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Updated: 31 मार्च, 2020 06:50 PM
विजय मनोहर तिवारी
विजय मनोहर तिवारी
  @vijay.m.tiwari
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दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz news) का हाल आप देख चुके हैं. कोरोना वायरस से जुड़े तमाम अलर्ट (Coronavirus India alert) के बावजूद वहां हजारों लोगों का मजमा लगा. देश-विदेश से लोग पहुंचे. जिनमें कोरोना वायरस से पॉजिटिव लोग शामिल थे. अब पता चल रहा है कि इस आयोजन में पहुंचे तेलंगाना के 6 और जम्मू-कश्मीर का एक शख्स इस वायरस के संक्रमण से मारा गया. जबकि 80 से ज्यादा लोगों के भीतर कोरोना वायरस पाया गया है. 300 से ज्यादा लोगों को क्वारंटाइन सेंटर्स में भेजा गया है.

सवाल ये है कि कोरोना वायरस के खतरे के बावजूद दिल्ली के बीचोंबीच इतना बड़ा मजमा लगाने वाले कौन हैं? आखिर इनकी मानसिकता क्या है? जनता कर्फ्यू से अब तक 9 दिन हुए. हर रोज ढेरों वीडियो सबके मोबाइल पर घूमे. तरह-तरह के दृश्य. मेरे पास कुछ मौलानाओं के वीडियो आए. सीएए के समय पहली बार अनदेखे-अनजाने अनगिनत मौलानाओं की तकरीरें सुनी थीं. अब वैसे ही संदेश कोरोना पर सुने. ऐसे ही दस खास वीडियो देखने-सुनने के बाद यह वीडियो विश्लेषण किया है. विचारों में असहमति हो सकती है.

-एक साहब ने ख्वाब में कोरोना वायरस से हुई बातचीत का मुजाहिरा किया. वे बता रहे हैं कि लंदन के मौलाना अब्दुल रहीम लिंबादा, जो हदीस के ज्ञाता हैं, उन्हें यह ख्वाब आया. जिसमें वायरस ने कहा कि मैं हिंदुस्तान जाकर वहां के लोगों को तबाह और बरबाद कर दूंगा, जहां मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं. जो वजू नहीं करते, जो पांच वक्त की नमाज नहीं करते और गैरों के साथ दोस्ती और दिली ताल्लुक रखते हैं, उनके ऊपर भी मुसल्लत होऊंगा.

-एक दूसरे मौलाना फरमा रहे कि यह ख्वाब इटली में आया. चीन में शुरू हुआ मैं, जहां आयशा नाम की औरत के साथ लोगों ने ज्यादती की. उसने अल्लाह को अपना दुखड़ा सुनाया. अल्लाह का अजाब तीनों पर कोरोना के रूप में नकद बरपा. तीनों वहीं ढेर हो गया. बाहर खड़ा पहरेदार बाद में मरा. चीन में मस्जिदों पर पाबंदी से अल्लाह इतना नाराज हुए कि दुनिया की ताकतवर देश में लाखों को जमीन पर फैंक दिया.

Nizamuddin markazनिजामुद्दीन मरकज से कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का मामला तो सबसे खतरनाक उदाहरण है.

-हरी टोपी और गुलाबों की माला गले में टांगे एक बुजुर्ग आलिम फरमा रहे हैं कि कोरोना का इलाज कबूतर में है. ये जो कमली वाले के रोजे पर कबूतर हैं, अल्ला-अल्ला करता है. वह दाने का खाता है. उसके गले में एक झिल्ली होती है, उसे निकालकर पकाकर खाएं, उसका पानी पीएं, कोई कोरोना वायरस नहीं है. कबूतर अपने गले में जहर भी उतारे तो वह हजम कर लेता है उसी झिल्ली से. इससे शुगर भी नहीं रहेगी. (जब हजरत यह फरमा रहे हैं तो बीच-बीच में मुरीद भी अल्ला-अल्ला की आवाजें कर रहे हैं.)

-एक नौजवान मौलाना कुरान और हदीस के पाबंद आलिमों के हवाले से कुछ अलग बात कर रहे हैं-बारिश-तूफान के वक्त घरों में नमाज की हिदायत है, जब कोई जान का खतरा भी नहीं है. नबी की हदीस है कि ताऊन की बीमारी फैल जाए तो वहां मत जाओ. इलाके में बीमारी आ जाए तो इलाका छोड़कर मत जाओ. यह 14 सौ साल पहले नबी बता चुके हैं.

-एक इंटरव्यू में एक साहेब कह रहे हैं कि जुमे के दिन घर में नमाज मुमकिन नहीं है. सिर्फ औरतें घर में पढ़ सकती हैं. मर्दों की नमाज का सवाब अल्लाह तभी देगा, जब वह मस्जिद में पढ़ी जाएगी. मलेशिया में अगर घर मेंे पढ़ रहे होंगे तो उन्हें मजहब का इल्म नहीं होगा. हम तो इस्लामी रूल के मुताबिक चलेंगे. ज्यादातर मुसलमान कोई एहतियात नहीं बरत रहे हैं. अल्लाह के ऊपर है सब. हमारा ईमान अल्लाह के ऊपर है. जो होना है होगा.

-एक साहब ने कहा कि हम पांच वक्त वजू कर रहे. कोरोना पास नहीं फटकेगा. भले ही एक साथ एक ही हौज में वजू करें. यह कुदरत का निजाम है. कोई वायरस असर नहीं करेगा.

-एक जनाब कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पिल पड़े. उन्हें बहुत बुरे-बुरे शब्दों में बद्दुआ दे रहे हैं. उन्हें सीएए के विरोध को दबाने के लिए यह प्रधानमंत्री की चाल नजर आ रही है. वे कोरोना से ज्यादा प्रधानमंत्री को खतरनाक वायरस बता रहे हैं.

