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Updated: 16 अप्रिल, 2021 07:29 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) का कहर लोगों पर किस कदर टूटा है, यह किसी से छिपा नहीं हैं. जिनके उपर बीत रही है वही इस दर्द को समझ सकते हैं. इस बीच एक बात है जो लोगों को विचलित कर रही है, वह है सोशल मीडिया. सोशल मीडिया पर नजर बनाना कुछ लोगों के लिए मजबूरी है क्योंकि यह उनका काम है. वहीं आज के जमाने में जो भी घटनाएं हमारे आस-पास होती हैं उसे लोग सोशल मीडिया के जरिए अपनों तक पहुंचाते हैं. हम आपके इमोशन को समझ सकते हैं, लेकिन कई बार इसका परिणाम दूसरों के लिए घातक साबित हो सकता है. सोशल मीडिया के फायदे हैं तो नुकसान भी. कई बार हम किसी के लिए कुछ सकारात्मक सोचकर टाइमलाइन पर पोस्ट शेयर करते हैं लेकिन वह किसी और के लिए नकारात्मक हो जाती है और उन्हें डिप्रेशन में धकेल देती है.

Covid-19, Covid-19 Patience, Corona Patience, Patienceकोरोना काल में सोशल मीडिया पर जाने से क्यों कतरा रहे हैं लोग

आजकल सोशल मीडिया पर बुरा हाल है. क्या आपको भी टाइम लाइन पर कोरोना (Covid-19 news) से संबंधित खबरों में मौत दिखाई देती है. इन दिनों पूरी टाइमलाइन कोरोना से जुड़ी खबरों से भरी पड़ी है. अपने किसी परिचित को खोने का क्या गम होता है इससे हम सभी वाकिफ हैं. कई लोग श्रद्धांजलि देने के लिए पोस्ट शेयर कर रहे हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए दर्दनाक साबित हो रही है जो लोग कोरोना से संक्रमित है, एक अलग तरह का डर लोगों को खाए जा रहा है.

उनके मन में ऐसे ख्याल आ रहे हैं कि कहीं हमारे साथ कुछ गलत ना हो जाए. हम ठीक तो हो जाएंगे, कहीं हमारी जिंदगी खत्म हो गई तो...ऐसे में वे इमोशनल होकर कमजोर पड़ रहे हैं. उनकी हिम्मत टूट रही है. अगर आपको श्रद्धांजलि देनी है तो मन में दें ताकि जो लोग इन दिनों जिंदगी और मौत से से जूझ रहे हैं वे इस नेगेटिविटी से बच सकें.

फेसबुक पर किसी के मरने, शव, श्मशान और जलती चिताओं को देखकर रूह कांप जाती है. आखिर जिसके ऊपर यह बीत रहा है उसके दर्द को कैसे कम किया जाए...इसके साथ ही पॉलिटिकल या सटायर पोस्ट उन जरूरी पोस्ट को दबा रही हैं. जिसमें कोई ब्लड, प्लाज्मा या फिर दूसरी जरूरी चीजों के लिए मदद मांग रहा है.

किसी को हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल रहा तो किसी को दवाइयां नहीं मिल रही. किसी को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा तो किसी को इंजेक्शन. कई लोग तो शव के अंतिम संस्कार के लिए परेशान हैं. ऐसी पोस्ट का असर लोगों के दिमाग पर हो रहा है. इस वजह से कई लोगों ने सोशल मीडिया पर जाना भी छोड़ दिया है. इसका परिणाम वे लोग भुगत रहे हैं जो फेसबुक, इंस्टा या ट्विटर के जरिए मदद मांग रहे हैं.

सच में सोशल मीडिया इन दिनों डिप्रेश कर रहा है. आप सोचिए अगर कोई कोरोना पेशेंट सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपना माइंड डायवर्ट करने या लोगों से जुड़ने के लिए करता है और उसे कोरोना से मौत और शव वाले पोस्ट दिखते हैं तो उसे कैसा महसूस होगा...क्या उसे अपने लिए डर नहीं लगेगा. उसकी मेंटल हालत क्या होगा? कई लोग व्हाट्सएप पर कोरोना से संबंधित न्यूज़ जैसे इतने घंटे में इतनों की मौत, किसी को गुड मॉर्निंग से साथ चिपका दे रहे हैं, क्या मतलब है इसका.

हो सकता है कि आपको उनकी चिंता हो लेकिन ऐसे मैसेज उनको डिस्टर्ब कर सकते हैं. आप यह मैसेज क्यों नहीं भेजते कि इतने घंटों में इतने कोरोना के मरीज ठीक हो गए. नकारात्मक सोचने से कहीं अच्छा है सकारात्मक होकर किसी की परवाह करना. ऐसे समय में खासकर हम सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए. एक-दूसरे को हिम्मत देनी चाहिए. आप वर्चुअली अपनों से कनेक्ट रहिए, लेकिन निवेदन है कि कोई नेगेटिव बात मत कीजिए.

हमें इस बात का अहसास है कि अपने किसी परिचित का निधन होने पर बहुत दुख होता है. आप उस दुख को लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पोस्ट करते हैं. लेकिन, यकीन मानिए इस कोरोना काल में ये श्रद्धांजलि अब दूसरों के मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाल रही है. खासतौर पर जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं. ऐसे हालात में हम सब की जिम्मेदारी बढ़ गई है. हमें थोड़ा और संवेदनशील और मददगार होने की जरूरत है. सकारात्म पहल की शुरुआत कीजिए.

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोरोना की चपेट मे आने की वजह से कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ रही है, लेकिन कई मरीज ठीक भी हो रहे हैं. लोगों के बीच यह बात जानी चाहिए कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद लोग ठीक हो रहे हैं ताकि उनका मनोबल बढ़ सके और वे मानसिक तनाव से बच सकें. सिर्फ मौत की खबरों से लोगों की हिम्मत कम होती है. दुर्भाग्यवश किसी के गुजर जाने पर उसके लिए मन ही मन श्रद्धांजलि अर्पित कीजिए. दो मिनट आंखे बंद करके ईश्वर से उनके सद्गति के लिए प्रार्थना कीजिए. उनकी फोटो डालने से माहौल भावुक होगा और लोग कमजोर. सोचिए जिनके परिवार का कोई सदस्य कोरोना से पीड़ित होगा यह सब देखकर उसकी क्या हालत होगी.

अच्छे डॉक्टर्स, पुलिस, ठीक हुए मरीजों और पैरामेडिकल स्टाफ के प्रयास को सराहिए. कोरोना से सावधान रहिए, लेकिन माहौल को डरावना मत बनाइए. साथियों का मनोबल बढ़ाइए और उन्हें डिप्रेशन से बचाइए. इसलिए सभी से यह निवेदन है कि प्लीज सोशल मीडिया को डिप्रेशिंग और नकारात्मक होने से बचा लीजिए. ताकि किसी मरीज या उसके परिजन को सोशल मीडिया देखने में डर ना लगे और वह मदद मांग सके.

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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