ऐसे अवार्ड दिए जाएंगे तो विवाद तो होगा ही...
पुरस्कारों पर विवाद केवल खेल नहीं बल्कि अन्य क्षेत्र में भी कई बार सामने आ चुके हैं. कई फैसले तो ऐसे रहे जिसने सभी को हैरान किया. पुरस्कार और विवाद का नाता पुराना है.
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पुरस्कारों पर विवाद केवल खेल नहीं बल्कि अन्य क्षेत्र में भी कई बार सामने आ चुके हैं. कई फैसले तो ऐसे रहे जिसने सभी को हैरान किया. पुरस्कार और विवाद का नाता पुराना है. एक समय भारत के मशहूर बिलियर्ड्स खिलाड़ी माइकल फेरेरा ने 1981 में पद्म श्री लेने से यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि वह पद्म भूषण के हकदार हैं जिसे सुनील गावस्कर को दिया गया. ऐसे ही फ्लाइंग सिख के नाम से पूरी दुनिया में अपनी पहचान कायम करने वाले मिल्खा सिंह ने 2001 में इसे तमाशा करार देते हुए अर्जुन अवार्ड लेने से इंकार किया. ऐसे ही कई और उदाहरण मिल जाएंगे.
सानिया मिर्जा का राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए चयन इन्हीं विवादों की एक अगली कड़ी है. आइए हम आपको याद दिलाते हैं ऐसे ही कुछ पुरस्कारों के बारे में जिन्होंने सभी को हैरान किया...
1) सैफ अली खान को 2005 में फिल्म 'हम-तुम' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया. यह फैसला अपने आप में हैरान करने वाला रहा. कई लोगों का मानना था कि सैफ का अभिनय बहुत औसत था और इसमें कुछ ऐसा नया नहीं था जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाए. इसके अलावा सैफ को पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है. एक रोस्टोरेंट में कुछ लोगों से मारपीट करने के विवाद के बाद उनसे पद्म पुरस्कार वापस लेने के बारे में हाल में खूब चर्चा हुई थी.
2) बॉक्सर मनोज कुमार ने 2014 में खुद का नाम अर्जुन पुरस्कार के लिए नहीं चुने जाने पर खेल मंत्रालय को कोर्ट में घसीटा था. कोर्ट का फैसला मनोज के पक्ष में रहा. बाद में खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने उन्हें अलग से अर्जुन पुरस्कार दिया.
3) पिछले साल नरेंद्र मोदी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आए. राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों की घोषणा के मामले में कोई भी सरकार ईमानदार नहीं दिखी. पक्षपता कहीं न कहीं होता रहा है. इसके कई उदाहरण मिल जाएंगे. इस साल दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण के लिए लाल कृष्ण आडवाणी और बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल को चुना गया. अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया गया.
4) सचिन तेंदुलकर को 2013 में भारत रत्न से नवाजा गया. खेल के क्षेत्र में पहली बार किसी को यह पुरस्कार दिया गया. इसके लिए नियमों में बदलाव हुए. ज्यादातर लोग सचिन को भारत रत्न दिए जाने के पक्ष में तो थे लेकिन कई खेल प्रेमियों का मानना था कि मेजर ध्यानचंद पहले हकदार हैं. साथ ही माना गया कि तब की कांग्रेस सरकार ने लोगों को खुश करने के इरादे से सचिन का नाम भारत रत्न के लिए आगे बढ़ाया. इसके अलावा सचिन कई कंपनियों और उसके प्रोडक्ट्स के प्रचार आदि से भी जुड़े थे. इसे लेकर कुछ लोगों ने विरोध जताया और सचिन के खिलाफ कोर्ट में मामले भी दर्ज किए गए.
5) राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कारों से जुड़ा विवाद देखने को मिलता रहा है. साल 2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को नेबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया. दिलचस्प यह कि ओबामा जनवरी-2009 में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं और नौ महीने बाद ही उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए चुन लिया जाता है.
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