फ दुल्हन को टोकने के लिए मौजूद रहती थीं. अब तो दुल्हनें शादी से पहले ही डांस का स्टेप सीखकर ससुराल वालों को चौंका देती हैं.
दुल्हन की धांसू एंट्री
पहले जहां धीमे-धीरें कदमों से डरी-सहमी, नजरें नीचे की हुई दुल्हन की एंट्री होती थी वहीं अब दुल्हनें स्वैग के साथ नाचते-गाते धासू एंट्री लेती हैं. कोई पालकी पर बैठकर एंट्री लेती है तो कोई बूलेट पर. कोई नाचती तो कोई उड़ती हुई. अब लोग तो बातें बनाएंगे ही लेकिन यह सब होता है घरवालों की मर्जी के साथ. जबू घरवाले हो राजी तो क्या करेगा पाजी...
विदाई में नो बेहोशी का दबाव नहीं
ऊफ्फ, दुल्हन को रोता देख पूरा गांव एक समय में रो देता था. इमोशलन तो लोग आज भी होते हैं, लड़कियों की आंखें आज भी भीगती हैं, पिता का कलेजा आज भी फटता है बस फर्क यह है कि अब लोग बेटियों को एकदम से पराया होने का एहसास नहीं कराते. पहले के समय में बेटियों की शादी से पबले ही उन्हें पराया धन बोल दिया जाता था. साल-साल भर बेटियां अपने घर नहीं आ पाती थीं. बेटियां अब खुशी-खुशी खुद कार चलाकार ससुराल जाती हैं, क्योंक उन्हें पता है कि वो जब चाहेंगी अपने घर आ सकती हैं.
ससुराल वालों के साथ फ्रेंडशिप
पहले के समय में तो लडका-लड़की मिलते भी नहीं थे और घरवाले उनकी शादी करा देते थे. आजकल लवमैरिज हो रही है. अरेंज मैरिज में भी शादी से पहले लड़कियां पति से बात करनी शुरु कर देती हैं. मिलना-जुलना हो जाती है. ससुराल वालों से भी बात हो जाती है, ऐसे में उन्हें यह नहीं लगता कि वो एकदम से किसी अनजान घर में जा रही हैं. आजकल तो लड़कियां ससुराल जाने से पहले ही अपने पसंद की कमरे की सजावट करा देती हैं.
दकियानूसी परंपराओं को ना
पहले की लडकियां शादी के मामले में कुछ बोल नहीं पाती थीं. अब तो कुछ लड़कियां अपने पसंद के लड़के से शादी भी करती हैं. साथ ही जो दकियानूसी परंपराएं उन्हें पसंद नहीं हैं उसके लिए मना भी कर देती हैं. हालांकि हम किसी भी रस्म पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन पिछड़ी सोच के खिलाफ जरूर हैं.
कहने का मतलब यह है कि पहले ही दुल्हनें चिंता में रहती थीं. उनका चेहरा चेहरा घूंघट में रहता था. आज की दुल्हन बिंदास रहती हैं और मुस्कुराती हुई चहकती हैं. उसकी मुस्कान को देखकर सभी लोगों का मन भऱ जाता है. मेंहदी-संगीत हो या हल्दी की रस्म दुल्हनें खूब मस्ती करती हैं.
जमाने के साथ दुल्हनें बदली जरूर है लेकिन वे किसी का अपमान नहीं करतीं बस अपनी खुशी में खुश हो लेती हैं. हमें तो इन दुल्हनों का यह रूप बहुत पसंद, ये ट्रेंड अच्छा है...वैसे आपकी इस बारे में क्या राय है? वरना पहले तो दुल्हन हंस दे तो रो दे तो भी दिक्कत...
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