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Updated: 08 अप्रिल, 2020 01:18 PM
प्रभाष कुमार दत्ता
प्रभाष कुमार दत्ता
  @PrabhashKDutta
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उत्तरी बिहार के गांवों में एक कहावत है जिसके अनुसार - कमरे में अंधेरा है और उसमें भांति भांति के सांप हैं. कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर ये उस बुजुर्ग व्यक्ति की बातों का सार है जो गांवों से जुड़ा है और फिलहाल दिल्ली (Delhi) में फंसा है. सांपों से भरे अंधेरे कमरे को समझने के लिए सरकार ने देश में लॉक डाउन (Lockdown) करवाया है. ये उस बुजुर्ग व्यक्ति ने समझाया. वर्तमान में पूरा देश वही अंधेरा कमरा है और हर आदमी सांप है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी को ये नहीं पता कि नॉवेल कोरोना वायरस कौन ग्रहण किये हुए है और बीमारी के लक्षण नहीं दिखा रहा है. ये आदमी किसी अन्य व्यक्ति को काट (संक्रमित) सकता है. चुनौती किसी भी व्यक्ति का उस कमरे में घुसना और उस कमरे को सेनेटाइज करना है. इस मुश्किल घड़ी में डॉक्टर और नर्सें फ्रंट लाइन वॉरियर्स की भूमिका में हैं. इनके ऊपर जिम्मेदारी भारत से कोरोना को हटानेे की है. मगर इसमें सबसे दुर्भाग्य पूर्ण इन लोगों का खुद संक्रमित हो जाना है. अगर हम डॉक्टर्स या हेल्थ प्रोफेशनल्स को खोते हैं तो उससे कोरोना वायरस को अन्य लोगों को संक्रमित करने में बल मिलेगा, यानी कुल मिलाकर ये भारत के लिए एक मुश्किल वक़्त है.

हालात आए रोज बद से बदतर हो रहे हैं. ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि लगातार हमारे डॉक्टर्स कम होते जा रहे हैं. वर्तमान में कई अस्पताल पोटेंशियल कोरोना वायरस क्लस्टर्स में बदल गए हैं और इन्हें कोरोना वायरस कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया है.

दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाला एक अस्पताल बंद कर दिया गया है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहां 4 हेल्थ प्रोफेशनल्स जिसमें एक डॉक्टर भी शामिल है उसका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है. यहां ओपीडी बंद है साथ ही यहां भर्ती 45 कैंसर के मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है. बता दें कि कैंसर के मरीजों में कोरोना से प्रभावित होने की संभावनाएं ज्यादा है.

Coronavirus Hospitals turning coronavirus containment zones in India biggest worry considering World Health Dayवर्तमान परिदृश्य में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने डॉक्टर्स और नर्सों को सुरक्षित रखना है

 

इससे पहले भी अभी दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के 14 हेल्थ प्रोफेशनल्स को कोरोना वायरस की जांच में पॉजिटिव पाया गया था. इसके गंगा राम हॉस्पिटल की हो तो वहां भी अभी हाल में ही 100 हेल्थ प्रोफेशनल्स को क्वारंटाइन में भेजा गया है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहां उपचार करा रहे दो मरीज कोरोना संक्रमित पाए गए थे.

बात अगर एम्स कि की जाए तो वहां भी हालात बद से बदतर हैं. यहां करीब 12 के आस पास डॉक्टर्स को सेल्फ क्वारंटाइन किया गया है. ये इसलिए हुआ क्योंकि यहां भी एक डॉक्टर को कोरोना वायरस की जांच में पॉजिटिव पाया गया था. वहीं दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में भी दो डॉक्टर्स कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं. यहां 50 से ज्यादा हेल्थ स्टाफ को सेल्फ क्वारंटाइन में भेजा गया है.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से दिल्ली बुरी तरह से प्रभावित है. पर ऐसा नहीं है कि केवल दिल्ली में ही हेल्थ प्रोफेशनल्स कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं. बात मुंबई की हो तो मुंबई का हासिल भी दिल्ली से मिलता जुलता है. मुंबई के वॉकहार्ड अस्पताल को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया है. यहां 26 नर्स और 3 डॉक्टर कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहां एक मरीज भर्ती हुआ था जिसे कोरोना वायरस था.

