गैंगरेप के पीड़ितों की बेबसी! 'इंसाफ न मिला तो खुदकुशी कर लेंगे'
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गैंगरेप का शिकार हुई एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी के परिवार वाले इस घटना से गहरे सदमे में हैं. एक पीड़ित ने आपबीती के साथ अपना गुस्सा भी बयां किया है.
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बुलंदशहर में हाईवे के किनारे हुए विभत्स गैंगरेप कांड ने सबको हिला कर रख दिया है. अब जबकि वारदात के एक एक पहलू सामने आ रहे हैं तो न सिर्फ उन हैवानों की दरिंदगी का एहसास हो रहा है, बल्कि पुलिस की लापरवाही और निकम्मेपन का नमूना भी दिखाई दे रहा है.
गैंगरेप का शिकार होने वाली महिला और उसकी 13 वर्षीय नाबालिग बेटी के परिवार वाले इस घटना से बुरी तरह टूट गए हैं. पीड़ित परिवार का कहना है कि अगर उन्हें इंसाफ नहीं मिला तो वे खुदकुशी कर लेंगे. उस भयानक रात का गवाह रहे एक पीड़ित ने मीडिया को उनके साथ हुई हैवानियत की कहानी बताई तो सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो गए...
'शुक्रवार रात 9 बजे हम गाजियाबाद से निकले और गढ़ी चौखंडी में बड़े ताऊ के भाई के घर रुके थे. करीब 11.30 बजे भाभी और भतीजे को लेकर बुलंदशहर के लिए निकले. अब मेरे साथ बेटी, पत्नी, भाभी और भतीजा था. बुलंदशहर से करीब 2 किलोमीटर पहले ही ऐसा लगा कि गाड़ी में किसी ने कोई भारी चीज मारी. आवाज आने पर गौर नहीं किया और आगे बढ़ गए. दोबारा लगा कि गाड़ी की कोई चीज़ खुल गई है जिसे देखने के लिए गाड़ी रोकी और उतरकर चारों तरफ घूमकर जैसे ही बैठने के लिए गया, 5 लोगों ने कनपटी पर तमंचा लगा दिया और हाथ ऊपर करने को कहा. उन्हें हाथ बांधने में 2 मिनट लगे. लेडीज को गाड़ी में ही छोड़कर वो ज्वार के खेत में ले गए और बांधकर नीचे डाल दिया. बदमाशों ने हथौड़े, सरिये और तमंचे के बट से घंटों पिटाई की.'
...और बदमाश आपस में लड़ने लगेः
15 मिनट बाद बदमाश गाड़ी को ज्वार के खेतों में ले गए. सभी को गाली देते रहे. गाड़ी में पड़े सामान और बैग की तलाशी ली. गाड़ी को खेत से निकालने की कोशिश की, लेकिन वह फंस गई. इस पर बदमाश आपस में झगड़ा करने लगे. 'मैने मना किया था कि गाड़ी यहां पर मत ला'. लड़ाई के बाद वो ज्वार निकाल कर गाड़ी को ढंकने लगे और ट्रैक्टर से गाड़ी निकालने की बात कहते हुए वहां से चले गए. लेकिन असलम नाम का बदमाश वहीं रुका रहा. बाद में वह भी चला गया. बदमाश खड़ी बोली बोल रहे थे. आवाज़ कड़क थी. जिनमें से तीन को कोतवाली में पहचान लिया.
शुक्रवार रात बुलंदशहर स्थित नेशनल हाइवे पर बदमाशों के एक गैंग ने एक परिवार के साथ लूटपाट की और एक महिला और उनकी नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप किया |
‘पानी के बदले गोली और पिटाई मिलती’
हर बात में बदमाश गोली मारने की बात कहते. भतीजे ने पानी मांगा तो उसे जमकर पीटा. जब बदमाशों की आहट खत्म हो गई तो फिर भतीजे ने कहा- “चाचा लगता है बदमाश चले गए.” थोड़ी देर बाद मैंने भाभी और पत्नी को आवाज लगाई और खुद को खोलने की कोशिश की. पर मेरा हाथ बहुत टाइट बंधा था. भइया ने मुझे खोला. पत्नी और बेटी अपने आप छूटी.
बिजी था 100 नंबर
20 मिनट के दौरान 100 नंबर पर 4 बार कॉल किया. पर वो बिजी था. नोएडा के अपने मित्र को फोन किया. उसने पुलिस कप्तान से बात की और मुझे कप्तान का नंबर दिया. मैंने कप्तान को बताया कि जहां मैं हूं वहां का नहीं पता, लेकिन वो जगह ऐसी है जहां से सिकंदराबाद 15 किमी दूर और बुलंदशहर 2 किमी दूर है. हाइवे पर खड़ा होकर पुलिस का इंतजार कर रहा था. 20 मिनट के बाद पुलिस की जिप्सी आई, तो जान में जान आई.
'सब कुछ तो लूट लिया, इज्जत बक्श दो.....बदमाश बोले गोली खाएगा'!
हाथ पैर जोड़ा. बोला कि दादी एक्सपायर हो गई हैं. पुरानी गाड़ी बेची और कर्ज लेकर गाड़ी ली है, हमें छोड़ दो पैसा ले लो. इज्जत न लूटो. बदमाश बोले अब बोला तो गोली मार दूंगा. बदमाशों ने धमकी दी कि गांव तक भी किसी से कुछ कहा तो सभी को खत्म कर देंगें. पैसा और जेवर उतार लिया महिलाओं को निर्वस्त्र कर तलाशी ली और घिनौनी हरकत शुरू कर दी. बेटी ने रोते हुए मुझे बताया और जब मैंने विरोध किया तो बोले चुप हो जाओ, नहीं तो गोली मार देंगे.
पीड़ित परिवार ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है |
'इंसाफ नहीं मिला तो खुदकुशी कर लूंगा'
अपराधियों को हमें दो दो, चाहे हमे क्यों सजा न हो जाए, हम खुद उन्हें सजा देंगे. अगर फांसी नहीं हुई तो हम सभी खुदकुशी कर लेंगे. घटना का जिम्मेदार कानून है.
'बगल से बेखबर निकल गई पेट्रोलिंग पार्टी'
इसे काहिली की इंतेहा कहें या फिर सिर्फ ड्यूटी निभाने की खानापूर्ति. सड़क से महज 200 मीटर के फासले पर गुनहगार मां-बेटी के साथ रेप कर रहे थे. और हाईवे से पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी गुजर गई और उन्हें किसी बात की भनक ही नहीं लगी. जरा पीड़ित परिवार की हालत सोचिए कि वे बदमाशों के कब्जे में थे, मुंह बंद थे, मां-बेटी भी चुपचाप पुलिस को गुजरता हुआ देखती रही.
'पुलिस आई तो ज़रूर, लेकिन हाल नहीं पूछा'
घरवालों की शिकायत है कि सुबह जब पुलिस उन तक पहुंची, तो उन्हें मदद और मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. लेकिन वहां सिर्फ कानून के नज़रिए से ही मेडिकल जांच की गई. 14 साल की पीड़ित लड़की भूख और बुखार से तड़प रही थी, लेकिन उसे ना तो कोई खाने-पीने की चीज मिली और ना ही बुखार की दवा. यही हाल परिवार के दूसरे लोगों का भी था.
(आज तक संवाददाता राम किंकर सिंह की रिपोर्ट पर आधारित)
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