ब्रिटनी स्पीयर्स हो या हिंदुस्तानी लड़की, मर्दों की खाप है उनको खाने को तैयार
ब्रिटनी स्पीयर्स सुर्ख़ियों में हैं. वजह उनके किसी नई एल्बम का रिलीज़ नहीं बल्कि खुद की रिहाई का मसला है. ब्रिटनी 2008 से अपने पिता के साये में नज़रबंद हैं. ब्रिटनी अब चाहती हैं कि उनके ऊपर से उनके पिता की संरक्षकता को हटाया जाए ताकि वो अपनी ज़िंदगी खुल कर जी सकें.
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बेटियां चाहे अमेरिका में हों या इंडिया में, वो मर्दों की ही संपत्ति होती हैं. इंसान नहीं. जिसका भला-बुरा सोचने का हक़ सिर्फ़ उसके बाप, भाई या पति को हो सकता है. अगर बेटियां अपने मन से जीने लगें, अपनी कमाई अपने हिसाब से खर्चने लगें तो वो सबसे पहले अपने आसपास के मर्दों को खटकने लगती हैं. फिर उन्हें क़ाबू में करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे आज़माए जाने लगते हैं. भारत में तो ब्याह करके बाप-भाई बदला ले लेते हैं, बाहरी दुनिया के तरीक़े कुछ और होते हैं. तस्वीर में जो लड़की दिख रही है वो अब 39 साल की स्त्री हो चुकी है. नाम शायद आप जानते होंगे और कुछ लोग पहचानते भी होंगे. ये नब्बे की दशक में जन्मी लड़कियों की आइडियल रही हैं, ब्रिटनी स्पीयर्स. जो इन दिनों फिर से सुर्ख़ियों में हैं. वजह उनके किसी नई एल्बम का रिलीज़ नहीं बल्कि खुद की रिहाई का मसला है. ब्रिटनी 2008 से अपने पिता के साये में नज़रबंद (conservatorship/ guardianship) हैं.
अपने पिता के जुल्मो सितम का सामना कर रही हैं किसी ज़माने में डीवा रह चुकी ब्रिटनी
60 मिलियन डॉलर की मालकिन ब्रिटनी अब चाहती हैं कि उनके ऊपर से उनके पिता की संरक्षकता (पहरेदारी) को हटाया जाए. वो अपनी ज़िंदगी अपने तरीक़े से जीना चाहती हैं. खुली हवा में सांस लेना चाहती हैं लेकिन उनके पिता के वकीलों की ये दलील है कि ब्रिटनी की दिमाग़ी हालत ठीक नहीं है. वो अपना भला और बुरा सोच पाने के सक्षम नहीं हैं. वो ड्रग्स लेती हैं और चाइल्ड-ट्रैफिकिंग जैसे अपराधों से जुड़ी हैं इसलिए उनकी कस्टडी उनके पिता के पास ही रहनी चाहिए.
और तो और मां बनना किसी भी स्त्री का सबसे मौलिक अधिकार है लेकिन ब्रिटनी के गर्भाशय में ज़बरदस्ती कॉपर-टी (IUD) लगवा कर रखा गया है कि वो मां नहीं बन पाएं. इससे ज़्यादा हैवानियत कोई पिता क्या ही दिखा सकता है. पता नहीं कोर्ट ने किस बेसिस पर उस पिता को गार्जियन बनाया जिसने वो सिर्फ़ पैसे कमाने की मशीन भर रहीं हैं.
एक बाप जिसने अपनी बेटी से उसका बचपन छीन लिया अब उसी बेटी से उसके मां बनने का हक़ ले रहा है. ब्रिटनी जिसे कम उम्र में ही तमाम प्रसिद्धि मिली लेकिन प्यार कभी नहीं मिला जिसकी वो हक़दार थी वो डिप्रेशन और अकेलेपन से लड़ती रही और खुद को बचाए रखने के लिए जो सही लगा वो किया लेकिन दुनिया की नज़रों में वो ग़लत था. शायद ब्रिटनी ज़िंदगी की तलाश में ज़िंदगी से और दूर होती गयी.
ये सब लिखते हुए मेरा दिल भर सा रहा है. मुझे आज वो पॉप स्टार नहीं बल्कि एक मासूम सी बच्ची लग रही है जो दुनिया के भीड़ में खो गयी है और किसी चौराहे पर खड़ी बिलख-बिलख कर रो रही है. सारी दुनिया के फ़ैन #FreeBritney कैम्पेन चला रहें हैं और मैं ये लिखते हुए दुआ पढ़ रही हूं कि ब्रिटनी तुम्हें तुम्हारी ज़िंदगी मिले. तुम्हें तुम्हारी सारी खुशियां मिले. तुम एक बार फिर से मां बनो दुनिया के सबसे प्यारे बच्चों की. उन बच्चों में तुम जीना अपना बचपन.
और फिर जब मैं पेट्रीआर्की की बात करती हूं तो लोग कहने लगते हैं कि पेट्रीआर्की है ही नहीं. भारत ही नहीं दुनिया के लगभग सभी देश में इसी तरह बेटियां दबाई जा रही हैं. रास्ते और तरीक़े अलग हैं लेकिन लक्ष्य एक ही है कि लड़कियां क़ाबू में रहें, या फिर वो क़ब्ज़े में रहें.
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