Coronavirus news: इंडोनेशिया-मलेशिया के दो डॉक्टरों की कहानी में सच-झूठ मत देखिए...
Coronavirus outbreak : आइए, सलाम करते हैं इंडोनेशिया के डॉ. डॉ हादियो अली (Indonesian Dr Hadio Ali) की शहादत को और मलेशिया के उस अनाम डॉक्टर के जज्बे को, जो अपने घर के दरवाजे से ही अपने परिजनों को देखकर लौट जा रहा है.
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पिछले कुछ दिनों से एक डॉक्टर की तस्वीर दुनिया भर में वायरल हो रही है. जिसमें वह घर के दरवाजे के बाहर खड़ा अपने परिजनों को भावुक अभिवादन कर रहा है. कहा जा रहा था कि इंडोनेशिया का यह डॉक्टर (Indonesian Dr Hadio Ali) कोरोना वायरस से संक्रमित (Coronavirus infected) हो गया. वह आखिरी बार अपने परिवार से कुछ इस तरह मिला. भले ही यह जानकारी झूठी थी, लेकिन इस कहानी को यहीं नहीं रुकना चाहिए था.
अब एक बार पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं. बुधवार दोपहर इंडोनेशिया के कथित डॉक्टर की तस्वीर और उससे जुड़ी जानकारी व्हाट्सएप के जरिए मुझ तक पहुंची:"यह तस्वीर इंडोनेशिया के डा. हैदियो अली की आख़री तस्वीर है जो COVID-19 के मरीज़ों का का ईलाज करते हुए खुद कोरोना से संक्रमित हो गये थे. जब उनको लगा के अब वो नहीं बचेंगे तो घर गए और गेट के बाहर खड़े होकर अपने बच्चों और प्रैग्नेंट बीवी को आख़री बार निहारा और फिर चले गए. यह तस्वीर उनकी पत्नी ने ली थी जब वो अपने बच्चों को जी भरकर देखने और उनसे विदा लेने आये थे, वो दूर ही खड़े रहे क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनके बीवी बच्चों तक कोरोना पहंचे.
डॉक्टर की जगह खुद को और सामने अपने रोते बिलखते बेबस बच्चों और पत्नी को खड़ा करके देखिये ... यह तस्वीर कितनी डरावनी है, भगवान के होने का भ्रम दूर हो जाएगा.
वैज्ञानिक किस तरह दूसरों की रक्षा करते हुए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं. मानवता के लिए जीवन बलिदान करने वाली महान शख्सियत को विनम्र श्रद्धांजलि, शत शत नमन."
इन दो तस्वीरों के पहले हिस्से में हैं मलेशिया के डॉक्टर, जो सिर्फ घर के बाहर से ही अपने परिजनों को देख लेते हैं. जबकि दूसरी तस्वीर है इंडोनेशिया के डॉ हादियो अली जो कोरोना वायरस संक्रमित लोगों का इलाज करते हुए खुद संक्रमित हो गए, औेर उनकी मौत हो गई.
अब इस मैसेज के तीन हिस्से हैं और दो पहलू हैं. पहला, तो यह है कि यह तस्वीर डॉ. हैदियो अली (Dr. Hadio Ali Khazatsin) की नहीं है. बेशक डॉ. अली इंडोनेशिया के उन 6 डॉक्टरों में शामिल हैं, जिन्हें कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को उपचार देते हुए इन्फेक्शन हो गया, और उनकी मौत हो गई. वे जकार्ता के बिंतारो अस्पताल में कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट के पद पर थे. इंडोनेशिया में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की तादाद अब तक 600 से अधिक हो गई है. और 50 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. ऐसे में महामारी के फैलाव को रोकने के लिए डॉ. अली जैसे डॉक्टरों का जान गंवाना सर्वोच्च बलिदान ही कहा जाएगा. उनके नाम पर भले गलत तस्वीर और उसकी जानकारी वायरल हो रही हो, लेकिन डॉ. अली ने अपनी सेवा से पूरी मानवता को कर्जदार बना दिया है.
अब आइए बात करते हैं, उस डॉक्टर की, जिसकी वाकई ये तस्वीर है. मुंह पर मास्क लगाए अपने परिवार को अभिवादन करते हुए ये हैं मलेशिया के एक डॉक्टर की है. उसके अपने चचेरे भाई ने यह तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की थी. जिसे बाद में गलत ट्विस्ट दे दिया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस डॉक्टर की ये तस्वीर है वे बिल्कुल स्वस्थ हैं. वे लगातार कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के उपचार में लगे हैं, इसलिए वे परिवार से सोशल डस्टेंसिंग (सुरक्षित दूरी) बनाकर रख रहे हैं. वे अपने घर में न आकर दरवाजे से ही अपने परिजनों को देख ले रहे हैं. और वहीं से लौट जा रहे हैं. यानी इस तस्वीर में डॉक्टर के क्रियाकलाप से हम भारतवादी बहुत कुछ सीख सकते हैं. खासतौर पर सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर. जो कि इस बीमारी को मिटाने के लिए पहली और आखिरी अनवार्य शर्त है. जी हां, बाकी अस्पताल, ड्रग्स, आईसीयू, वैंटिलेटर, वगैरह-वगैरह इन सबके बीच में है. यदि सोशल डिस्टेंसिंग की गई तो संक्रमण से बच सकते हैं. ऐसे में जरूरी है इस मलेशियाई डॉक्टर की तस्वीर का मैसेज सिर्फ सच-झूठ तक सीमित न रहे. वह अपने घर के अहाते के बाहर खड़ा होकर ही अपने परिवार को निहारकर फिर अपनी ड्यूटी पर चला जा रहा है.
अब इस तस्वीर के साथ आए, तीसरे पहलू पर बात कर लेते हैं. यह कोई विशिष्ट जानकारी नहीं, बल्कि विशेष संदेश है. उन डॉक्टरों और नर्सों के प्रति आभार जताने के लिए. जो अपने परिवार को छोड़कर अस्पतालों में घंटों सेवाएं दे रहे हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर. लेकिन क्या भारत में ऐसे डॉक्टरों-नर्सों या इस तरह की आपात सेवाओं में लगे लोगों को सम्मान मिल रहा है? जनता कर्फ्यू वाले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश ने शााम 5 बजे इन कर्मयोद्धाओं के लिए ताली तो बजा दी. लेकिन अगले दिन गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली में डॉक्टरों और एयर इंडिया क्रू के उन सदस्यों के लिए सुरक्षा का इंतजाम करवाना पड़ा, जिन्होंने विदेशों में फंसे भारतीयों को निकाला था. आपात सेवाओं में लगे इन प्रोफेशनल्स के साथ शर्मनाक व्यवहार किया गया, मानो ये ही उन तक कोरोना वायरस का संक्रमण ले आएंगे. जबकि स्थिति ये है कि देश में अब तक जितना भी संक्रमण फैला है, वो आम लोगों की लापरवाही से ही फैला है.
तो आइए, सलाम करते हैं इंडोनेशिया के डॉ. डॉ हादियो अली की शहादत को और मलेशिया के उस अनाम डॉक्टर के जज्बे को, जो अपने घर के दरवाजे से ही अपने परिजनों को देखकर लौट जा रहा है. इन डॉक्टरों पर छींटाकशी करने के बजाए, इनकी हिदायतों को गौर से सुनें. उस पर अमल करें. डॉक्टरों-नर्सों के सामर्थ्य की हौंसला अफजाई करें.
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