Coronavirus से मौतों का जवाब 10 दिन में बना 1000 बिस्तर वाला Chinese hospital नहीं
कोरोना वायरस बीमारी (Corona virus) के फैलाव ने दुनिया में हाहाकार मचा दिया है. चीन ने स्वास्थ्य इंतजामों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन चीन ने इन सवालों का जवाब उसी अंदाज में दिया, जिसमें वो माहिर है.
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कोरोनावायरस से फैली बीमारी (Coronavirus disease) के चलते इस वक्त चीन (China) गहरे संकट से गुजर रहा है. इमरजेंसी जैसे हालात हैं. और कोरोना वायरस (Corona virus) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा. किसी और देश में अगर ऐसे हालात होते तो स्थितियां शायद और बुरी हो सकती थीं. लेकिन चीन की कार्यशैली बाकी देशों से कई मायने में अलग और बेहतर है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है एक अस्पताल जो इस वक्त कोरोना वायरस की ही तरह चर्चा में बना हुआ है. देश भर में और देश के बाहर भी कोरोना वायरस के हाहाकार के चलते चीन ने कोरोना से लड़ने के लिए 10 दिनों के अंदर 1000 बेड वाला अस्पताल बनाकर तैयार कर लिया है. वुहान में बनाए गए इस अस्पताल का नाम है Huoshenshan hospital, जो 25000 स्क्वायर मीटर में फैला है. इस अस्पताल की नींव 23 जनवरी को रखी गई और 2 फरवरी की सुबह तक ये बनकर तैयार भी हो गया. 3 फरवरी से अस्पताल में काम भी शुरू हो गया.
10 दिनों में बनकर तैयार हुआ अस्पताल
चीन के ऑफिशियल broadcaster CCTV इस अस्पताल का बनना लगातार प्रसारित करता रहा था जिससे कि लोग इस अस्पताल को बनता हुआ देख पाएं.
अस्पताल को समय पर तैयार करने के लिए देश भर से इंजीनियर बुलवाए गए थे
40 मिलियन लोगों से भी ज्यादा लोगों ने इस अस्पताल को लाइव बनते हुए देखा. दिन रात की मेहनत से ये प्रयोग आश्चर्यजनक रूप से सफल रहा. और इतने कम समय में इतना बड़ा अस्पताल बनकर तैयार कर दिया गया. इस अस्पताल को समय पर तैयार करने के लिए देश भर से इंजीनियर बुलवाए गए थे. और इंजीनियरिंग के काम में चीन का कोई जवाब नहीं है.
कम समय में अस्पताल बनाना चीन के लिए कोई नई बात नहीं
Huoshenshan Hospital, Xiaotangshan अस्पताल की तर्ज पर ही बनाया गया है जिसे 2003 में sars virus से लड़ने के लिए बीजिंग में बनाया गया था. और इस अस्पताल ने सबसे कम समय में बनकर तैयार होने वाले अस्पताल का विश्व र्कॉर्ड भी बनाया था क्योंकि ये महज 7 दिनों में बनकर तैयार हो गया था. तब भी चीन पर विपत्ति आई थी. 2003 में सार्स वायरस से करीब 8,000 लोग संक्रमित हुए थे और 774 मौतें हुई थीं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मार्च 2003 में सार्स संक्रमण को पैनडेमिक घोषित किया था.
चीन को इस तरह की इमारतों को बेहद कम समय में बना लेने की महारथ हासिल है. इतना ही नहीं चीन विश्व प्रसिद्ध इमारतों के रेप्लिका बेहद कम समय में बनाता रहता है.
Mission complete! 110s time-lapse video shows the construction of Wuhan’s Huoshenshan Hospital from Jan 23 to Feb 2. pic.twitter.com/cIw7SjxqHx
— People's Daily, China (@PDChina) February 2, 2020
Coronavirus के मरीजों की संख्या तो नहीं छुपा रहा चीन?
