1857 के विद्रोह के बाद कैसा था ब्रिटिश राज का क्रिसमस?
क्रिसमस का वजूद भारत में बेहद पुराना है पर ब्रिटिश राज में इसे कुछ अलग ही कायदों और तरीकों से मनाया जाता था. ब्रिटिश राज में क्रिसमस कैसा था उसकी एक झलक यहां देखी जा सकती है.
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क्रिसमस बेहद खास त्योहार है. दुनिया की आधी आबादी आज के दिन ईसा मसीह के जन्म का त्योहार मनाती है. इंग्लैंड में तो इस त्योहार की खास रौनक रहती है. ब्रिटिश राज में भी ये त्योहार कुछ खास तरीके से मनाया जाता था. जो भी अंग्रेज भारत में रहते थे उस दौर में उनके लिए भारत में भव्यता का इंतजाम करना ज्यादा मुश्किल बात थी, लेकिन फिर भी उस समय के क्रिसमस को लेकर कुछ खास रौनक रहती थी.
कलकत्ता में 1857 का क्रिसमस भी कुछ ऐसा ही था. जहां एक ओर उत्तर भारत में शुरू हुए विद्रोह की आंच से ब्रिटिश राज को गर्मी का अहसास हो रहा था वहीं दूसरी ओर अंग्रेजी सरकार ये भरपूर प्रयास कर रही थी कि लोगों को लगे कि किसी भी तरह की कोई चिंता नहीं है. 1857 का क्रिसमस इसलिए भी खास था क्योंकि अंग्रेजी सरकार को पहली बार भारतीय विद्रोह झेलना पड़ा था. ब्रिटिश सेना पर भारतीय विद्रोह भारी पड़ रहा था क्योंकि अब भारत में एक जत्था आजादी की मांग करने लगा था.
जहां एक ओर मेरठ से शुरू हुई आग दिल्ली और उत्तर भारत में फैल रही थी, वहीं कलकत्ता में सब कुछ शांत था. शायद तूफान के पहले की शांति. 1857 के 24 दिसंबर संस्करण में The Bengal Hurukaru अखबार पब्लिश हुआ. ये अखबार कलकत्ता में क्रिसमस और उसके समय होने वाली गतिविधियों की जानकारी दे रहा था.
बंगाल हुरुकारू, पब्लिश डेट 24 दिसंबर 1857
पहले पेज में दिख रहा है कि बंगाल ब्रिटिश राज में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है. शिपिंग फर्म्स के विज्ञापन दिए गए हैं जो लंदन और ऑस्ट्रेलिया के सफर की जानकारी दे रहे हैं. एशिएटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की मीटिंग का नोटिस भी था. साथ ही ये भी नोटिस था कि चीज़ (Cheese) का कंसाइनमेंट आ गया है.
बंगाली पंचांग और 1858 की डायरी की सेल शुरू हो गई थी. साथ ही एक विज्ञापन ब्रिटिश लाइब्रेरी कलकत्ता का भी था जो सचित्र गिफ्ट करने लायक पुस्तकों के बारे में जानकारी दे रहा था, साथ ही Purveyors D. Wilson & Co के "The Hall of All Nations" के क्रिसमस मेले में बहुत सी चीज़ों की जानकारी थी जैसे हैम, टर्की, बीफ आदि और बहुत सारे केक, मिठाइयां और बिस्किट.
एक बात जो बहुत अजीब थी वो ये कि विल्सन के विज्ञापन में सिर्फ क्रिसमस मेले की जानकारी नहीं थी. उसमें लिखा था, 'हम उम्मीद करते हैं कि हम अपने कई दोस्तों के साथ मिलकर क्रिसमस मना सकें. हमारी आखिरी मुलाकात जिसमें हम भारतवासियों की खुशियों और समृद्धी के बारे में बात कर रहे थे उसके बाद घटी दुर्भाग्यपूर्ण गतिविधियों के बारे में न सोचें जो भारतीय साम्राज्य के लिए अच्छी नहीं हैं. 'THE HALL OF ALL NATIONS' में हमारे पास एक मौका है ये सोचने का कि ब्रिटिश राज अब और भी ज्यादा मजबूत होगा भारत में. ऐसे में हम सोच रहे हैं कि हमारे दोस्तों को बेहतर चीज़ें मुहैया करवाई जा सकें और उन्हें बड़े उल्लास के साथ सक्षम बनाने के लिए प्रेरित कर सकें. नए साल की मुबारकबाद.'