-बेंगलुरू में इन्फोसिस के एक इंजीनियर मुजीब मोहम्मद का जानलेवा ऑफर भी चर्चा में है. ये पढ़े-लिखे जनाब काेरोना फैलाने काे उत्सुक हैं. कह रहे हैं कि हाथ मिलाओ. बाहर आओ और भीड़ में वायरस फैला दो…

-डॉक्टर काशिफ अंसारी नाम के पाकिस्तान के एक डॉक्टर का मार्मिक वीडियो है, जिसमें वे अल्लाह से मुखातिब होकर कह रहे हैं कि जब मालिक ही नाराज है तो इलाज के सब इंतजाम होने पर भी हम कहां जाएंगे. हमने लाखों जाने इस दुनिया में जाती देखीं और हमारे कानों पर जूं नहीं रेंगी. हमारे गुनाह ऐसे हैं. हम मस्जिदों में नहीं जा पा रहे. बच्चों को गले नहीं लगा पा रहे. जब फिलस्तीन, सीरिया और यमन में बच्चे एक-एक रोटी के लिए तरस रहे थे तब हम अपनी तिजोरियां भर रहे थे.आपको आपकी रहमत का वास्ता. आपने नहीं सुनी तो किसके पास जाएंगे अल्ला मियां?

ऐसे कई वीडियो हैं, जिनमें बाकायदा नमाज में सब आसपास बेफिक्र भीड़ में इकट्‌ठे हैं. यही नहीं, वे इसके पक्ष में एक से बढ़कर एक दलील भी रहे हैं. उन्हें अपने ईमान के पक्के होेने का फख्र है. वजू और नमाज को वे दुनिया की हर तकलीफ का एकमात्र और अंतिम इलाज मानते हैं, जो अल्लाह ने दिया है किसी इंसान ने नहीं. इसलिए वे सिर्फ अल्लाह और उसके कानून में यकीन करते हैं. उन्हें और किसी कानून की कोई परवाह नहीं है.

मैं सुन रहा हूं. पढ़ रहा हूं. देख रहा हूं. आपके पास भी यह वीडियो बहकर आ रहे होंगे. इनमें कोई मौलाना शांत भाव से कोरोना पर कुछ कह रहा है, ज्यादातर मौलाना हमेशा की तरह चीख-चिल्ला रहे हैं. खीज रहे हैं. धमका रहे हैं. डरा रहे हैं. उनके आक्रामक तेवर इतने उग्र हैं कि अभी उनका बस चले तो लगे हाथ भारत के 130 करोड़ लोगों का कलमा पढ़कर सबको नमाज में सटकर एक साथ खड़ा करवा दें. बीमारियां अनेक, इलाज एक-वजू और नमाज!

शाहीनबाग के पहले कभी इतने मौलाना कभी मंचों पर नजर नहीं आए थे. मस्जिदों और बस्तियों में वे तकरीरें करते ही होंगे, लेकिन उनके वीडियो इतने वायरल कभी नहीं हुए थे. सीएए के खिलाफ हुए धरनों में बंगाल, बिहार, यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक के ईमान की रोशनी से जगमगाते इलाकों में मौलानाओं की तकरीरें पहली बार रिकॉर्ड पर आईं और सारे आलम को पता चला कि दीन के इन दुरुस्त दिमागों में क्या चल रहा है?

देश की क्या हैसियत है, कानून कहां की चिड़िया है, संविधान क्या बला है, प्रधानमंत्री क्या चीज हैं, कैसा अमेरिका, कहां का चाइना और अब कोरोना की क्या औकात, उनके 24 कैरेट पक्के ईमान के आगे ये सब बकवास हैं. अल्लाह ने वायरस भेज दिया है हिंदुस्तान क्योंकि हिंदुस्तान में मुस्लिमों की जिंदगी हराम हो गई है. उनका जीना मुश्किल हो गया है. उन पर जुल्म हो रहे हैं. यह इंतहा देखकर ही ख्वाब में आए वायरस ने हिंदुस्तान में तबाही मचाने की ब्रेकिंग न्यूज एक आलिम को ख्वाब में दी है. वायरस के उदगम पर यह खुलासा कि चीन में आयशा नाम की एक औरत के साथ तीन लोगांे ने ज्यादती की. आयशा की आह अल्लाह ने सुनी और अपने जवाब की शक्ल में कोरोना को भेजा. कोरोना ने सबसे पहले उन तीनों गुनहगारों को मारा. फिर बाहर खड़े पहरेदारों को मौत की नींद तत्काल सुलाते हुए वुहान शहर का रुख किया. मगर वह ईरान में क्यों लोगों को मार रहा है, मौलाना इस पर कुछ नहीं बोले. ईरान में भी तो वजू और नमाज हिंदुस्तान से कुछ सौ साल पहले से जारी हैं.

अल्लाह का अजाब है, अल्लाह ही जाने!

(निवेदन: कोरोना पर आपके पास बौद्ध भिक्षुओं, बिशप या पादरियों, जैन आचार्यों, सिख ग्रंथियों, पारसी धर्मगुरूओं या महामंडलेश्वरों की ऐसी कोई ज्ञानवर्द्धक बात श्रृंखलाबद्ध सुनाई दी हो तो एकाध के बारे में कृपापूर्वक शेयर कीजिए.)

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लेखक

विजय मनोहर तिवारी विजय मनोहर तिवारी @vijay.m.tiwari

लेखक मध्यप्रदेश के स्टेट इन्फॉर्मेशन कमिश्नर हैं. और 'भारत की खोज में मेरे पांच साल' सहित छह किताबें लिख चुक हैं.

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