रेलवे में खाने पर सीएजी की रिपोर्ट, इंसानों के सम्बन्ध में है, मगर हमें क्या हम तो भारतीय हैं !
सीएजी द्वारा जारी रिपोर्ट 'इंसानों के संबंध में है. भारतियों से इसका कोई लेना देना नहीं है. भारतीय किसी भी माहौल में, बल्कि बद से बदतर हालात में एडजस्ट कर लेते हैं. अतः हमें परेशान होने की जरूरत नहीं है.
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बीते दिन से अब तक सीएजी की एक रिपोर्ट चर्चा में है. मेनस्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक जिसे देखो वही इस पर बात कर रहा. इस पर अपने विचार रख रहा है. कैग की इस रिपोर्ट पर हर व्याक्ति के अपने लग तर्क हैं. कोई इस रिपोर्ट के समर्थन में है और इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रहा है तो कहीं ये बताया जा रहा है कि ऐसी रिपोर्ट और कुछ नहीं सरकार की कार्यप्रणाली को बदनाम करने की एक गंदी साजिश है.
सीएजी यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार ' रेलवे का खाना इंसानों के खाने लायक नहीं है. 21 जुलाई को सीएजी ने यह रिपोर्ट संसद में पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि दूषित खाद्य पदार्थों, रिसाइकिल किया हुआ खाना और डब्बा बंद व बोतलबंद सामान का इस्तेमाल एक्सपाइरी डेट के बाद भी किया जाता है. सीएजी के मुताबिक खाना बनाने में साफ-सफाई पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया जाता.
सीएजी ने बताया है कि भारतीय रेलवे का खाना इंसानों के लिए नहीं है ऊपर इंगित बात को पुनः पढ़िये, मिलेगा कि हम इस विषय पर जितना हो हल्ला मचा रहे हैं, ये बात उतनी बड़ी नहीं है. अब हम आपको जो बताने जा रहे हैं, हो सकता है उसको पढ़कर आपको गुस्सा आए. मगर सच्चाई वही है जो नीम की तरह कड़वी और करेले की तरह कसेली है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा जारी ये रिपोर्ट 'इंसानों के संबंध में है. भारतियों से इसका कोई लेना देना नहीं है. भारतीय किसी भी माहौल में, बल्कि बद से बदतर हालात में एडजस्ट कर लेते हैं. बात अगर खाने पीने की हो तो हम भारतीयों को इससे भी गन्दा और अनहेल्दी खाने की आदत है.
बहरहाल, मेरी आंखों के सामने जैसे ही ये खबर फ़्लैश हुई, कई दृश्य मेरी आंखों के सामने खुद ब खुद आ गए जो बार बार मुझे इस बात का एहसास करा रहे हैं कि ये रिपोर्ट इंसानों के सम्बन्ध में तो हो सकती है मगर भारतीय इससे अभी कोसों दूर हैं. आइये इस आर्टिकल के माध्यम से ऐसे कुछ कारणों पर नजर डालें जिनको जानने के बाद आप भी हमारी बात से कहीं न कहीं सहमत हो जाएंगे.
बात जब गन्दगी की हो तो सड़क किनारे खाने को नकारना एक बड़ी भूल हैरोड साइड फूड
चूंकि ये बात सीएजी ने खाने के सम्बन्ध में कहीं है, तो हमारा भी पहला पॉइंट खाना ही है. चाहे ऑफिस जाने वाला कोई युवा हो या फिर स्कूल कॉलेज जाने वाला छात्र. महिलाओं से लेकर वृद्धों तक हममें से कई ऐसे लोग हैं जिन्हें बाहर का खाना पसंद है और प्रायः ये देखा गया है कि आज हिंदुस्तान में लोगों की एक बड़ी संख्या बाहर के खाने पर निर्भर है.
मगर आपने कभी ये सोचा है कि ये कैसे बनता है कभी इसके बनने पर ध्यान दीजिये, आपको महसूस होगा कि आप अपनी मृत्यु को खुद ही आमंत्रण दे रहे हैं. अलग - अलग संस्थानों द्वारा कई ऐसी रिसर्च सामने आई हैं जिनमें ये बताया गया है कि बाहर का खाना न सिर्फ गन्दा है बल्कि ये कई भयंकर बीमारियों का जनक है.
जब हम ऐसे स्थानों पर रह सकते हैं तो कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता गंदी बदबूदार, भचभचाती नालियां और हमारा आशियाना
ये बिंदु शायद आपको विचलित करे मगर सत्य यही है. इस बात से तो हम सब ही वाकिफ हैं कि आज हम जिन स्थानों पर रह रहे हैं वहां पानी का निकास अपने आप में एक बड़ी समस्या है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस देश में ज्यादातर निर्माण बड़े नालों, तालाबों या फिर नालियों को पाट के हुआ है. आज भी इस देश के अलग - अलग राज्यों में कई ऐसे मुहल्ले हैं जिनमें यदि आप जाएं तो वहां आपके लिए सांस लेना भी दूभर रहेगा.
