BulliBai App case mastermind श्वेता सिंह जैसों पर तरस खाने वाले आते कहां से हैं?
सुल्ली डील्स की तरह जब बुल्ली बाई ऐप (Bulli Bai App) पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर की नीलामी का पता चला तो हर तरफ इसकी चर्चा होने लगी. सभी को लगा कि ऐसी हरकत करने वाले कोई पुरुष ही हो सकता है.
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एक 18 साल की लड़की ने महिलाओं की नीलामी करके सभी को हैरानी में डाल रखा है कि वह एक औरत होकर कैसे मुस्लिम औरतों के साथ इतनी गंदी हरकत कर सकती है? सुल्ली और बुल्ली डील्स ऐप (Bulli Bai App) की वारदात ने हिंदुओं पर बेवजह शक करने पर मजबूर कर दिया.
सुल्ली डील्स की तरह जब बुल्ली बाई ऐप पर मुस्मिल महिलाओं (Muslim women) की तस्वीर की नीलामी का पता चला तो हर तरफ इसकी चर्चा होने लगी. सभी को लगा कि ऐसी हरकत करने वाले कोई पुरुष ही हो सकता है.
असल में महिला संबंधी इस तरह के अपराध ज्यादातर पुरुष ही करते हैं, लेकिन जब लोगों को श्वेता सिंह के बारे में पता चला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. श्वेता इंजिनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी कर रही थी. लोगों को श्वेता पर तरस इसलिए आ रही है क्योंकि वह महज 18 साल की है और अनाथ है.
याद रखिए अपराधि सिर्फ एक अपराधी ही होता है. ना उसका कोई धर्म होता है और ना कोई जाति...
महिलाएं भी इस बात को लकेर चर्चा कर रही हैं कि एक औरत दूसरी औरतों को बदनाम करने के लिए इतनी गहरी और घटिया साजिश कैसे कर सकती है? इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने उत्तराखंड के रुद्रपुर से श्वेता सिंह को गिरफ्तार किया है. जांच में पता चला है कि श्वेता सिंह बुल्ली बाई एप से जुड़े तीन अकाउंट को हैंडल कर रही थी. इसलिए मुंबई पुलिस श्वेता सिंह को बुल्ली बाई एप की मास्टरमाइंड के रूप में देख रही है. इस मामले में पुलिस 21 साल के इंजिनियरिंग स्टूडेंट विशाल कुमार झा को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.
क्या है बुल्ली डील्स जिस पर मचा है हंगामा
असल में सुल्ली डील्स की तरह बुल्ली बाई एप को भी गिटहब पर ही बनाया गया था. इस ऐप के जरिये कई मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों की नीलामी की जाती थी. बुल्ली बाई एप में विशेष रूप से उन मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया जाता था जो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं और मुखर तरीके से अपनी बात रखने की हिम्मत करती हैं. आरोप है कि श्वेता सिंह ही बुल्ली बाई एप पर मुस्लिम महिलाओं की फोटो को एडिट करके अपलोड करती थीं. दावा यह भी किया जा रहा है कि इसपर मुस्लिम के अलावा सिख और हिंदुओं लड़कियों की तस्वीरें भी अपलोड की गईं हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा करके कुछ लोग हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं. वहीं तमाम शिकायतों के समाने आने के बाद इस ऐप को बंद कर दिया गया था.
श्वेता पर तरस क्यों
कई लोग इतनी अजीब हरतक करने के बाद भी श्वेता पर तरस खा रहे हैं. लोगों का कहना है कि ऐसी क्या वजह है तो पढ़ी-लिखी लड़की का दिमाग बदल गया और इस तरह के काम में फंस गई. असल में श्वेता के माता-पिता दोनों ही इस दुनिया में नहीं है. मां की कुछ सालों पहले कैंसर से मौत हो गई थी और पिछले साल कोरोना में पिता की भी मौत हो गई. घर में आर्थिक तंगी होगी क्योंकि सरकार की तरफ से मिलने वाली राशि व पिता कपंनी से मिलने वाली राशि से ही श्वेता और उसके दो भाई-बहनों का गुजारा चल रहा था. ऐसे लोगों से हम बस यही कहना चाह रहे हैं कि कोरोना काल में कई बच्चों ने अपने घरावालों को खोया तो क्या सबको अपराधी बन जाना चाहिए. श्वेता के घर में एक बड़ी बहन और दो छोटे भाई-बहन हैं वे तो नहीं बने अपराधी...
अपराधी पर सहानुभूति क्यों?
किस दुनिया से वे लोग आते हैं वे लोग जो अपराधियों पर तरस खाते हैं और फिर उनको बचाने की बात करते हैं. ऐसे तो हर अपराधी के पास अपनी एक कहानी है. तो क्या ऐसी घटिया हरकत करने वाली आरोपी को ऐसे ही छोड़ देना चाहिए. ये मत भूलिए कि श्वेता ने जिन महिलाओं की तस्वीरों की नीलामी की है वे भी महिलाएं ही हैं. अगर आपको लगता है सिर्फ महिला होने के नाते श्वेता को माफ कर देना चाहिए तो शायद आपको इस बात पर यकीन नहीं कि महिलाएं भी इस तरह का अपराध कर सकती हैं. अगर आपको यह लगता है कि श्वेता की मां नहीं है इसलिए इन्हें कुछ नहीं बोलना चाहिए तो फिर यह भी याद रखिए कि ना जाने कितनी उन महिलाओं की नीलामी में श्वेता का हाथ है जिनकी उम्र श्वेता की मां के बराबर होगी. ऐसे ही कुछ अपराधियों के लिए कुछ लोग दया की मांग करते हैं, आइए एक नजर उनपर भी डाल लेते हैं. महिलाओं की बोली लगाने वाली लड़की मासूम कैसे हो सकती है, वो भी जो पढ़ी-लिखी है.