इसी तरह मुंबई के बड़े अस्पतालों में शुमार जस्लोक अस्पताल की भी हालत पतली है. बताया जा रहा है कि जसलोक अस्पताल ने अपनी ओ पीडी बंद कर दी है. यहां एक स्टाफ कोरोना संक्रमित पाया गया था. बताते चलें कि महाराष्ट्र का शुमार उन राज्यों में जो बुरी तरह से बीमारी का कोप झेल रहा है और मुंबई ही वो जगह है जगह कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं.

मुंबई के बाद महाराष्ट्र के दूसरे बड़े शहर पुणे की भी हालत ख़राब है. यहां के डीव्हाई पाटिल अस्पताल में 90 हेल्थ प्रोफेशनल्स जिनमें 42 डॉक्टर शामिल हैं, को क्वारंटाइन में रखा गया है. यहां भी सारी गड़बड़ का कारण एक व्यक्ति का संक्रमित होना बना.

चाहे वो दिल्ली हो या फिर बिहार, राजस्थान, केरल इन जगहों पर भी काफी हेल्थ प्रोफेशनल्स कोरोना वायरस के शिकार हैं. गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से हम डॉक्टर्स और नर्सों से लगातार ये डिमांड सुन रहे हैं कि उन्हें बीमारी से लड़ने के लिए उचित गियर्स मुहैया कराए जाएं. वहीं बात अगर केंद्र सरकार की हो तो उसने इस बात को स्पष्ट किया है कि वर्तमान में 4.5 लाख पीपीई का निर्माण किया है और राज्यों को करीब 25 लाख मास्क उपलब्ध कराए हैं. वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले दो एक महीनों में ये संख्या तीन गुनी होगी.

सरकार ने पहले कहा था कि वह PPEs आयात करने की प्रक्रिया में थी. लेकिन इसमें समय लगने की संभावना है क्योंकि दुनिया के कई देशों में  कोरोनोवायरस महामारी का रूप ले चुका है और ज्यादातर काम धाम ठप है. चीन से लेकर यूरोपीय देशों तक हालात लगातार ख़राब हैं.

लेकिन ये अड़चनें भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए खतरे को कम नहीं करती हैं, जो कोरोनोवायरस प्रकोप के एक महत्वपूर्ण चरण में है. यदि इसे अभी नहीं सही किया गया तो आने वाले वक़्त में स्थिति बद से बदतर होगी और तब हम केवल और केवल तमाशा ही देख पाएंगे. ध्यान रहे कि सरकार लगातार ही इस बात को कह रही है कि भारत में कोरोना वायरस अपनी दूसरी स्टेज में है और यदि स्थिति नियंत्रित नहीं की गयी तो आने वाले समय में हमारे लिए बचाने को कुछ बचेगा नहीं.

आपको बताते चलें कि 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे के रूप में सेलिब्रेट किया जा रहा है. पर इस साल ये नहीं मनाया जा रहा है क्योंकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है. डब्लूएचओ ने इस साल इस जश्न को नर्सों और दाइयों को समर्पित किया है, जो में एक खुशहाल और स्वस्थ दुनिया में रहने में मदद करते हैं.

हालांकि चीन में उपन्यास कोरोनावायरस के प्रकोप से पहले तय किया गया था, विश्व स्वास्थ्य दिवस का विषय रेखांकित करता है कि स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के बिना, कोविद -19 महामारी के खिलाफ लड़ाई नहीं जीती जा सकती. ये सब चीन में कोरोना वायरस फैलने के पहले तय हुआ था. यदि WHO की थीम को देखें तो उसमें स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को एक अहम मुद्दे की तरह पेश किया गया था, यदि इसपर काम कर लिया गया तो कोरोना के खिलाफ ये जंग जीती जा सकती है और यही नहीं तो फिर कोरोना से लड़ाई मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

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लेखक

प्रभाष कुमार दत्ता प्रभाष कुमार दत्ता @prabhashkdutta

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्टेंट एडीटर हैं.

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