ऐसे स्थानों पर गन्दगी का आलम ये हैं कि इन मुहल्लों में गंदी बदबूदार, भचभचाती नालियां और खुले सीवर और मेनहोल एक आम दृश्य है. अब ऐसे आम दृश्य के बीच रहना, खाना, पीना, उठना, बैठना बड़ी दिलेरी का काम है. मानिए, न मानिए मगर जब हम ऐसे स्थानों पर अच्छे से एडजस्ट और वास कर सकते हैं तो रेलवे का खाना हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता.
काश के हमें अपने पर्यावरण की भी फ़िक्र होती हाई पल्यूशन छोड़ती हमारी गाडियां उनमें सांस लेते हम
हमें सीएजी कि रिपोर्ट दिख गयी. हमें उससे ये भी पता चल गया कि बेहद गन्दा होने के कारण रेलवे का खाना इंसानों के खाने लायक नहीं है. मगर आज तक उस बिंदु पर कभी हमारा ध्यान ही नहीं गया जो हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है और जो हमारे जीवन से जुड़ा है. 2014-15 के बीच जारी हुई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट का जब हमने आंकलन किया तो पाया कि हम जिस परिवेश में सांस ले रहे हैं. '
वो हमारे रहने लायक है ही नहीं. आज जिस तरह हमारी गाड़ियों से लेड, कार्बन मोनो डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी गैसें हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं वो एक गहरी चिंता का विषय है.
भारतीय अस्पताल वो जगह हैं जो किसी स्वस्थ इंसान को भी बीमार बना दें बीमारियां कम नहीं बल्कि बढ़ाते हैं भारतीय अस्पताल
जी हां हमारे भारतीय अस्पताल कितने साफ सुथरे हैं ये बात न आप से छुपी हैं न मुझसे. आज भारतीय अस्पतालों का हाल ये है कि कोई भी यहां जाने से कतराता है. बात अगर विदेश की हो तो वहां कई ऐसे देश हैं जहां लोग खुद अपना चेक अप कराने जाते हैं अब अगर इस बात को हम भारतीय परिपेक्ष में देखें तो मिलता है कि किसी और को देखने की बात तो छोड़िये लोग खुद अपना चेकअप कराने अस्पतालों में नहीं जाते. इसके कारणों पर नजर डालें तो मिलता है कि ऐसा होने के पीछे गन्दगी और इन्फेक्शन एक बहुत बड़ी वजह है.
इसके इतर बात अगर अस्पताल के खाने पर हो तो स्थिति बेहद गंभीर है. हमारे आपके बीच कई खबरें ऐसी आई हैं जिनमें पता चला है कि कई बार अस्पताल के खाने में बाल, कॉकरोच, पन्नी, कील, पत्थर यहां तक की सांप और केंचुआ तक पाया गया है. अब आप ही बताइए जब हम रोजाना इतना कुछ झेल लेते हैं तो फिर हम किस अधिकार से ये कहें कि रेलवे हमारे साथ अन्याय कर रहा है.
कह सकते हैं कि हॉस्टल का खाना और गंदगी एक दूसरे के पूरक हैं हॉस्टल का खाना और उनसे हुई मौत और बीमारियां
गन्दगी और बीमारियां हमारे चारों तरफ हैं. हम एक बिंदु पर बात कर रहे हैं और ऐसे कई बिंदु हैं जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. बात जब गन्दगी और बीमारियों पर हो और ऐसे में हम हॉस्टल, मेस और बेकरियां में मिलने वाली खाद्य सामग्रियों को नकार दें तो बात एक हद तक अधूरी रह जाती है. इन स्थानों पर सफाई का क्या आलम है शायद ही ये किसी से छुपा हो. कभी कल्पना करके देखिये उस छात्र की स्थिति का जो घर से दूर रहकर, हॉस्टल की मेस या कैंटीनों में खाना खाकर अपना पेट भर रहा हो.
हमारे समक्ष ऐसे कई मामले आएं हैं जब हमने हॉस्टल या मेस के खाने से लोगों की बीमारी और मौत तक कि बात सुनी है. कई सारी रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो लोग हॉस्टल का खाना खा रहे हैं वो अल्सर, हार्निया, गैस अपच समेत पेट की कई लाइलाज बीमारियों से ग्रसित हैं.
अब इन सारी बातों के बाद एक बात तो साफ है कि भले ही सीएजी चींख-चींख के कहे कि रेलवे का खाना इंसानों के खाने के काबिल नहीं है मगर हम भारतियों का क्या. हमने हालात के साथ समझौता करना सीख लिया है और ये बात हम भली प्रकार जान चुके हैं कि जब हमें और हमारी सेहत को उन चीजों से फर्क नहीं पड़ा तो अब ये बातें और चीजें हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं.
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