निर्भया केस में नाबालिग आरोपी
निर्भया केस का नाबालिग आरोपी आपक याद है या भूल गए. जिसे बचाने के लए कई एनजीओ जुट गए थे क्योंकि उसकी उम्र 18 साल से छोटी थी. हालांकि सबसे क्रूर अपराध उसने ही किया था. कथित तौर पर उसने ही निर्भया के शरीर में रॉड डाली थी और बाकी अपराधियों को उकसाया था. उस नाबालिग को सबसे ज्यादा दरिंदगी करने के बावजूद छोड़ना पड़ा, क्योंकि उस वक्त वह नाबालिग था. निर्भया का यह नाबालिग दोषी कैसा दिखता है, यह कोई नहीं जानता. वह इकलौता था जिसकी कोई तस्वीर सामने नहीं आई. अब कहां है कोई नहीं जानता, क्योंकि जुवेनाइल जेल में तीन साल रहने के बाद उसे छोड़ दिया गया था. अब अगर वह दोबारा अपराध करता है तो भी क्या, फिर जेल जाएगा और छूट जाएगा.
अजमल कसाब पर किसी को तरस कैसे आ सकता है?
एक आतंकवादी जिसने सैकड़ों मासूमों की बेरहमी से जान ले ली. जिसने होटल ताज पर कहर बरपाया उस पर कुछ लोगों को दया आ रही थी. ऐसा क्यों है कि अपराधियों के मामले में कुछ लोगों का दिल पसीजने लगता है. क्या उनको उन लोगों की याद नहीं आती जिनका हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया. जिनकी जान चली गई. असल में ‘अंडा सेल’में कैद कसाब को उसके सामने मौजूद विकल्पों के बारे में जानकारी दी गई थी. जिसमें राष्ट्रपति दया याचिका की जानकारी भी शामिल थी. जिसके बाद कसाब की ओर से एक दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी गई थी.
बुरहान वानी के लिए हिंसा
अपराधियों पर दया भाव रखने वाले कुछ लोग बुरहान वानी की मौत पर शव यात्रा निकालने लगे. असल में भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में जब हिजबुल कमांडर बुरहान वानी ढेर हो गया था. वह पढ़े-लिखे नौजवानों को वह कश्मीर की आजादी के नाम पर आतंकी गतिविधियों से जोड़ने और समर्थन जुटाने का काम करता था. बुरहान के मारे जाने के बाद कश्मीर में विरोध प्रदर्शन किया गया और इस कदर हिंसा भड़की कि करीब 29 लोगों की जान चली गई और सैकड़ो लोग घायल हो गए थे. लोग उसे शहीद बताने पर तुले थे और उसके समर्थन में जगह-जगह प्रदर्शन किया गया.
याद रखिए अपराधि सिर्फ एक अपराधी ही होता है. ना उसका कोई धर्म होता है और ना कोई जाति. उसकी सिर्फ एक ही पहचान होती है कि वह एक अपराधी है. जिसे किसी की परवाह नहीं है. ना ही उसमें इंसानियत बची है. अगर आपको श्वेता पर दया आ रही है फिर तो टूलकिट मामले में गिरफ्तार होने वाली दिशा रवि पर भी तरस खानी चाहिए थी, वह भी सिंगल मदर थी.
तो क्या हम सभी को माफ करते चलें?
महिलाएं अपने आधिकार के लिए आवाज उठाती हैं किसी महिला अपराधी को बचाने के लिए नहीं...अगर कोई भी अपराध करता है तो उसे वही सजा मिलनी चाहिए जो आम बाकी दोषियों को मिलती है. मुस्लिम महिलाओं की बोली लगानी वाली ऐप की मास्टरमाइंड श्वेता सिंह के लिए सहानुभूति रखिए लेकिन याद रखिए महिलाएं भी अपराधी हो सकती हैं. इससे फेमिनिज्म का कुछ लेना-देना नहीं है. कई लोगों को इस बहाने महिलाओं को नीचा दिखाने के मौका मिल गया है. बोल रहे हैं कि पुरुषों को नसीहत देने वाली महिलाओं को अब महिलाओं से ही सावधान रहने की जरूरत है. याद रखिए हर अपराधी की अपनी एक कहानी होती है चाहें वह पुरुष हो या महिला...तो क्या हम सभी को माफ करते चलें? आज माफ कर दो कल वही दोबारा कहीं अपने मंसूबे को अंजाम दे रहा होगा...
देखिए जावेद अख्तर का इस बारे में क्या कहना है-
If “ bully bai” was really masterminded by an 18 year old girl who has recently lost her parents to cancer n Corona I think the women or some of them meet her and like kind elders make her understand that why what ever she did was wrong . Show her compassion and forgive her .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) January 5, 2022
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