Covid third wave: 4 संकेत जो मजबूती से कोरोना की तीसरी लहर आने का इशारा कर रहे हैं!
भारत में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों (Covid-19 third wave and children) को अधिक नुकसान होने का अनुमान है. वहीं, अमेरिका व ब्रिटेन में बच्चों में संक्रमण के मामले पहले की दो लहर की तुलना में बढ़ गए हैं, जो हमारे लिए खतरे का संकेत हो सकता है.
-
Total Shares
जिसका डर था, वही हो रहा है. विशेषज्ञों ने जो अनुमान लगाया था, हालात धीरे-धीरे उसी ओर बढ़ रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं कोरोना की तीसरी लहर के बारे में, जिसकी आहट सुनाई देने लगी है. दूसरी लहर के कहर के दौरान ही वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने चेताया था कि यदि जरा भी असावधानी हुई, तो देश में कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है, जो बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होगी. वैसे भी पिछले एक हफ्ते से पॉजिटिवटी रेट जिस दर से आगे बढ़ रहा है, उससे साफ संकेत मिलता है कि अक्टूबर में कोरोना संक्रमण एक बार फिर अपने चरम पर रहने वाला है. एक हफ्ते में पॉजिटिवटी रेट 1.6 फीसदी की दर से बढ़ा है. 23 अगस्त को ओवरऑल पॉजिटिविटी रेट 1.3 फीसदी था, जो 29 अगस्त तक बढ़कर 2.9 फीसदी हो गया है. इस तरह पॉजिटिवटी रेट खतरे की घंटी की तरह है.
कोरोना की दूसरी लहर के पहले की स्थिति को याद करने पर संक्रमण का ट्रेंड समझ में आ जाएगा. उस वक्त दिसंबर से मार्च के बीच अमेरिका में सबसे ज्यादा कोरोना के केस आ रहे थे. उस वक्त वहां कमोवेश वही स्थिति थी, जो दूसरी लहर के दौरान भारत में हुई थी. जैसा अपने देश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी ढह गया था, लोग इलाज के लिए सड़कों पर दौड़ रहे थे, अस्पतालों के बाहर मरीजों की लाइन लगी थी, बेड कम पड़ गए थे, आक्सीजन सिलेंडर तक नहीं मिल रहे थे, कुछ उसी तरह उस वक्त अमेरिका में स्टेडियम में अस्थाई अस्पताल बनाकर मरीजों को रखा जा रहा था. हां, वहां राहत की बात ये थी कि मेडिकल सुविधाएं कम से कम सबको मिल जा रही थी. फरवरी और मार्च के महीने में केरल और महाराष्ट्र में कोरोना के केस तेजी से बढ़े और उसके बाद अप्रैल आते-आते पूरे देश की हालत खराब हो गई थी.
कोरोना की तीसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को लेकर बताया जा रहा है.
इस बार भी कुछ वैसा ही ट्रेंड नजर आ रहा है. इस वक्त अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इजराइल सहित कई देशों में कोरोना के केस बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. अमेरिका और इजराइल तो वैक्सीनेशन के बाद खुद को मास्क फ्री तक घोषित कर चुके थे. लेकिन वहां जिस तरह से कोरोना विस्फोट हुआ है, उसे देखते हुए भारत को सतर्क हो जाने की जरूरत है. इसके साथ ही पिछली लहर के दौरान जो कमियां रह गई थीं उसे दूर करते हुए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहिए. सबसे ज्यादा चिंता बच्चों को लेकर होनी चाहिए, क्योंकि अमेरिका इस बार सबसे ज्यादा बच्चे ही प्रभावित हो रहे हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) का कहना है कि पिछले हफ्ते 1.80 लाख बच्चे संक्रमित हुए हैं. इनमें 23 संक्रमित बच्चों ने दम तोड़ दिया. मार्च 2020 से अब तक कुल 46 लाख बच्चों में कोरोना की पुष्टि हुई है. आइए जानते हैं, वो 5 संकेत जो मजबूती से तीसरी लहर की ओर इशारा कर रहे हैं...
1. केरल में बेकाबू हुआ कोरोना
कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत भी केरल से ही हुई थी. उस समय पहले केरल फिर महाराष्ट्र के बाद पूरे देश में कोरोना के केस तेजी से बढ़े थे. इस समय भी केरल में कोरोना के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. एक तरफ पूरे देश में जहां दूसरी लहर कमजोर पड़ती हुई नजर आ रही है, तो वहीं केरल में नए सिरे से मामले बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. केरल में पिछले पांच दिनों में करीब 1.5 लाख नए कोरोना के मामले सामने आए हैं. यहां लगातार चौथे दिन कोरोना संक्रमण के 30 हजार से अधिक मामले सामने आए है. पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना से 444 लोगों की मौत हुई, जिसमें अकेले केरल में 153 लोगों ने जान गंवाई हैं. देश में कोरोना के कुल एक्टिव मामलों 3.7 लाख में से 55 फीसदी अकेले केरल से हैं. यहां रविवार को 29,836 लोग संक्रमित पाए गए. 22,088 लोग ठीक हुए. 75 लोगों की मौत हो गई.