ये था वो आर्टिकल जो विज्ञापन के साथ छपा था. इस आर्टिकल से ये समझ आता है कि यकीनन उस दौर में ब्रिटिश राज के लिए समस्या की शुरुआत हो चुकी थी.
न्यूजपेपर के अंदर के हिस्सों में कई मिलिट्री गतिविधियों की डिटेल रिपोर्ट थी. इसमें लखनऊ में किए जा रहे ऑपरेशन की रिपोर्ट भी थी. इसमें लखनऊ में हुई मौतों का जिक्र था और विद्रोहियों से जब्त किए गए हथियारों की लिस्ट भी थी. इसी के साथ, कई मिलिट्री विज्ञापन भी थे ताकि उन सैनिकों की जगह भरी जा सके जो अभी जंग में मारे गए. पर इन सभी खबरों को कलकत्ता की दैनिक गतिविधियों वाली खबरों के बीच संजो कर रखा गया था. कलकत्ता की खबरों में दुकानों का जल्दी बंद होना, ईस्ट इंडिया कंपनी के मुलाजिमों का आना-जाना, अन्य विज्ञापन और शिपिंग कंपनियों का लेखा-जोखा था. इसमें एक विज्ञापन Signora Ventura (आर्ट शो या सर्कस) का भी था. जिसमें एक फ्रांस के जिम्नास्ट की बात की जा रही थी, न्यू ओर्लीन्स के एक गवइये का जिक्र था और कलकत्ता टाउन बैंड के शो की बात की गई थी.
कुल मिलाकर क्रिसमस की खुशी तो थी पर फिर भी भारत में शुरू हुए विद्रोह का डर भी था. ये तो थी 1857 की बात, लेकिन उसके पहले और उसके बाद में भी भारत में ब्रिटिश राज रहा है. एक झलक 1857 से पहले के क्रिसमस की और एक झलक उसके बाद के क्रिसमस की-
उससे पहले क्रिसमस बेहद शालीनता से मनाया जाता था भारत में. सभी अंग्रेजी अफसरों के घर तोहफे ले जाने का रिवाज था. emmajolly ब्लॉग जिसमें ब्रिटिश राज की जानकारी मिल जाती है उसने एक ब्रिटिश स्त्री का खत प्रकाशित किया था. इस खत में Eliza Fay (1756-1816) की जानकारी थी. एलिजा ब्रिटिश राज में भारत में रहने वाली कुछ चर्चित महिलाओं में से एक थीं. उन्होने 1780 में कलकत्ता से अपनी बहन को इंग्लैंड में खत लिखा था.
emmajolly.co.uk से ली गई तस्वीर, ये एलिजा का खत था.
इतना ही नहीं. भारत में ब्रिटिश राज के क्रिसमस को लेकर कई तस्वीरें भी बनाई गई हैं.
1881 में बनाई गई तस्वीर क्रिस्मस इन इंडिया
ये तस्वीर ई.के. जॉनसन ने 1881 में बनाई थी जिसमें एक आम ब्रिटिश घर की कहानी दिख रही है. भारतीय नौकर, एक ब्रिटिश जोड़ा और कुछ बच्चे जो शायद जल्द ही पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिए जाएं.
ब्रिटिश राज में क्रिसमस के लिए Yule log की जगह बर्फ लाई जाती थी.
बर्फ की सिल्ली ले जाता एक व्यक्ति. आस-पास नाचते बच्चे. ये क्रिसमस की एक झलक है. यूल लॉग एक पारंपरिक क्रिसमस मिठाई है जिसे लोग बड़ी खुशी से खाते हैं. इसे खास तौर पर बेल्जियम और आस-पास के यूरोपीय देशों में खाया जाता था. पर भारत में इसकी जगह बर्फ की सिल्ली ने ले ली थी.
ब्रिटिश राज में भारतीय क्रिसमस उन ब्रिटिश अफसरों के लिए उतना भव्य क्रिसमस नहीं था जितना आज के जमाने में इसे मनाया जाता है, लेकिन फिर भी उनके ऐशो आराम में कोई कमी नहीं थी.
इस आर्टिकल के अंश ब्रिटिश लाइब्रेरी के एशियन एंड अफ्रीकन स्टडी ब्लॉग से लिए गए हैं.
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