शराब की घर पहुंच सेवा देकर छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना पीड़ितों को क्या संकेत दे रही है?
आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ की अधिकांश आबादी गांवों और जंगलों में बसे गांवो-बस्तियों में रहती है. मीडिया रिपोर्ट्स में ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के बड़े स्तर पर फैलने की खबरें आ रही हैं. लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार ने चिंता पाली है शराबियों की, और शराब कारोबारियों की. शराब की घर पहुंच सेवा शुरू करवाई जा रही है.
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लॉकडाउन के दौरान शराबियों को दिक्कत न हो, इसके लिए छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार (Bhupesh Baghel) ने शराब की ऑनलाइन डिलीवरी शुरू कर दी है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच में शराब की दुकानों पर जुटने वाली भीड़ से कोरोना संक्रमण फैलने का का खतरा बढ़ सकता है. इसे देखते हुए भूपेश बघेल ने शराब प्रेमियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था कर दी. एक घंटे के अंदर ही 50 हजार से ज्यादा लोगों ने शराब की बुकिंग करा डाली. आलम ये रहा कि लाखों लोगों के एक साथ एप का यूज करने से सर्वर क्रैश हो गया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि छत्तीसगढ़ में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या करीब डेढ़ लाख है. राज्य में कोरोना संकमण की वजह से दस हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. लेकिन, छत्तीसगढ़ सरकार का ध्यान स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को छोड़कर शराब प्रेमियों का गला तर करने में लगा है.
आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ की अधिकांश आबादी गांवों और जंगलों में बसे गांवो-बस्तियों में रहती है.
गांवों में बढ़ रही संक्रमितों की संख्या
आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ की अधिकांश आबादी गांवों और जंगलों में बसे गांवो-बस्तियों में रहती है. राज्य सरकार इन गांवों में कोरोना टेस्टिंग करने के मामले में काफी पीछे है. बीते महीने केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई एक जांच टीम ने बताया था कि छत्तीसगढ़ में कोरोना टेस्टिंग की संख्या काफी कम है. मीडिया रिपोर्ट्स में ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के बड़े स्तर पर फैलने की खबरें आ रही हैं. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएम सिंहदेव खुद मानते हैं कि गांवों में संक्रमण के मामले बढ़ना चिंता का विषय है. प्रदेश में लगे लॉकडाउन से शहरी क्षेत्रों में कोरोना मामलों में कमी आई है, लेकिन गांवों में संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ़ती दिख रही है. देश के कई ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं तब भी बेहतर हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमित की तबीयत बिगड़ने पर उसे दूसरे जिले में ले जाना पड़ता है. कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. लेकिन, छत्तीसगढ़ सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है.
स्वास्थ्य सुविधाओं के लचर हालात
राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का आलम ये है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों से लेकर स्टाफ नर्स तक के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हुए हैं. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार बने हुए सवा दो साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इन पदों पर भर्ती नहीं की जा सकी है. राज्य में वेंटिलेटर से लेकर कोरोना इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं तक की किल्लत हो रही है. लेकिन, जिम्मेदार इस पर पिछली भाजपा सरकार को दोष देते नजर आते हैं. राज्य सरकार ने बीते महीने ही हाईकोर्ट में दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में सुविधाओं की कमी नहीं है. राज्य के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन, एचडीयू, आईसीयू और वेंटिलेटर बेड बड़ी संख्या में मौजूद हैं. लेकिन, छत्तीसगढ़ में लोग अस्पताल में बेड के लिए चक्कर लगा रहे हैं और सही समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ रहे हैं. जीवनरक्षक दवाईयों को लेकर भी कमोबेश यही हाल बना है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के लिए शराब की ऑनलाइन डिलीवरी कराने में व्यस्त नजर आती है.
छत्तीसगढ़ में लोग अस्पताल में बेड के लिए चक्कर लगा रहे हैं और सही समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ रहे हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के बीच सीएम बघेल असम की चुनाव कमान संभाले हुए थे
राज्य में कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते शराब की दुकानें बंद हैं. इस दौरान 11 लोगों की मौत सेनिटाइजर और शराब में कफ सिरप मिलाकर पीने से हो गई. छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री कवासी लखमा ने जहरीली शराब से हुई इन मौतों को रोकने के लिए ऑनलाइन शराब डिलीवरी की व्यवस्था शुरु करने की बात कही. लेकिन, कोरोना से हो रही मौतों पर अफसोस जताने के अलावा कुछ खास प्रयास करते नहीं दिख रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में शामिल रहे थे. उन्होंने दूसरी लहर के अंदेशे के बाद भी असम के चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं आने दी थी. असम में चुनाव की कमान संभाल रहे भूपेश बघेल ने बीते मार्च महीने में अपने ट्वीटर हैंडल से 200 से ज्यादा ट्वीट किए, जिनमें से केवल 6 में कोरोना के बारे में बात की गई थी.
प्रवासी मजदूरों की जांच और क्वारंटीन की नहीं की गई व्यवस्था
इस साल लॉकडाउन लगने की आशंका से वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की पिछले साल की तरह न जांच की गई और न ही उन्हें क्वारंटीन करने की व्यवस्था सरकार की ओर से बनाई गई. इन मजदूरों में से जो भी कोरोना संक्रमित होगा, वह दूसरों के लिए भी घातक होगा. लेकिन, सरकार अपने दावों के सहारे खुद की पीठ थपथपाने में ही व्यस्त नजर आती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो छत्तीसगढ़ के गांवों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार 200 फीसदी से भी ज्यादा है. गांवों में बसने वाली अधिकांश आबादी कम पढ़ी-लिखी या निरक्षर है और कोरोना को लेकर जागरुकता के अभाव में 'काल का निवाला' बनती जा रही है. ये लोग जांच और टीकाकरण का विरोध कर रहे हैं, जिसकी वजह से सरकार के लिए एक नई समस्या खड़ी हो रही है. राज्य सरकार ने गांवों में बिना जांच के ही लक्षणों को आधार बनाते हुए दवाईयों पहुंचाने की बात कही है. लेकिन, इससे फायदा होता नहीं दिख रहा है.
लॉकडाउन में आवश्यक सेवाओं को ही छूट दी गई है और शराब से ज्यादा कुछ जरूरी हो क्या सकता है.
कोरोना से ज्यादा जरूरी हुई शराब
लॉकडाउन में आवश्यक सेवाओं को ही छूट दी गई है और शराब से ज्यादा कुछ जरूरी हो क्या सकता है. छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिले कोरोना की मार झेल रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार कोरोना संक्रमित मरीजों की 10 हजार से ज्यादा मौतें होने के बाद प्रदेश के डेढ़ लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमितों को लेकर कुछ खास चिंतित नहीं दिखती है. लेकिन, शराब के लती 11 लोगों की मौत के बाद सरकार की ओर से ऑनलाइन डिलीवरी की व्यवस्था कर दी जाती है. मौत किसी भी हो, चिंता का विषय है. लेकिन, शराबियों पर छत्तीसगढ़ सरकार की 'कृपादृष्टि' कहीं से भी सही नहीं लगती है. लगता है सरकार जानती है कि लोगों को दवा, राशन, वेंटिलेटर की जरूरत ही कहां है? आराम से शराब से गला गीला कीजिए और सभी चिंताओं को किनारे रखते हुए चैन की नींद सो जाइए. छत्तीसगढ़ में यूं नहीं कहा जाता है कि छत्तीसगढ़िया...सबले बढ़िया.
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