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन ने कोरोनावायरस पीड़ित मरीजों की संख्या को छुपाया है. यह संख्या 80 हजार से ज्यादा हो सकती है, जिसे चीन ने सिर्फ 17-18 हजार तक ही बताया है. इस बीमारी का केंद्र माने जा रहे वुहान शहर में ही कोरोनावायरस पीड़ित मरीजों की पहचान इस रूप में नहीं की गई है. काइजिंग नामक चाइनीज मीडिया ने शुरुआती मौतों और इन्फेक्शन की सही पहचान न हो पाने का कारण टेस्ट न हो पाने को बताया है. इस बीमारी से जुड़ी शनिवार की रिपोर्ट को रविवार को इंटरनेट से हटा दिया गया. इसमें मौतों का कारण वायरल निमोनिया बताया गया, ना कि कोरोनावायरस हुआ निमोनिया. वुहान अस्पताल के डॉक्टर ने अपनी पहचान छुपाकर बताया है कि करीब 600 गंभीर रोगियों की पहचान कोरोनावायरस पीड़ित के रूप में नहीं हो पाई, क्योंकि उनका टेस्ट ही नहीं किया गया.
क्या चीन सच में तारीफ के काबिल है?
कोरोना वायरस एक घातक वायरस है. ये वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है. ये जानवरों से होता हुआ इंसानों के शरीर में आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस वायरस के प्राथमिक स्रोत चमगादड़ हो सकते हैं. चीन दुनिया में जंगली जानवरों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है जहां ये व्यापार वैध और अवैध ढंग से चलाया जाता है. चीन में कुछ जानवरों को उनके स्वाद की वजह से खाया जाता है और कुछ जानवरों का इस्तेमाल पारंपरिक दवाओं में किया जाता है. जंगली जानवरों को उपभोग करना चीन के लोगों में सांस्कृतिक रूप से एडवेंचर, साहस, खोजी प्रकृति और विशेषाधिकार को बताता है.
2003 में भी sars virus ने चीनमें तबाही मचाई थी
इसके लिए जंगली जानवरों की काला बाजारी खूब की जाती है. हालात ये हैं कि जानवरों की कई प्रजातियां तो चीन में विलुप्त भी हो चुकी हैं. जानवरों को उपभोग करने की वजह से वायरस मानव जीवन में प्रवेश कर जाते हैं. और नतीजा माहमारी के रूप में सामने आता है. इसके लिए चीन वन्य जीवों को पालने और बेचने पर कितने ही प्रतिबंध लगा ले लेकिन कुछ महीनों बाद अवैध व्यापार फिर धड़ल्ले से चलने लगता है. क्योंकि चमगादड़ का सूप, भुना हुआ कोबरा सांप, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बनी शराब जैसी डिश का स्वाद महंगे रेस्त्राओं में लेना चीन के लिए स्टेटस सिंबल है.
कोराना का कहर लागातर जारी है
ताजा हालात ये हैं कि चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 361 हो गई है. चीन स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में बताया कि कोरोना वायरस के 2,829 और नए मामले सामने आए हैं जिससे इससे संक्रमित लोगों की कुल संख्या 17,205 हो गई है. इस संक्रमण से सबसे ज्यादा मौतें हुबेई प्रांत में हुई हैं. हुबेई की राजधानी वुहान में दिसम्बर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ था और अब यह संक्रमण चीन से बाकी देशों में भी फैल रहा है. 22 देशों में इससे संक्रमित करीब 100 लोग पाए गए हैं. भारत में भी दो व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. WHO ने कोरोना को लेकर इंटरनेशनल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है. कई देश अपने नागरिकों को सलाह दे रहे हैं कि चीन न जाएं. भारत समेत कई देशों ने चीन के लिए अपनी उड़ानें भी रद्द कर दी हैं.
चीन कोरोना से लड़ने के लिए भले ही 10 दिन में अस्पताल तैयार करके वाहवाही लूट ले, लेकिन वास्तविकता तो ये है कि ये माहमारी चीन के लिए नई नहीं है. वो अपनी गलतियों से आज भी नहीं सीखा. वायरस से लड़ने के लिए चीन अगर वन्य जानवरों के काले कारोबार पर सख्ती करता, तो आज उसे अस्पताल बनवाने के लिए इतनी मेहनत भी नहीं करनी पड़ती.
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