लाइफकोर्ट एपिडेमियोलॉजी के प्रोफेसर एंड हेड डॉ. गिरधर बाबू के मुताबिक, केरल से हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. ये बात नकारात्मक नहीं है. केरल में हम जो देख रहे हैं और देश के बाकी हिस्सों में जो हम देखेंगे वो वैक्सीनेशन और सीरो प्रिविलांस का कॉम्बिनेशन होगा. अगर तीसरी लहर आती है तो इसका सबसे ज्यादा खतरा उन जगहों पर होगा जहां वैक्सीनेशन और सीरो प्रिविलांस कम है. केरल में सीरो प्रिविलांस कम था, इसलिए वहां संक्रमण का खतरा था. किसी भी भीड़भाड़ वाली जगह से संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलने का खतरा है. त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनीथ टीएस ने कहा कि केरल एक केस स्टडी है, लेकिन निगेटिव सेंस में नहीं. केरल में ओणम के दौरान बाजार खुले लेकिन वहां कोई बड़ा सेलिब्रेशन नहीं हुआ. फिर भी वहां इसी वजह से अतिरिक्त 10 हजार से ज्यादा केस मिल रहे हैं.
2. मास्क फ्री हुए इजरायल में रिकॉर्ड मरीज
कोरोना के कहर के बीच पूरी दुनिया में इजरायल इकलौता देश था, जिसने सबसे पहले अपने देश को मास्क फ्री घोषित कर दिया था. यहां बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया गया था, जिसकी वजह से 50 फीसदी आबादी जून महीने में ही वैक्सीनेट हो चुकी थी. लेकिन यहां भी पिछले एक हफ्ते से कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. बीते शनिवार को इजरायल में कोरोना के 12,013 मरीज मिले है. यह संख्या पिछले 18 महीने में सबसे ज्यादा है. यहां पहला मरीज 21 फरवरी 2020 को मिला था. इजरायल ने सबसे पहले खुद को मास्क फ्री घोषित कर दिया था, लेकिन मरीज बढ़ने पर उसे सार्वजनिक स्थलों पर मास्क अनिवार्य करना पड़ा. इधर, सरकार ने एक साल से बंद स्कूलों को एक सितंबर से खोलने का फैसला लिया है, लेकिन कोरोना के बढ़े मरीजों ने चिंता बढ़ा दी है. बढ़ते केस के पीछे पाबंदियां हटने के बाद लोगों की लापरवाही बड़ी वजह मानी जा रही है. इजरायल अपनी 60 फीसदी आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज लगा चुका है.
3. ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में सबसे ज्यादा केस
दुनिया के जिन देशों ने महामारी से अब तक खुद को बचाए रखा था, अब वहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने लगा है. आलम यह है कि वहां अब तक के रिकॉर्ड मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. इनमें न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. ऑस्ट्रेलिया में बीते दिन 1,122 मरीज मिले, जो 19 महीनों में सबसे ज्यादा हैं. यहां पिछले साल 25 जनवरी को पहला मरीज मिला था. न्यूजीलैंड में 16 महीने बाद सर्वाधिक 83 मरीज मिले. इन देशों में बढ़ते मरीजों को लेकर डब्ल्यूएचओ ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि इन देशों में कोरोना का डेल्टा वैरिएंट घातक साबित हो रहा है. इन देशों में मिलने वाले 95 फीसदी मरीज डेल्टा वैरिएंट के ही हैं. इसे देखते हुए ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में लॉकडाउन और सख्त कर दिया गया है. ऑस्ट्रेलिया में लॉकडाउन लंबे समय से लगा है. जबकि न्यूजीलैंड में 12 दिन पहले एक मरीज मिलने के बाद लॉकडाउन लगा था. इसके बावजूद यहां केस बढ़े, जिसके बाद सरकार लॉकडाउन बढ़ाने के साथ-साथ उसे और सख्त करती जा रही है.
4. अमेरिका और यूरोप में बच्चों का संक्रमण
कोरोना की दूसरी लहर के कहर को देखने के बाद से ही वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है. पहली लहर के दौरान बुजुर्ग, दूसरी लहर के दौरान युवाओं के बाद तीसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा बच्चे ही संक्रमित होने वाले हैं. अमेरिका और यूरोप में जिस तरह बच्चों के बीच संक्रमण बढ़ रहा है, उसे देखते हुए अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में क्या हालत होने वाली है. अमेरिका की बात करें तो यहां 34 राज्यों में बच्चों के बीच तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है. अस्पतालों में पहली बार गंभीर रूप से बीमार बच्चों की भीड़ लग रही है. इन बच्चों की उम्र दो महीने से लेकर 12 साल के बीच है.
पीडियाट्रिक्स एंड द चिल्ड्रेन हॉस्पिटल एसोसिएशन के मुताबिक, अमेरिका में पिछले 7 दिनों में 1.80 लाख बच्चे संक्रमित मिले हैं. देश में एक लाख बच्चों में से 6,100 बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. सबसे ज्यादा बच्चे उन राज्यों में मिल रहे हैं, जहां वैक्सीन नहीं लग पा रही है. 8 महीने बाद अमेरिका में एक दिन में सर्वाधिक 1.90 लाख नए मरीज मिले हैं, जबकि 24 घंटे में यहां 1300 से ज्यादा मौतें हुईं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. उधर, डब्ल्यूएचओ यूरोप के डायरेक्टर हांस क्लूज ने दिसंबर तक यूरोप में 2 लाख से ज्यादा और मौतें होने की आशंका जताई है. उन्होंने बताया, 'पिछले हफ्ते इन देशों में मौतों की संख्या में 11% की बढ़ोतरी हुई है. अगर यही हाल रहा तो 1 दिसंबर तक यूरोप में 2.36 लाख से ज्यादा मौतें होंगी.' यूरोप में अब तक 12.69 लाख कोविड मौतें (Covid Deaths) हो चुकी हैं.
आपकी राय